‘देश की सुरक्षा मजबूत करने के लिए’ ‘संसदीय समिति’ तथा ‘वायुसेना प्रमुख’ के सुझाव
punjabkesari.in Wednesday, Jan 04, 2023 - 03:20 AM (IST)
इस समय जबकि विश्व के अनेक भागों में अशांति और टकराव का वातावरण बना हुआ है, भाजपा सांसद ‘जुएल ओराम’ की अध्यक्षता वाली ‘रक्षा सम्बन्धी संसदीय समिति’ तथा वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल श्री वी.आर. चौधरी ने ‘सुरक्षाबलों में व्याप्त कुछ कमियों’ की ओर सरकार का ध्यान दिलाया है :
‘रक्षा सम्बन्धी संसदीय समिति’ ने भारत की लम्बी तट रेखा के दृष्टिगत देश में तीन विमानवाहक पोतों की आवश्यकता पर बल दिया है जबकि इस समय देश के पूर्वी तथा पश्चिमी समुद्र तटों के दोनों ओर 2 विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ तथा ‘विक्रमादित्य’ ही काम कर रहे हैं। समिति का कहना है कि इससे नौसेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि होगी।
रिपोर्ट के अनुसार समिति ने कहा कि पहले दो विशाल विमानवाहकों में से किसी एक को मुरम्मत के लिए भेजने पर उसमें काफी समय लग जाता है। एक ही विमानवाहक परिचालन में रह जाने से पैदा होने वाली समस्याओं को दूर करने और किसी संभावित परिस्थिति से निपटने के लिए 3 विमानवाहकों की बेहद जरूरत है क्योंकि हर समय दो विमानवाहक पोतों की तैनाती जरूरी है और तीसरे की मुरम्मत व रख-रखाव का काम भी चलता रहेगा।
इसके साथ ही समिति ने अंडेमान-निकोबार द्वीप समूहों तथा लक्षद्वीप में बुनियादी ढांचा कायम करने और बेहतर एयर फील्ड बनाने की आवश्यकता भी जताई है। समिति का कहना है कि इससे सुरक्षाबलों की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी, अत: इस काम को दीर्घकालिक रणनीति के आधार पर हाथ में लिया जाए। यही नहीं, वायुसेना प्रमुख वी.आर. चौधरी ने हाल ही में भारतीय वायुसेना में महत्वपूर्ण कमियों की ओर भी सरकार का ध्यान दिलाया है।
श्री चौधरी के अनुसार इन कमियों को जल्द से जल्द दूर करने तथा भविष्य के युद्ध लडऩे और जीतने की क्षमता विकसित करके ‘हवा में एक शक्ति’ के रूप में स्वयं को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि वायु सेना की ‘लड़ाकू बढ़त’ कायम रहे। नई दिल्ली में एक सैमीनार में उन्होंने कहा,‘‘भारतीय वायुसेना लड़ाकू स्क्वाड्रन तथा ‘फोर्स मल्टीप्लायरों’ जैसी कुछ समस्याओं से जूझ रही है, जिन्हें जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों के मुकाबले वायुसेना इस समय लगभग 30 लड़ाकू स्क्वाड्रनों का ही परिचालन कर रही है तथा इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए हवा में ईंधन भरने वाले तथा एयरबोर्न वाॄनग एवं कंट्रोल सिस्टमों (अवाक्स) की आवश्यकता है।
श्री चौधरी के अनुसार भारत का पड़ोस अस्थिर तथा अनिश्चित बना हुआ है। ऐसेे में हमें समविचारक देशों के साथ सांझेदारी करके अपनी सामूहिक शक्ति बढ़ानी चाहिए। उन्होंने सैन्य उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा :
‘‘हमें विदेशी उपकरणों के मामूली स्वदेशीकरण पर निर्भर रहने के स्थान पर अपने स्वयं के सैन्य उपकरणों के निर्माण के लिए अनुसंधान तथा विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।’’ ‘इंडो पैसिफिक क्षेत्र’ में जारी ‘शक्ति की राजनीति’ की चर्चा करते हुए श्री चौधरी ने इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया है कि एक स्थापित विश्व शक्ति (अमरीका) को विश्व व्यापी महत्वाकांक्षाओं वाली एक क्षेत्रीय शक्ति (चीन) की चुनौती लगातार बढऩे से क्षेत्र के सभी प्रमुख देश प्रभावित होंगे।
‘रक्षा संबंधी संसदीय समिति’ तथा वायुसेना प्रमुख श्री चौधरी ने देश की प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि के लिए जो सुझाव दिए हैं, उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता देकर उन पर तुरन्त अमल करने की आवश्यकता है ताकि हमारे सुरक्षाबल कमजोर न हों और वे देश की सीमाओं की रक्षा के हर अभियान में विजयी होकर निकलें।-विजय कुमार
