PIX: मनाली में स्थित है गर्म जलकुंड, जिसमें स्नान करने से ठीक होते हैं चर्म रोग

punjabkesari.in Sunday, Oct 16, 2016 - 12:48 PM (IST)

हिमाचल में कुल्लू-मनाली को एक पर्यटन स्थल के रुप में जाना जाता है।  कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य मणिकर्ण बसा है। मणिकर्ण समुद्र तल से 6000 फुट की ऊंचाई पर बसा है। यह हिंदुअों अौर सिक्खों का एक पवित्र तार्थस्थल है। माना जाता है कि सिखों के पहले गुरु नानक देव अपने साथी मर्दाना के साथ यहां आए थे। यहां मंदिर व गुरुद्वारे के विशाल भवनों से लगती हुई पार्वती नदी बहती है, जिसका वेग रोमांचित करने वाला होता है। नदी का पानी बर्फ के समान ठंडा है। नदी की दाहिनी ओर गर्म जल का उबलता स्रोत है।

 

मणिकर्ण में एक ऐसा स्थान है, जहां से उबलता हुआ पानी बाहर निकलता है। कहा जाता है कि यहीं पर शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिए मणि फैंकी थी। यहां पर चर्म या गठिया रोगों से ग्रसित लोग आते हैं अौर स्वास्थ्य सुख पाते हैं। माना जाता है कि यहां के गर्म जल में कुछ दिन स्नान करने से ये रोग ठीक हो जाते हैं। 

 

शेषनाग ने मणि क्यों फैंकी इससे संबंधित भी एक कथा है। माना जाता है कि मणिकर्ण पर भोलेनाथ अौर माता पार्वती ने हजारों सालों तक तपस्या की थी। एक बार माता पार्वती स्नान कर रहे थे, उस समय उनके कान के गहने की मणि जल में गिर गई। स्नान के पश्चात माता पार्वती को मणि नहीं मिली तो उन्होंने भोलेनाथ से कहा। भगवान शिव ने अपने गणों से मणि को तलाश करने को कहा। गणों के बहुत प्रयास करने के बाद भी उन्हें मणि नहीं मिली। जब मणि नहीं मिली तो भगवान शिव को क्रोधित हो गए अौर उनका त्रिनेत्र खुल गया। जिसमें से नैना देवी नामक शक्ति प्रकट हुई। नैना देवी ने अपनी दिव्य दृष्टि से बताया कि मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास है। 

 

देवताअों अौर शिव के गणों ने शेषनाग से प्रार्थना की कि वे माता पार्वती को मणि वापिस कर दें। कहा जाता है कि भगवान शिव के क्रोध से भयभीत होकर शेषनाग ने मणि लौटाते समय फुंकार मारी थी, जिससे उस स्थान से गर्म पानी की धारा निकली जो आज भी निकल रही है। इसका जल इतना गर्म होता है कि आलू, चावल आदि मिनटों में पक जाते हैं। यहां हर साल इस अद्भुत नजारे को देखने लाखों श्रद्धालु आते हैं। 

 

यहां एक प्रसिद्ध राम मंदिर है। कहा जाता है कि यहां एक प्रतिमा अयोध्या से लाकर स्थापित की गई थी। इसके अतिरिक्त यहां और भी कई मंदिर हैं। यहां की वैली को पार्वती वैली कहा जाता है। 


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