देश में बढ़ रहे ‘एसिड अटैक’

punjabkesari.in Friday, Apr 24, 2015 - 02:03 AM (IST)

अपराधी तत्वों द्वारा विभिन्न अपराधों को अंजाम देने या निजी दुश्मनी निकालने के लिए भिन्न-भिन्न तरीके अपनाए जाते हैं और तेजाब द्वारा हमला ऐसा ही बेहद घिनौना और भयानक तरीका है। मार्बल तथा धातु को भी गला देने वाले ‘कंसैंट्रेटिड सल्फ्यूरिक एसिड’ की बिक्री पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है। 

नालियों व शौचालयों की सफाई के अलावा रंगाई, कांच, बैटरी बनाने व ऐसे कई अन्य उद्योगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है पर अब महिलाओं पर हमलों के हथियार के रूप में भी इसका खुला प्रयोग होने लगा है।
 
प्रति वर्ष देश में कम से कम 500 लोग तेजाबी हमलों के शिकार हो रहे हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं ही होती हैं। प्रेम संबंधों में असफलता, दहेज संबंधी विवाद, भूमि विवाद और चोरी-चकारी को लेकर ये हमले होते हैं। 
 
उत्तर प्रदेश में इसके सबसे अधिक मामले मिल रहे हैं। देश में 2014 में तेजाबी हमलों के कुल 310 केस दर्ज हुए जिनमें से 186 केस सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही दर्ज किए गए। हाल ही के चंद ऐसे मामले निम्र में दर्ज हैं : 
 
* 9 मार्च को गोरखपुर के बड़हलगंज इलाके में एक घर में घुसे बदमाशों ने चोरी करने में असफल रहने पर 2 महिलाओं पर तेजाब फैंक दिया जिससे एक महिला की मृत्यु तथा दूसरी गंभीर रूप से झुलस गई। 
 
* 30 मार्च को शाहजहांपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र के बाजीद खेल मोहल्ले में एक व्यक्ति ने अपने पुश्तैनी मकान पर कब्जा करने के लिए दूसरे पक्ष पर तेजाब से हमला कर दिया जिससे 7 लोग बुरी तरह झुलस गए।  
 
* 30 मार्च को ही गाजियाबाद में स्कूटर से ससुराल जा रहे व्यक्ति पर अज्ञात हमलावरों ने तेजाब फैंक दिया जिससे उसका 40 प्रतिशत शरीर झुलस गया। 
 
* 22 अप्रैल रात को महाराजगंज में एक मैरिज पार्टी में शामिल दूल्हे की कार पर तेजाबी हमले के परिणामस्वरूप कार में सवार 4 लोग बुरी तरह झुलस गए जिनमें से दूल्हे समेत 3 की हालत गंभीर है। 
 
* 22 अप्रैल रात को ही रायबरेली के गुडख़ेत मोहल्ला में मां, बेटी और दोहती पर तेजाबी हमले से तीनों बुरी तरह झुलस गईं। 
 22 अप्रैल को लोकसभा में गृह राज्यमंत्री हरि भाई चौधरी ने बताया कि, ‘‘गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित क्षेत्रों को तेजाबी हमला पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता और न्यूनतम 3 लाख रुपए राहत राशि देने के लिए कहा है तथा इसमें वृद्धि करके और 5 लाख रुपए राहत राशि प्रदान करने की योजना विचाराधीन है।’’
 
‘‘राज्य सरकारों को यह बात भी सुनिश्चित बनाने का आदेश दिया गया है कि सरकारी या प्राइवेट अस्पताल किसी भी तेजाबी हमला पीड़ित का इलाज करने से इंकार न करें। ऐसा करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए और किसी भी तरह की बहानेबाजी को स्वीकार न किया जाए।’’
 
राज्य सरकारों को यह भी कहा गया है कि ‘‘व्यापारियों द्वारा फोटो पहचानपत्र पेश करने वाले 18 वर्ष से ऊपर की आयु वालों को ही तेजाब बेचा जाए और तेजाब के प्रयोग का हिसाब भी रजिस्टर में दर्ज किया जाए।’’
 
इससे पूर्व 20 अप्रैल को गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव कुमार आलोक भी सभी राज्य सरकारों से तेजाबी हमले के दोषियों को गिरफ्तार करने में तेजी लाने के निर्देश दे चुके हैं। 
 
इस संबंध में दिल्ली स्थित ‘स्टाप एसिड अटैक कैम्पेन ग्रुप’ के आलोक दीक्षित का कहना है कि ‘‘जुलाई 2013 में भी सुप्रीमकोर्ट ने राज्यों को तीन महीने का समय तेजाब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए दिया था लेकिन तेजाब अभी भी आसानी से खरीदा जा सकता है।’’
 
‘‘न्यायालय ने यह भी कहा था कि पीड़ितों को 3 लाख रुपए राहत का एक तिहाई हिस्सा हमले के 15 दिनों के भीतर ही मिल जाना चाहिए परंतु ऐसा हो नहीं रहा, जबकि 100 में से भी सिर्फ 2 तेजाब हमला पीड़ित ही पूरी राहत राशि प्राप्त करने में सफल हुई हैं।’’
 
तेजाबी हमलों की शिकार महिलाओं की जिंदगी नरक बनकर रह जाती है। अत: जरूरत इस बात की है कि न सिर्फ सरकार तेजाबी हमलों के दोषियों को कठोरतम दंड दे बल्कि पीड़िताओं को यथाशीघ्र चिकित्सा, राहत राशि और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए क्योंकि किसी सामान्य व्यक्ति के लिए इसका इलाज करवा पाना उसके वश से बाहर की बात है।

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