भारतीय जेलों में सब ठीक नहीं

punjabkesari.in Monday, Mar 21, 2016 - 01:00 AM (IST)

विभिन्न अनियमितताओं के चलते भारतीय जेलें अपराधियों को सुधारने की बजाय उन्हें और अधिक बिगाडऩे के अड्डे बनती जा रही हैं। जेल प्रशासनों द्वारा सुरक्षा प्रबंध मजबूत करने के तमाम दावों के बावजूद जेलों में तमाम नशे, मोबाइल फोन तथा उनकी जरूरत की सब चीजें पहुंच रही हैं। यहां तक कि जेलों में बंद कैदी आत्महत्या तक कर लेते हैं और जेल प्रशासन को इसका पता घटना हो चुकने के बाद ही चलता है।

 
गत वर्ष अम्बाला की सैंट्रल जेल में अधिकारियों ने ब्लाक नं. 7 के कमरा नंबर 3 के बाथरूम तथा अन्य स्थानों से वर्ष के पहले 7 महीनों में कुल 15 मोबाइल जब्त किए। जुलाई 2015 में जेल परिसर में मोबाइल फोन अंदर लाने के लिए कैदियों से रिश्वत लेते हुए इसी जेल के 3 वार्डन गिरफ्तार किए गए। कुछ महीने पूर्व इसी जेल में बंद कुछ अपराधी गिरोहों में से एक ने फोन पर एक व्यापारी से रंगदारी मांगी थी।
 
5 मार्च 2016 को पटियाला केंद्रीय जेल में बंद जोगेंद्र सिंह नामक कैदी के लिए उसकी पत्नी द्वारा लाए गए साग की जांच करने पर उसमें मिलाया हुआ सुल्फा बरामद हुआ। इससे कुछ दिन पहले एक अन्य कैदी से मिलने आए उसके रिश्तेदार द्वारा लाई हुई माचिस में भांग बरामद हुई थी। 
 
जेलों में बंद कैदियों के हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि वे उन्हें पेशी पर लाने वाले पुलिस कर्मियों को चकमा देकर हिरासत से फरार होने में भी कामयाब हो जाते हैं। 
 
17 मार्च को अमृतसर की सैंट्रल जेल में धोखाधड़ी के आरोप में कुछ ही समय पूर्व ट्रांसफर किए गए फरीदकोट निवासी गुरबख्श सिंह नामक कैदी को गुरु नानक अस्पताल से रैफर किया गया था जहां उसने खूब हंगामा किया व अपनी गार्द में लगाए 2 पुलिस कर्मियों को पीट भी डाला। 
 
देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल परिसर में विनोद कुमार नामक एक विचाराधीन कैदी ने जेल संख्या 3 के मुलाहिजा वार्ड के शौचालय खंड में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 
 
19 फरवरी 2015 को सैंट्रल जेल अम्बाला से अम्बाला अदालत परिसर में लाए गए  बंदियों ने आरोप लगाया कि उक्त जेल में उन्हें आसानी से नशा उपलब्ध हो जाता है। नशे की हालत में जेल में लाया गया हवालाती इतने अधिक नशे में था कि वह अपने पैरों पर चल कर नहीं बल्कि जेल गार्द के कंधों पर कोर्ट में पहुंचा। उसकी मैडीकल जांच में भी उसके द्वारा नशा किए जाने की पुष्टि हुई। 
 
इसी प्रकार 16 मार्च को अम्बाला अदालत में कुछ बंदियों ने जेल प्रशासन के एक अधिकारी से जेल कर्मचरियों पर मारपीट तथा गर्म सलाखें दागने के आरोप लगाए। यह आरोप भी लगाया गया कि इन अधिकारियों ने मिलकर बंदियों को पकड़ कर लाठी-डंडों से मारपीट की और गर्म सलाखों से दागा। 
 
कुछ समय पूर्व इसी जेल में हरियाणा पुलिस की तलाशी के दौरान रणदीप गैंग से कई तरह के नशीले पदार्थ, मोबाइल सिम सहित अनेक वस्तुएं बरामद हुई थीं जो जेल के डिप्टी सुपरिंटैंडैट व अन्य पुलिस कर्मियों की सहायता से उन्हें उपलब्ध कराई गई थीं। आरोप है कि कैदियों को ये वस्तुएं कथित रूप से जेल अधिकारियों द्वारा मोटी रकम कमाने के चक्कर में उपलब्ध करवाई जा रही हैं। 19 मार्च को इसी जेल का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें कुछ कैदी जन्म दिन की पार्टी मनाते हुए दिखाई दे रहे हैं और उनके पास शराब और बीयर की बोतलें रखी हुई हैं।
 
ऐसी घटनाएं भारतीय जेल प्रशासन की अत्यंत धुंधली तस्वीर पेश करती हैं जिनमें या तो जेल प्रशासन की लापरवाही झलकती है या उनकी मिलीभगत का संदेह होता है। इसके अलावा जेलों में सजा काट रहे कैदियों तथा विचाराधीन अपराधियों की भीड़ भी नित नई समस्याएं खड़ी कर रही है जिनसे निपटना अधिकांश मामलों में प्रशासन के लिए कठिन हो रहा है। 
 
इस बात में कोई शक नहीं कि अधिकारी कुछ जेलों में लगाए गए सी.सी. टी.वी. कैमरों की सहायता से अपराधियों पर नजर रखने की कोशिश करते हैं परन्तु फिर भी अपराधी अपने मन की करने में सफल कैसे हो जाते हैं।  
 
ऐसे में यह माना जाता है कि कैदियों को मिलने आने वाली औरतों और बच्चों के माध्यम से यह ड्रग्स जेल में पहुंचाए जाते हैं। इसमें जेल अधिकारियों की मिलीभगत भी काफी हद तक हो सकती है। ऐसे में जेल के आसपास हाई डैंसिटी मोबाइल जैमर लगाने तथा एक्सरे स्कैनर से आने वाले लोगों को स्कैन करना अनिवार्य हो जाता है। 
 
अधिकतर कैदियों को जब कभी अस्पताल ले जाया जाता है तब भी वह ड्रग्स लाने में सफल हो जाते हैं। ऐसे में यदि जेल अधिकारी कड़े नियमों का पालन करें और कड़ाई से उन्हें लागू करें तो काफी हद तक इस पर काबू पाया जा सकता है। 
 

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