महाराष्ट्र की पहाड़ियों के बीच बसा यह स्थान पर्यटकों का मोह लेता है मन

punjabkesari.in Monday, Jan 01, 2018 - 01:18 PM (IST)

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में स्थित विजयदुर्ग, मुंबई से 485 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह पूर्व में घेरिया के नाम से जाना जाता था। एक तरफ अरब सागर और दूसरी ओर सहयाद्री पहाड़ियों के बीच बसा यह स्थान पर्यटकों का मन मोह लेता है। मराठा शासन के दौरान, विजयदुर्ग शहर और पूरे सिंधदुर्ग जिले ने एक नौसेना बेस के रूप में सेवा की। आज भी यह एक कार्यरत बंदरगाह है। व्यस्त सप्ताहांत के बाद तनावमुक्ति के लिए विजयदुर्ग एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में पर्यटकों को लुभाता है। 

 

विजयदुर्ग, विजयदुर्ग किले के लिए प्रसिद्ध है जिसे ‘विक्टर फोर्ट’ के नाम से भी जाना जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन के दौरान इसका निर्माण हुआ था। यह 300 से अधिक साल पहले 17वीं सदी में बनाया गया था। इसे ‘घेरिया किला’ भी बुलाया जाता है क्योंकि यह तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है। यह किला विदेशी दुश्मन के लिए भी अजेय था। 

 

किले की दीवारें तीन परतों की और इसके आसपास कई टावर तथा इमारतें किले को अजेय बनाती हैं। यह 17 एकड़ के क्षेत्र पर फैला है। भारी पैमाने पर बनाए गए इस किले पर एक समय अंग्रेजों द्वारा कब्जा कर लिया गया था, जिन्होंने इस किले को फोर्ट अगस्टस या ओशियानिक किले के नाम से पुन: नामकरण कर दिया था। अछूते तटों, ऐतिहासिक किलों के साथ विजयदुर्ग पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल है। यहां समुद्र तट पर नारियल और पाम के पेड़ एक हरे जंगल के रूप में स्थित हैं। गर्मी में रसदार अलफांसो आम की खुशबू पूरे क्षेत्र को सुगंधित करती है। लाल लकड़ी और पत्तों वाली छत्तों के बने मकान यहां की सुंदरता बढ़ाते हैं। वास्तुकला उत्साही, इसकी सदियों पुरानी संरचना की ओर अभी भी लोग आकर्षित होते हैं और आगंतुक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

 

क्या है खास?
आप विजयदुर्ग के शहर की यात्रा स्थानीय स्वाद लिए बिना नहीं कर सकते हैं। जब आप यहां हैं तब ‘मालवनी करी’ चखने की अवश्य कोशिश करनी चाहिए। सोल कढ़ी एक और आइटम है जिसे भूला नहीं जा सकता। यहां के लोग स्नेही और मेहमाननवाज हैं। रहने की जगह एक समस्या नहीं होनी चाहिए। यदि आप गर्मी के मौसम के दौरान विजय दुर्ग की यात्रा पर हों तो ताजा और रसदार अल्फांसो आम और कटहल खाना मत भूलिएगा। यहां पर काजू फैक्टरी भी है इसकी यात्रा से आपको पता लगता है कि कैसे यहां काजू संसाधित होता है। 

 

कब जाएं?
विजयदुर्ग में अद्र्ध-उष्णकटिबंधीय जलवायु वर्ष भर मौसम सुहाना बनाती है। गर्मी के मौसम के दौरान बढ़ते तापमान की गर्मी के कारण आमतौर पर यात्रा न करने की सलाह दी जाती है। मानसून में प्रचुर वर्षा इस क्षेत्र की सुंदरता बढ़ाती है। इस जगह की यात्रा के लिए सर्दियां सबसे अच्छा समय है क्योंकि तब यहां तापमान ठंडा और सुखदायक होता है। इस छोटे से शहर की पेशकश का आनंद लेने का सबसे अच्छा समय यही है।

 

कैसे पहुंचें?
विजय दुर्ग महाराष्ट्र के सभी भागों से आसानी से सुलभ है और बाहर से भी है। यदि आप हवाई यात्रा कर रहे हैं, पणजी निकटतम हवाई अड्डा के रूप में आता है जहां से आप एक छोटी यात्रा एक टैक्सी द्वारा शुरू कर सकते हैं। अगर ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो कुडाल और राजापुर स्टेशनों में से कहीं भी उतर सकते हैं। विजयदुर्ग सभी प्रमुख शहरों से जैसे पुणे, मुंबई तथा कई ओर से अच्छी तरह से सड़क मार्ग से राज्य के स्वामित्व वाली या निजी बसों के माध्यम से जुड़ा है। महाराष्ट्र सरकार ने विजयदुर्ग के शहर को पर्यटन के विकास की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित किया है। यदि आप वास्तुकला के शौकीन हैं या बस एक उत्सुक यात्री जो देश के इस चमत्कार से गर्व महसूस करते हैं तो विजयदुर्ग की यात्रा इसमें मदद करेगी।
 


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