विदेशों को पलायन का बढ़ता रुझान बेरोजगारी और असहिष्णुता का परिणाम

punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2019 - 02:07 AM (IST)

अमरीका में शरण मांगने वालों के बीच काम करने वाले ‘नार्थ अमरीकन पंजाबी एसोसिएशन’ के कार्यकारी निदेशक सतनाम सिंह चहल के अनुसार वर्ष 2014 से अब तक 6935 महिलाओं तथा 15,436 पुरुषों सहित 22,371  से अधिक भारतीयों ने अमरीका में शरण के लिए आवेदन किया है।

‘यू.एस. सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसिजेज नैशनल रिकार्ड्स सैंटर’ का हवाला देते हुए चहल ने कहा कि ये आंकड़े गंभीर चिंता का विषय हैं तथा अमरीका में अवैध तरीकों से प्रवेश करने वालों के लिए शरण मांगने की प्रक्रिया उनकी कठिनाई बढ़ा सकती है। चहल के अनुसार किसी तरह अमरीका में दाखिल हो जाने के बावजूद वहां शरण लेने की प्रक्रिया जोखिम भरी, जटिल और काफी लम्बी होने के साथ-साथ आम लोगों के लिए काफी खर्चीली भी है। अमरीका में प्रवेश करने के बाद इनमें से काफी लोग निजी वकीलों की सेवाएं लेते हैं जो इनसे इतनी अधिक फीस मांगते हैं कि उसकी अदायगी करना उनके वश से बाहर होता है। 

इसके अलावा ऐसे लोग जिन्हें वकील मिल भी जाता है उनके लिए आगे की प्रक्रिया तनाव भरी हो सकती है क्योंकि आवेदन दाखिल करने के कई महीने बाद तक भी वे वहां वर्क परमिट प्राप्त करने के पात्र नहीं होते। श्री सतनाम सिंह चहल ने कहा कि इसीलिए अमरीका आने के इच्छुकों को यहां वैध तरीके से ही आना चाहिए ताकि वे अवैध तरीके से किसी भी देश में प्रवेश करने से पैदा होने वाली समस्याओं से बच सकें जैसे कि इस महीने के शुरू में मैक्सिको से एक महिला सहित 311 भारतीयों को अमरीका में प्रवेश करने के लिए अवैध रूप से घुसने के कारण वापस भेज दिया गया था। 

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीयों द्वारा अमरीका में शरण मांगने का सबसे बड़ा कारण भारत में बेरोजगारी है। इसके अलावा आर्थिक मंदी तथा असहिष्णुता का माहौल भी इसके कारण हो सकते हैं। अमरीका में शरण मांगने वाले भारतीयों के संबंध में श्री सतनाम सिंह चहल का यह बयान आंखें खोलने वाला तथा अवैध तरीकों से दूसरे देशों में जाने की कोशिश करने वालों के लिए भी एक चेतावनी है। ये आंकड़े तो मात्र एक देश के हैं। इसके अलावा दूसरे देशों में अवैध तरीकों से जाकर बसने की कोशिश में फंसे लोगों की संख्या तो कहीं अधिक होगी जो भारत सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए और इसे उन कारणों का पता लगा कर उन्हें दूर करना चाहिए जिनसे लोग अपना देश छोड़ कर दूसरे देशों में जाने को विवश होते हैं।—विजय कुमार  


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