कश्मीर घाटी में जारी है हिंसा और मारकाट का खूनी दौर

punjabkesari.in Wednesday, Apr 06, 2022 - 04:10 AM (IST)

केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धाराएं 370 और 35-ए रद्द करके वहां एक नए बदलाव की शुरूआत की गई तथा आतंकवाद के सफाए के लिए सुरक्षा बलों का अभियान तेज करने के कदम उठाए गए। इस दौरान घाटी में काफी समय तक इंटरनैट आदि सेवाएं भी बंद रहीं।

इन कदमों से घाटी में आतंकवादियों द्वारा की जाने वाली भारत विरोधी गतिविधियों में कमी आई थी परंतु अब अफगानिस्तान में तालिबान के सत्तारूढ़ होने के बाद तालिबानी आतंकियों और पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादियों ने इस क्षेत्र में एक बार फिर हिंसक घटनाएं बढ़ा दी हैं। 

इसी क्रम में यहां अशांति फैलाने के लिए उन्होंने तीन दशक पूर्व अपना घरबार छोड़ कर जाने वाले और अब यहां लौट कर आने के इच्छुक कश्मीरी पंडितों, स्थानीय अल्पसंख्यकों और प्रवासियों के साथ-साथ अपने मुसलमान भाई-बहनों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है जो हाल की निम्र घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 2 मार्च को आतंकवादियों ने कुलगाम जिले के कोलपोरा इलाके में एक पंच मोहम्मद याकूूब डार की गोली मारकर हत्या कर दी। 
* 6 मार्च को श्रीनगर शहर के अमीरा कदल इलाके में आतंकवादियों द्वारा किए ग्रेनेड हमले में एक वृद्ध असलम मखदूमी तथा एक 19 वर्षीय लड़की राफिया सहित 2 लोगों की हत्या कर दी। 

* 9 मार्च को उधमपुर जिले के सलाथिया चौक में एक अदालत परिसर के बाहर हुए धमाके में एक व्यक्ति की मौत और 15 अन्य घायल हो गए। 
* 11 मार्च को आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के मुरान गांव में जम्मू-कश्मीर बैंक के एक कर्मचारी पर गोलियां चलाईं जिससे वह घायल हो गया। 

* 11 मार्च को ही दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में शब्बीर अहमद मीर नामक सरपंच को आतंकवादियों ने मार डाला।
* 19 मार्च को उत्तर प्रदेश के एक राज मिस्त्री को गोली मार दी गई।
* 21 मार्च को तजामुल मोहिउद्दीन नामक व्यक्ति तथा पुलवामा जिले में एक बिहारी श्रमिक को गोली मार कर घायल कर दिया।
* 27 मार्च को आतंकवादियों ने पुलिस अधिकारी इशफाक अहमद और उसके भाई उमर जान की हत्या कर दी। 

* 3 अप्रैल को पुलवामा के लित्तड़ इलाके में आतंकवादियों ने पंजाब के 2 श्रमिकों सुरेन्द्र सिंह और धीरज दत्त की हत्या कर दी। इसी दिन पुलवामा के लाजूरा इलाके में आतंकवादियों ने एक अन्य हमले में जोखू व पल्टेश्वर नामक बिहारी पिता-पुत्र मजदूरों को गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। 
* 4 अप्रैल को श्रीनगर स्थित मैसूमा में कुछ आतंकवादियों ने वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों पर हमला करके सी.आर.पी.एफ. के 2 जवानों को घायल कर दिया जिनमें से एक की बाद में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। 

घाटी में सेना द्वारा चलाए जा रहे ‘आप्रेशन आल आऊट’ के दौरान गत तीन महीनों में 42 से अधिक आतंकियों के मारे जाने के बावजूद अभी भी सक्रिय 172 से अधिक आतंकी निर्दोषों का खून बहा रहे हैं। पाकिस्तान के पाले हुए ये आतंकी यहां के अल्पसंख्यकों के साथ-साथ प्रवासी लोगों को पलायन करने के लिए विवश करने के अलावा अपने ही भाई-बंधुओं की हत्या करके उनके परिवारों की मुश्किलें बढ़ा कर आखिर किसका भला कर रहे हैं? 

जम्मू-कश्मीर का मुख्य उद्योग पर्यटन ही है जो कई वर्ष ठप्प रहने के बाद अब दोबारा शुरू हुआ है परन्तु घाटी में अब हिंसा बढऩे से पर्यटकों के मन में भी यहां आने के प्रति डर पैदा होने लगा है और वे सोचने लगे हैं कि यहां आए या न आएं। यदि ऐसा हुआ तो यहां के घोड़े, पिट्ठू, पालकी, होटल, शिकारा और टैक्सियों वालों आदि की आय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अत: लोगों के मन में व्याप्त भय समाप्त करने के लिए घाटी में हालात सामान्य करके यहां जारी ङ्क्षहसा को रोकना, सीमा पर सतर्कता बढ़ाना तथा सुरक्षा प्रबंधों को और मजबूत करने की जरूरत है।—विजय कुमार


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News