भारत-जापान की दोस्ती पर चीन की बौखलाहट फिर आई सामने, पूर्वोत्तर में निवेश पर बिफरा

punjabkesari.in Friday, Sep 15, 2017 - 08:32 PM (IST)

पेइचिंगः चीन को भारत और जापान की दोस्ती रास नहीं आ रही है। निवेश पर दोनों देशों की साझेदारी होने पर बौखलाहट में उसने जापान को नसीहत दी थी कि वे साझेदारी करें, गठजोड़ नहीं। अब एक बार फिर से चीन भारत के पूर्वोत्तर इलाकों राग अलापा है। चीन ने कहा कि वह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जापान सहित किसी भी विदेशी निवेश का विरोध करता है और भारत के साथ अपने सीमा विवाद को सुलझाने में किसी तीसरे पक्ष के शामिल होने के खिलाफ है।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'आपने ऐक्ट ईस्ट नीति का भी जिक्र किया है। आपको यह स्पष्ट होना चाहिए कि भारत और चीन सीमा क्षेत्र की सीमा पूरी तरह निर्धारित नहीं है।

हमारे बीच सीमा के पूर्वी खंड पर मतभेद है। हम बातचीत के जरिए ऐसे समाधान की तलाश कर रहे हैं जो दोनों पक्षों को मंजूर हो। ऐसी हालात में में विभिन्न पक्षों को इन पहलुओं का सम्मान करना चाहिए और विवादों को हल करने के हमारे प्रयासों में किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।'

गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता है और उस पर दावा करता है। गुरुवार को भारत और जापन के बीच हुए समझौतों में पूर्वोत्तर भारत भी शामिल है। दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में दक्षतापूर्ण और प्रभावकारी रूप से कनेक्टिविटी बढ़ाने और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने पर सहमति बनी है।

चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, 'स्पष्ट तौर पर कहूं तो हम जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा पर करीब से नजर रख रहे हैं। मैंने साझा बयान को बेहद सावधानी के साथ पढ़ा है, लेकिन मुझे बयान में कहीं भी चीन का जिक्र नहीं दिखा।'

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और जापान के बीच नजदीकी संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व के हित में होंगे। हुआ ने कहा, 'मुझे यह भी कहना चाहिए कि भारत और जापान एशिया के महत्वपूर्ण देश हैं। हमें उम्मीद है कि संबंधों का सामान्य विकास क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए हितकर होगा। 
 


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