‘जजों पर होने लगे हमले’ ‘आम जनता कैसे बचेगी?’

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2024 - 05:15 AM (IST)

हालांकि अदालतों का उद्देश्य सभी तरह के विवादों और लड़ाई-झगड़ों का निपटारा करना है, परन्तु पिछले कुछ समय से न्याय प्रक्रिया से जुड़े जजों  पर ही हमले हो रहे और उन्हें धमकियां दी जाने लगी हैं। स्थिति कितनी गंभीर होती जा रही है, यह निम्न चंद ताजा घटनाओं से स्पष्टï है :

* 1 अप्रैल को बांदा (उत्तर प्रदेश) में एक महिला सिविल जज को उनके आवास पर किसी व्यक्ति द्वारा रजिस्टर्ड डाक से भेजे पत्र में जान से मारने की धमकी देने का मामला सामने आया। 
* 6 सितम्बर को नासिक (महाराष्ट्र) में एक महिला और उसकी 2 बेटियों के विरुद्ध तलाक के मुकद्दमे की सुनवाई के दौरान एक पारिवारिक अदालत के जज पर हमला करने के आरोप में पुलिस ने केस दर्ज किया। 

* 8 सितम्बर को ‘दक्षिण 24 परगना’ (प. बंगाल) जिले के ‘डायमंड हार्बर’ सब-डिवीजन कोर्ट के 3 जजों ने अपने आवासीय क्वार्टरों के बाहर संदिग्ध नकाबपोशों को घूमते देखने के बाद अपनी और अपने परिवार की जान पर खतरे का अंदेशा जताते हुए जिला जज को पत्र लिख कर इसकी शिकायत की। 
* 27 अक्तूबर को कुख्यात गैंगस्टर ‘रवि काना’ के बड़े भाई ‘हरेंद्र प्रधान’ की हत्या के मामले में सुंदर भाटी व उसके गिरोह के लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाने वाले गौतम बुद्ध नगर (यू.पी.) के अपर जिला न्यायाधीश डा. अनिल कुमार की कार का जीप सवार 5 बदमाशों ने अलीगढ़ के खैर थाना क्षेत्र में पीछा किया।

डा. अनिल कुमार ने खुद को बदमाशों से घिरता देख ‘खैर’ थाना क्षेत्र की ‘सोफा’ पुलिस चौकी में घुस कर अपनी जान बचाई। 9 नवम्बर को थाना ‘खैर’ में दर्ज करवाई शिकायत में डा. अनिल कुमार ने कहा कि ‘‘5 अज्ञात व्यक्तियों ने मुझे आतंकित किया तथा मारने के इरादे से हमले की कोशिश की।’’ जज पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम करते हैं परंतु यदि उनको ही धमकियां मिलने लगें और उनका पीछा होने लगे तो आम जनता का क्या हाल होगा? अत: जजों को धमकियों तथा उन पर हमलों को किसी भी दृष्टि से बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार द्वारा ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करना और न्यायपालिका से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा के कड़े प्रबंध करना आवश्यक है।—विजय कुमार


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