‘देश में हथियारों के लाइसैंस फर्जी बनने लगे’ ‘जनता की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा’

punjabkesari.in Friday, Jul 12, 2024 - 05:17 AM (IST)

पिछले कुछ समय से देश में ‘नकली’ का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। पहले तो नकली खाद्य पदार्थों आदि की बात ही सुनी जाती थी, परंतु अब यह बीमारी उच्च सरकारी पदों से होते हुए विभिन्न विभागों के फर्जी प्रमाण पत्रों और हथियारों के फर्जी लाइसैंसों तक भी पहुंच गई है, जो पिछले 3 महीनों के निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है : 

* 10 अप्रैल को गाजियाबाद क्राइम ब्रांच ने फर्जी तरीके से हथियारों के लाइसैंस तैयार करने और उसके बदले में मोटी रकम वसूल करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से 8 देसी हथियार, फर्जी शस्त्र लाइसैंस और सेना का फर्जी पहचानपत्र आदि बरामद किए गए।
* 20 जून को बिहार में मुजफ्फरपुर की पुलिस ने फर्जी तरीके से हथियारों के लाइसैंस बनवाकर टोल प्लाजा पर ड्यूटी कर रहे 2 सुरक्षा कर्मियों को 2 बंदूकों, हथियार और 10 कारतूसों के साथ गिरफ्तार किया। 

* 10 जुलाई को अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने हथियारों के फर्जी लाइसैंस बनाने वाले गिरोह के 2 सदस्यों तथा 6 फर्जी हथियार लाइसैंस धारकों को गिरफ्तार करके फर्जी हथियार लाइसैंस रैकेट का भंडाफोड़ किया।
डी.जी.पी. गौरव यादव के अनुसार यह रैकेट ‘तरनतारन सेवा केंद्र’ के जिला मैनेजर सूरज भंडारी की मिलीभगत से चलाया जा रहा था। गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों में तरनतारन सेवा केंद्र का कर्मचारी हरपाल सिंह व एक फोटोकापी करने वाली दुकान का मालिक बलजीत सिंह भी शामिल हैं। 

गिरोह का सरगना सूरज भंडारी हथियारों का लाइसैंस बनाने के लिए प्रति ग्राहक 1.50 लाख रुपए फीस लेता था जिसमें से वह कमीशन के रूप में 5-10 हजार रुपए फोटोकापी करने वाली दुकान के मालिक बलजीत सिंह को तथा 10-20 हजार रुपए सॢवस केंद्र के कर्मचारी हरपाल सिंह को देता था। उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि देश में जालसाजी की बुराई कितनी बढ़ रही है। विशेष रूप से यह बात ध्यान देने योग्य है कि यदि लोगों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हथियारों तक के लाइसैंस मिलने लगेंगे तो यह स्थिति सामाजिक सुरक्षा के लिए कितनी खतरनाक सिद्ध हो सकती है। अत: देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले ऐसे तत्वों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 


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