देश में जोर-शोर से चल रहा फर्जी ‘शिक्षा माफिया’ का कारोबार

punjabkesari.in Tuesday, Mar 21, 2017 - 10:47 PM (IST)

देश में समय-समय पर हमारे नेताओं तक की फर्जी शैक्षिक डिग्रियों को लेकर विवाद उठते रहे हैं। इसी संदर्भ में 2009 में वरुण गांधी का यह दावा गलत साबित हुआ कि उनके पास ‘लंदन स्कूल ऑफ इक्नॉमिक्स’ और ‘लंदन स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज’ की डिग्रियां हैं। 

यही नहीं दिल्ली की ‘आप’ सरकार में मंत्री रहे जितेन्द्र सिंह तोमर तो फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार होकर जेल की हवा भी खा चुके हैं और बिहार स्थित ‘तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी’ ने उनकी कानून की डिग्री हाल ही में रद्द भी कर दी है। कुल मिलाकर देश में एक विचित्र-सा माहौल बना हुआ है। एक ओर देशभ्रष्टाचार, कुशासन, लाकानूनी आदि समस्याओं सेे पीड़ित है तो दूसरी ओर शिक्षा की फर्जी डिग्रियों और फर्जी शिक्षा संस्थानों द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुकों को बोगस प्रमाण पत्र देकर लूटने के अलावा देश की युवा पीढ़ी को शैक्षिक दृष्टि से नाकारा बनाया जा रहा है। 

कुछ समय पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री महेन्द्र नाथ पांडे ने राज्यसभा में बताया था कि उनके मंत्रालय ने राज्य सरकारों को इसमामले की जांच करके फर्जी विश्वविद्यालयों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा है। इसी शृंखला में देश के विश्वविद्यालयों और कालेजों में नए शिक्षा सत्र के लिए दाखिले शुरू होने से पूर्व यू.जी.सी. ने अपनी वाॢषक रिपोर्ट में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले 23 फर्जी  विश्वविद्यालयों और 279 फर्जी तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों की सूची अपनी वैबसाइट पर डाल दी है। 

इसमें छात्रों को चेतावनी दी गई है कि वे अगले शिक्षा सत्र में इन संस्थानों में दाखिला लेने के मामले में सतर्क रहें। इसके साथ ही राज्य सरकारों को इन फर्जी उच्च शिक्षा संस्थानों की सूची भेज कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश भी दे दिया है। इस सूची से तो ऐसा लगता है कि अपहरणों और बलात्कारों की राजधानी के साथ-साथ दिल्ली फर्जी कालेजों की राजधानी भी बन गया है। यहां 66 कालेज फर्जी हैं और यह आंकड़ा देश के किसी भी हिस्से में वैध अनुमति के बिना इंजीनियरिंग या अन्य टैक्नीकल शिक्षा देने वाले फर्जी कालेजों और विश्वविद्यालयों के आंकड़ों से कहीं अधिक है। दिल्ली में 7 फर्जी विश्वविद्यालय हैं जिन्हें डिग्रियां देने का कोई अधिकार नहीं है और इनकी कोई वैधता न होने के कारण इनके द्वारा दिए जाने वाले प्रमाण पत्रों का मोल कागज के टुकड़ों से अधिक कुछ भी नहीं।

‘आल इंडिया कौंसिल फॉर टैक्रीकल एजूकेशन’ (ए.आई.सी.टी.ई.) तथा यू.जी.सी. के अनुसार विभिन्न राज्यों बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट, कर्नाटक, तेलंगाना और केरल में चल रहे ऐसे संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्यों को सूची भेज दी गई है। ए.आई.सी.टी.ई. ने उक्त संस्थानों को इससे मान्यता प्राप्त न करने के लिए उनको नोटिस भी भेजे हैं और अखबारों में इस आशय के नोटिस छपवा कर छात्रों को चेतावनी दी है कि वे इन मान्यता रहित तथाकथित उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिला न लें। 

उक्त तथ्यों से स्पष्टï है कि अन्य क्षेत्रों में समाज विरोधी तत्वों की सक्रियता की भांति ही शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भी माफिया ने जोरदार ढंग से घुसपैठ कर ली है और ऊंची शिक्षा प्राप्त करके कुछ कर गुजरने के सपने पालने वाले युवाओं को वे छल रहे हैं। 

ऐसे फर्जी ‘उच्च’ संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करके निकलने वाले छात्रों से देश और समाज के भले की क्या आशा की जा सकती है। यह घोर सामाजिक अपराध के साथ-साथ देशद्रोह जैसा ही गंभीर नैतिक अपराध भी है। लिहाजा इस प्रकार की फर्जी डिग्रियां बेचने वाले लुटेरों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई अपेक्षित है ताकि देश में शिक्षा के पहले ही गिर रहे स्तर को और अधिक गिरने से बचाया जा सके। न सिर्फ इस तरह के फर्जी विश्वविद्यालयों से पढ़ कर हमारे युवाओं का भविष्य तबाह हो रहा है बल्कि  इससे भी बढ़ कर वैध विश्वविद्यालयों से पढ़ कर निकले छात्रों की शिक्षा की आधिकारिकता पर भी प्रश्र चिन्ह लग रहा है।                                                                                                                                                                                                            —विजय कुमार


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