‘अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर’ श्रद्धालुओं की सुरक्षा के हों अचूक प्रबंध!

punjabkesari.in Friday, Jun 20, 2025 - 05:05 AM (IST)

जम्मू-कश्मीर में स्थित ‘श्री अमरनाथ जी’ की यात्रा करोड़ों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के सभी धर्मों के लोगों को एक भावात्मक बंधन में बांधने व भाईचारा मजबूत करने का  माध्यम भी है। इस यात्रा का वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। सर्दी, खराब मौसम, पहाड़ी मार्ग की कठिनाइयों, ऑक्सीजन की कमी, बरसात, फिसलन आदि समस्याओं के बावजूद श्रद्धालु भोले बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं। यात्रा मार्ग में ‘लखनपुर’ से गुफा तक 120 से अधिक स्वयंसेवी मंडलियों द्वारा लंगर लगाए जाते हैं जो रक्षाबंधन तक यहां श्रद्धालुओं के खाने-पीने, ठहरने, दवाओं आदि की सेवा करती हैं। 

22 अप्रैल को ‘पहलगाम’ में पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादियों द्वारा 26 हिंदू पर्यटकों की उनका धर्म पूछ कर निर्मम हत्या के बाद इस यात्रा में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रश्न चिन्ह लग गया था, परंतु सरकार द्वारा चलाए गए ‘आप्रेशन’ के अंतर्गत पाकिस्तान में अनेक आतंकी अड्डे के सफाए से लोगों का डगमगाया हुआ विश्वास पुन: लौट आया है। इस यात्रा को सुरक्षित और सुविधायुक्त बनाने के लिए जहां प्रशासन ने कमर कस ली है, वहीं इस बार यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की रजिस्ट्रेशन भी पिछले वर्ष का आंकड़ा पार कर गई है। पिछले वर्ष लगभग 3.5 लाख श्रद्धालुओं ने इस यात्रा पर आने के लिए एडवांस रजिस्ट्रेशन करवाई थी परंतु इस वर्ष 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली इस 38 दिवसीय यात्रा पर आने के लिए 17 मई तक ही साढ़े तीन लाख से अधिक श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करवा चुके थे। यात्रा के लिए केंद्र सरकार ने ‘सैंट्रल इंडस्ट्रीयल सिक्योरिटी फोर्स’ (सी.आई. एस.एफ.) की 580 कम्पनियां भेजी हैं, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस के अलावा यात्रा मार्ग पर भी तैनात रहेंगी। यात्रा के लिए पहला जत्था 2 जुलाई को रवाना होगा। 

यात्रा के लिए एक आधार शिविर जम्मू के भगवती नगर में ‘यात्री निवास’ में बनाया गया है जहां 2000 श्रद्धालु एक साथ ठहर सकते हैं तथा दूसरा आधार शिविर श्रीनगर के पंथा चौक में बनाया गया है जहां 6000 से अधिक श्रद्धालुओं के एक साथ ठहरने की व्यवस्था की गई है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए मोबाइल नैटवर्क, सफाई एवं भोजन आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल ‘मनोज सिन्हा’ जो ‘अमरनाथ श्राइन बोर्ड’ के अध्यक्ष भी हैं, ने 11 जून को पवित्र गुफा में विधि-विधान पूर्वक प्रथम पूजा की।  इसे वार्षिक ‘अमरनाथ यात्रा’ की पारंपरिक शुरूआत का प्रतीक माना जाता है। यात्रा शुरू होने में 15 दिन से भी कम समय रह गया है, ऐसे में सभी तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। ‘रामबन’ में बाढ़ से बहे राजमार्ग को भी दुरुस्त कर दिया गया है, विशेषकर वह इलाका जो पहाड़ से आए मलबे के कारण दब गया था। 

श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए प्रदेश के गृह विभाग तथा ‘श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड’ द्वारा 1 जुलाई से 10 अगस्त तक ‘पहलगाम’ व ‘बालटाल’ के दोनों यात्रा मार्गों को पहली बार ‘नो फ्लाइंग जोन’ घोषित कर देने के कारण इस बार यात्रा में ‘हैलीकॉप्टर सेवा’ नहीं मिलेगी। इस दौरान मानव रहित हवाई वाहनों, ड्रोन और गुब्बारों सहित किसी भी प्रकार की हवाई उड़ान पर प्रतिबंध रहेगा तथा श्रद्धालुओं को पैदल, पालकी या घोड़े पर ही यात्रा करनी होगी। यात्रा के आधार शिविर सुरक्षा बलों के विशेष दस्तों के अलावा सी.सी.टी.वी. कैमरों की निगरानी में रहेंगे और यात्रा मार्ग पर भी विशेष तैनाती रहेगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए उन्हें पहले की भांति ही ‘रेडियो फ्रीक्वैंसी आईडैंटीफिकेशन’ (आर.एफ.आई.डी) कार्ड से यात्रा करनी होगी जिसमें बीमा का लाभ उपलब्ध होगा और श्रद्धालुओं को ‘ट्रैक’ भी किया जा सकेगा। जहां तक प्रशासन का दावा है सब कुछ ठीक प्रतीत होता है लेकिन इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कहीं भी कोई कसर बाकी न रह जाए और यात्रियों की सुरक्षा के लिए अचूक प्रबंध किए जाएं ताकि वे इस यात्रा को सुरक्षित वातावरण में सम्पन्न करके अपने-अपने घरों को लौट सकें।—विजय कुमार 


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