अधिक बच्चे पैदा करने के बारे में 2 नेताओं के ‘बेतुके’ बयान

punjabkesari.in Friday, Jan 12, 2024 - 05:27 AM (IST)

7 जनवरी को कर्नाटक के उडुपी से भाजपा विधायक ‘हरीश पूंजा’ ने एक धार्मिक समारोह में यह बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया कि ‘‘यदि हिंदू सिर्फ एक या दो बच्चे पैदा करते हैं तो यह काफी नहीं होगा तथा भारत में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से अधिक हो जाएगी।’’ 

‘‘कुछ लोग सोचते हैं कि भारत में हिंदुओं की आबादी 80 करोड़ और मुसलमानों की आबादी सिर्फ 20 करोड़ है लेकिन आपको दूसरी दिशा में सोचने की जरूरत है। मुसलमान 4-4 बच्चे  पैदा कर रहे हैं और हम (हिंदू) ज्यादातर एक या दो बच्चे पैदा करते हैं। यदि 20 करोड़ मुसलमान 4-4 बच्चे पैदा करें तो उनकी आबादी बढ़कर 80 करोड़ हो जाएगी तथा हमारी आबादी घटकर 20 करोड़ रह जाएगी।’ इसी प्रकार 9 जनवरी को राजस्थान की भाजपा सरकार में मंत्री ‘बाबू लाल खराड़ी’ ने उदयपुर की एक सभा में एक बेतुका बयान देते हुए कहा, ‘‘लोगों को खूब बच्चे पैदा करने चाहिएं। मकान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देंगे और गैस भी सस्ती मिलेगी क्योंकि प्रधानमंत्री का सपना है कि कोई भी भूखा और सिर पर छत के बिना नहीं रहेगा तो फिर चिंता किस बात की!’’ 

मंत्री ‘बाबू लाल खराड़ी’ का यह ‘सुझाव’ सुन कर सभा में मौजूद मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे तथा लोग हंसने लगे। उल्लेखनीय है कि ‘बाबू लाल खराड़ी’ के 2 पत्नियों से 4 बेटियों तथा 4 बेटों सहित 8 बच्चे हैं। आज के हालात में दोनों ही बयान किसी भी दृष्टि से प्रासंगिक और सही नहीं हैं। जहां भारत गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई आदि समस्याओं से जूझ रहा है, वहीं एक बड़ी समस्या जनसंख्या विस्फोट भी है। स्वतंत्रता के समय भारत की आबादी लगभग 34 करोड़ थी, जो अब बढ़ कर लगभग 140 करोड़ हो गई है। इसी को देखते हुए 1975 में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने परिवार नियोजन अभियान शुरू करवाया था और इसे बढ़ावा देने के  लिए ‘हम दो, हमारे दो’ का नारा दिया गया था। 

इससे पहले 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ नारा दिया था। इसमें देश की रक्षा में जवान (सैनिकों) एवं देश का अन्न भंडार भरने में योगदान के लिए किसान के श्रम का महत्व बताया गया था। उल्लेखनीय है कि उन दिनों देश अन्न संकट के कारण अनाज के लिए अमरीका जैसे देशों पर निर्भर था। इन दिनों शिक्षा के प्रसार के कारण लोग शादियां बड़ी उम्र में करने के अलावा बच्चे भी कुछ देर से ही पैदा कर रहे हैं और अधिकांश दम्पति अब 1 या अधिकतम 2 बच्चों को ही अधिमान देते हैं ताकि बच्चों की शिक्षा-दीक्षा तथा परवरिश भी अच्छी तरह हो तथा महिलाओं का स्वास्थ्य भी ठीक रहे। 

कम बच्चे होने के कारण परिवार में खुशहाली भी आती है। यही कारण है कि अब पढ़े-लिखे मुसलमान दम्पति भी एक ही विवाह करने और बच्चे भी एक या दो पैदा करने को ही अधिमान देने लगे हैं। चूंकि जनसंख्या वृद्धि का एक बड़ा कारण निरक्षरता है, इसलिए अनपढ़  ही, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, अधिक बच्चे पैदा करते हैं। इससे जीवन- यापन में कठिनाई होने के साथ-साथ उनकी आयु भी कम हो जाती है। कम बच्चे होने से न सिर्फ पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होने से बच्चों का भविष्य भी उज्ज्वल बनेगा तथा देश तेजी से आगे बढ़ेगा। 

भारत जैसे देश में जहां बड़ी संख्या में जनता गरीबी रेखा से नीचे रहती है, यदि लोग जनसंख्या विस्फोट से पैदा होने वाले खतरे को महसूस करें और इसे रोकने के लिए ईमानदारीपूर्वक प्रयास करें तो बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों से कुछ हद तक बचा जा सकता है। इसी बीच ‘क्रेडाई लाइसिस फोरास’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘‘लगातार बढ़ रही जनसंख्या की मांग को पूरा करने के लिए देश में 2036 तक अतिरिक्त 6.4 करोड़ मकानों की जरूरत पड़ेगी।’’ उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए चंद नेताओं के अधिक बच्चे पैदा करने की सलाह देने वाले बयानों पर लोगों को ध्यान नहीं देना चाहिए। मकान बनेंगे तो खेती की जमीन भी घेरेंगे, जिससे फसलों की उपज प्रभावित होगी। अत: सभी दलों को अपने नेताओं को इस तरह के अप्रासंगिक बयान देने से सख्तीपूर्वक रोकना चाहिए।—विजय कुमार


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