भारत में ‘जनसंख्या विस्फोट’ और निष्क्रिय परिवार नियोजन कार्यक्रम

punjabkesari.in Wednesday, Jan 07, 2015 - 03:54 AM (IST)

इस समय भारत गंभीर ‘जनसंख्या विस्फोट’ का सामना कर रहा है। इसकी जनसंख्या 125 करोड़ से अधिक हो चुकी है। भारत दुनिया का पहला देश है जिसने 1950 में ही परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू कर दिए थे परन्तु इसे सुचारू रूप से न चलाने के कारण लक्ष्य प्राप्त करने में यह अभियान असफल रहा।

1975 में इंदिरा के छोटे बेटे संजय ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों-महिलाओं की नसबंदी व नलबंदी का अभियान शुरू करवाया था पर कार्यान्वयन में कुछ गलतियां होने से यह कांग्रेस की बदनामी का ही कारण बन गया।

संजय का विचार बुरा नहीं था पर नसबंदी-नलबंदी करने व करवाने वालों के लिए नकद राशि प्रोत्साहन स्वरूप देने व अधीनस्थ कर्मचारियों के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का उलटा नतीजा निकला। पैसे के लालच में कुछ स्थानों पर ज्यादतियां हुईं जिससे लोगों में गलत संदेश गया व चुनावों में कांग्रेस हार गई।

बाद में आने वाली किसी सरकार ने चिमटी से भी इस समस्या को नहीं छुआ और यह समस्या बढ़ती चली गई। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार द्वारा देश में गरीबों के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याण योजनाओं का लाभ बढ़ती हुई जनसंख्या निगलती ही चली जा रही है।

इससे भी बड़ी विडम्बना यह है कि आज पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी अब सरकार द्वारा चलाए जा रहे नसबंदी और नलबंदी कार्यक्रमों से मुंह मोडऩे लगी हैं। नलबंदी की तुलना में नसबंदी की प्रक्रिया अधिक सुगम होने के बावजूद हमारे पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को ही इसके लिए आगे किया जाता है।

स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं का भी कहना है कि नसबंदी के लिए पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को नलबंदी के लिए राजी करना ज्यादा आसान है जबकि जनसंख्या योजनाकारों के अनुसार समाज का गरीब वर्ग आज भी सहारे व परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए ज्यादा बच्चे पैदा करने को अधिमान देता है।

इसी कारण देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम लगभग निष्क्रिय होकर रह गया है। इसके साथ ही सरकार द्वारा आयोजित नलबंदी आप्रेशनों में हो रही लापरवाही पर भी अंकुश लगाना चाहिए जिस कारण आप्रेशनों के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं की मृत्यु हो रही है। इससे भी परिवार नियोजन अभियान को धक्का लग रहा है।    


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