पी.डी.पी. विधायक का आरोप महबूबा ने पार्टी को ‘घरेलू जागीर’ बना दिया

punjabkesari.in Tuesday, Jul 03, 2018 - 02:02 AM (IST)

पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती वैसे तो जम्मू-कश्मीर की 13वीं मुख्यमंत्री बनीं परंतु उन्हें इस राज्य की प्रथम मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनने का श्रेय भी प्राप्त है। उनसे पूर्व 1980 में सईदा अनवरा तैमूर किसी भारतीय राज्य (असम) की पहली मुस्लिम मुख्यमंत्री बनी थीं। 

महबूबा मुफ्ती की बहन रूबिया सईद का 1989 में अपहरण कर लिया गया था जब इनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्र सरकार में गृह मंत्री थे। रूबिया को अपहरण के कुछ दिनों बाद कुछ आतंकवादियों की रिहाई के बदले छोड़ दिया गया जिसके लिए विपक्षी दलों ने सरकार की भारी आलोचना की थी और इसके बाद जम्मू-कश्मीर के हालात लगातार खराब होते चले गए। 

बहरहाल, देश के किसी राज्य की दूसरी मुस्लिम मुख्यमंत्री बनने का श्रेय प्राप्त करने वाली महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल, 2016 को भाजपा के सहयोग से इस अशांत राज्य में गठबंधन सरकार बनाई परंतु कानून व्यवस्था नियंत्रित करने में असफल रहने के कारण भाजपा द्वारा पी.डी.पी. से समर्थन वापस ले लेने पर 19 जून, 2018 को उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। एक ओर जहां पूर्व गठबंधन सहयोगी भाजपा तथा अन्य दलों द्वारा जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए महबूबा मुफ्ती को जिम्मेदार बताया जा रहा है, वहीं स्वयं पी.डी.पी. में भी महबूबा मुफ्ती की कार्यशैली को लेकर असहमति की आवाजें उठने लगी हैं। 

पी.डी.पी. की बदहाली के लिए महबूबा मुफ्ती की नीतियों को मुख्य कारण करार देते हुए वरिष्ठï पी.डी.पी. नेता और विधायक ‘आबिद हुसैन अंसारी’ ने महबूबा के विरुद्ध विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया है। 1 जुलाई को श्रीनगर के जड़ीबल इलाके में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ‘आबिद हुसैन अंसारी’ ने पार्टी के नेतृत्व पर बड़ा हमला बोला और इस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए दोहराया कि ‘‘महबूबा मुफ्ती ने पार्टी को तबाह कर दिया है और इसे एक ‘घरेलू जागीर’ बना दिया है।’’ 

‘आबिद हुसैन अंसारी’ ने कहा, ‘‘वह अपने कैमरामैन भाई को ले आईं और उन्हें राज्य का पर्यटन मंत्री बना दिया। हालांकि उन्हें पर्यटन का प्राथमिक ज्ञान भी नहीं है। मैं हमेशा महबूबा मुफ्ती से कहता रहा कि वह चापलूसों से घिरी हुई हैं जो उन्हें गलत सलाह देकर पार्टी को तबाह कर रहे हैं।’’ ‘‘परंतु उन्होंने कभी भी मेरी बात नहीं सुनी क्योंकि वह शेर-ए-कश्मीर इंस्टीच्यूट आफ मैडीकल साइंसिस (एस.के.आई.एम.एस.) जैसी अत्यंत संवेदनशील संस्थाओं का ‘रिमोट कंट्रोल’ अपने एक रिश्तेदार को देने में व्यस्त थीं जो इसे लंदन में रह कर चला रहा था।’’ ‘आबिद हुसैन अंसारी’ ने यह भी कहा कि अब उन्होंने किसी ऐसी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया है जो उनके वर्करों व सामुदायिक सदस्यों के हितों की रक्षा करे। 

पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन की समाप्ति से पहले महबूबा मुफ्ती द्वारा लिए गए अनेक फैसलों को चुनौती देने वाले ‘आबिद हुसैन अंसारी’ ने महबूबा मुफ्ती द्वारा अपनाई गई नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि वह पी.डी.पी. और भाजपा के शासन दौरान किए गए काम या अपनाई गई नीतियों से संतुष्टï नहीं हैं। ‘आबिद हुसैन अंसारी’ ने महबूबा मुफ्ती को उनकी जल्दबाजी की नीतियों के लिए दोषी ठहराया और पार्टी के लिए उनके निर्णयों को विषम करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार भाईचारे और पक्षपात में फंस गई थी जिससे उनके प्रियजनों को शीर्ष पद उपलब्ध करवाए गए। उल्लेखनीय है कि ‘आबिद हुसैन अंसारी’ शिया समुदाय के शक्तिशाली धार्मिक परिवार से संबंध रखते हैं। वह ‘शिया एसोसिएशन’ के महासचिव भी हैं तथा पूर्व शिक्षा मंत्री इमरान अंसारी उनके भांजे हैं। 

राज्य में पी.डी.पी.-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने के बाद पार्टी के किसी वरिष्ठï नेता द्वारा महबूबा पर सार्वजनिक रूप से किया जाने वाला यह पहला हमला है जिससे लगता है कि पार्टी में सब ठीक नहीं है, अत: यदि महबूबा ने पार्टी के कार्यकलाप को ठीक न किया तो अगले चुनावों में इसे हानि उठानी पड़ सकती है।—विजय कुमार 


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Pardeep

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