''इच्छामृत्यु'' पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में गूंजा बिग बी का ये गाना

punjabkesari.in Saturday, Mar 10, 2018 - 04:28 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में असाध्य रोग से ग्रस्त मरीजों की स्वेच्छा से मृत्यु वरण की वसीयत को मान्यता दे दी लेकिन उसने इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश प्रतिपादित किए हैं जो इस संबंध में कानून बनने तक प्रभावी रहेंगे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि असाध्य बीमारी की अवस्था में इच्छामृत्यु के लिए पहले से वसीयत लिखने की अनुमति है। संविधान पीठ ने गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट में इस मामले पर काफी लंबी बहस भी चली।
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कोर्ट ने अपनी बात को समझाने के लिए कई बड़े विद्वानों का जिक्र किया। कोर्ट ने 'इच्छामृत्यु' के सभी पहलुओं को समझाने के लिए गौतम बुद्ध, महात्मा गांधी और विश्व के तमाम विद्वानों द्वारा कही गई बातों का उल्लेख किया। मामले की सुनवाई के बीच दिलचस्प मोड़ तब आया जब कोर्ट ने इच्छामृत्यु को समझाने के लिए बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के एक गाने के बोल पढ़े। कोर्ट बिग बी की फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' के गाने 'वो मुकद्दर का सिकंदर जानेमन कहलाएगा' गुनगुनाया। कोर्ट ने कहा कि सम्मान के साथ मरना हर इंसान का हक है, इसलिए जब मौत करीब होती है तो वह शांत होकर मरना चाहता है।

बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ए.के. सिकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण ने मिलकर यह फैसला सुनाया। इन सभी न्यायाधीशों ने चीफ जस्टिस के फैसले में लिखे दिशा-निर्देशों से सहमति व्यक्त की है। संविधान पीठ ने अपने दिशा निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया है कि इस वसीयत का निष्पादन कौन करेगा और किस तरह से मेडिकल बोर्ड स्वेच्छा से मृत्यु वरण के लिए स्वीकृति प्रदान करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि लाइलाज बीमारी से ग्रस्त मरीज के मामले में उसके निकटतम मित्र और रिश्तेदार पहले से ही निर्देश दे सकते हैं और इसका निष्पादन कर सकते हैं। इसके बाद मेडिकल बोर्ड इस पर विचार करेगा।


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