पाकिस्तान के चुनावों में ‘नवाज शरीफ की विजय’ और ‘प्रधानमंत्री बनना तय’

punjabkesari.in Saturday, Feb 03, 2024 - 05:15 AM (IST)

तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज’ (पी.एम.एल-एन) के सुप्रीमो नवाज शरीफ चार वर्ष के स्वनिर्वासन के बाद 21 अक्तूबर, 2023 को स्वदेश लौटे थे और तभी से वह इस वर्ष 8 फरवरी को होने वाले चुनावों को लेकर देश की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बने हुए हैं। पाकिस्तान आने के साथ ही देश की अदालतों द्वारा उन्हें भ्रष्टाचार सहित सब आरोपों से बरी करने और उन पर आजीवन चुनाव न लडऩे का प्रतिबंध भी हटाने के बाद से वह देश की चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं। 

19 दिसम्बर, 2023 को उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘सेना ने 2018 के चुनावों में धांधली करके अपनी एक पसंदीदा सरकार देश पर थोप दी और 2014 से 2017 तक सेना की कमान संभालने वालों ने देश के वरिष्ठï न्यायाधीशों को मजबूर करके मेरे विरुद्ध जरूरी अदालती फैसले हासिल किए।’’ भारत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा,‘‘आसपास के देश चांद पर पहुंच गए हैं और पाकिस्तान अभी तक धरती से ही उठ नहीं पाया है। हमारे देश की समस्याओं के लिए न तो भारत जिम्मेदार है और न अमरीका, हमने अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार ली है।’’ 

2018 में नवाज शरीफ की सरकार को बर्खास्त करके जब सेना का ‘ब्लू ब्वाय’ कहलाने वाले इमरान खान प्रधानमंत्री बने, तब यह कहा गया था कि इमरान की ताजपोशी में सेना की बड़ी भूमिका रही थी लेकिन इमरान के यह कहने पर कि आई.एस.आई. ने उनकी हत्या का षड्यंत्र रचा था,सेना से उनकी नजदीकी कटुता में बदल गई। फिर 2022 में अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी छिन जाने के बाद इमरान खान ने यह कह कर सेना के साथ अपनी कटुता और बढ़ा दी कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने में सेना की भूमिका रही है। जिस नवाज शरीफ का राजनीतिक करियर लगभग समाप्त हो गया लगता था, उनके सितारे अब फिर बुलंदी पर हैं और इमरान का राजनीतिक करियर संकट में पड़ गया है। 

9 मई, 2023 को भ्रष्टाचार के मामले में इमरान को पहली बार गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल उनके विरुद्ध पूरे देश में तोशाखाना, गोपनीयता उल्लंघन और सैन्य प्रतिष्ठïान पर हमले सहित 170 मामले दर्ज हैं। इमरान की पार्टी 8 फरवरी के चुनावों के लिए कोई खास प्रचार भी नहीं कर पा रही है। उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘बल्ला’ भी जब्त कर लिया गया है तथा उनकी पार्टी के 150 से अधिक नेता उनका साथ छोड़ चुके हैं। इमरान को ताजा आघात 31 जनवरी को लगा, जब उन्हें तथा उनकी पत्नी बुशरा बीबी, दोनों को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में अदालत द्वारा 14-14 वर्ष कैद की सजा सुना दी गई। 

अदालत ने दोनों पर 10 वर्ष तक किसी भी सरकारी पद पर रहने पर प्रतिबंध लगाने के अलावा दोनों को ही अलग-अलग 78.70-78.70 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इन पर विभिन्न राष्टï्र अध्यक्षों और शासन प्रमुखों से मिले 108 उपहारों में से करोड़ों रुपए मूल्यों के 58 उपहार अपने पास रख लेने का भी आरोप है। इससे 1 दिन पूर्व ही 30 जनवरी को गोपनीयता अधिनियम उल्लंघन मामले में एक विशेष अदालत ने इमरान खान को 10 वर्ष जेल की सजा सुनाई थी। इस बीच इमरान द्वारा पंजाब की 2 नैशनल असैम्बली सीटों से उनका नामांकन रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका भी अदालत ने इसकी कमियां दूर करने की बात कह कर लौटा दी है। 

इन सब बातों से सत्ता में लौटने की इमरान खान की कोशिशों को झटके पर झटके लग रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान में चुनावों और उनके परिणाम आने में कुछ समय है, पर मौजूदा हालात संकेत दे रहे हैं कि नवाज शरीफ जीत रहे हैं और उनका चौथी बार देश का प्रधानमंत्री बनना तय है, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए अच्छा होगा।—विजय कुमार 


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