समुद्री और प्राकृतिक नजारों से भरपूर श्रीलंका की सैर कर यात्रा को बनाइए अविस्मरणीय

punjabkesari.in Friday, Jul 07, 2017 - 02:57 PM (IST)

श्रीलंका में अनेक लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं जिनमें से एक है त्रिन्कोमाली। किसी वक्त लिट्टे विद्रोहियों के गढ़ रहे जाफना से कोई 100 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान लंबे चले गृह युद्ध के पश्चात श्रीलंका के प्रमुख पर्यटन स्थल का दर्जा हासिल करता जा रहा है। त्रिन्कोमाली का प्रमुख आकर्षण तट के साथ लगते समुद्र में डॉल्फिन मछलियों की अद्भुत कलाबाजियां हैं। कह नहीं सकते कि कब समुद्र में अचानक इन शानदार मछलियों का झुंड छलांगें लगाते हुए तैरता दिखाई दे जाए। पानी में से ऊपर हवा में सीधी छलांग और गिरते हुए हवा में घूमने का करतब ये कब दिखा दें कुछ कह नहीं सकते। ये कुछ ऐसे नजारे हैं जो श्रीलंका यात्रा को अविस्मरणीय बना देते हैं। 

त्रिंकोमाली एक बंदरगाह शहर है जिसे प्राचीन काल में गोकर्ण नाम से जाना जाता था। तब यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र था। 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने यहां एक दुर्ग का निर्माण किया जिस पर बाद में डच उपनिवेशवादियों ने कब्जा कर लिया। इसे और मजबूत बना कर उन्होंने इसका नाम फोर्ट फ्रैड्रिक रखा। 1795 में इस पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। त्रिन्कोमाली के करीब समुद्र में खड़ी चट्टानों के मध्य एक विशाल दरार है। मान्यता है कि यह दरार रावण की तलवार के यहां गिरने पर बनी थी। यहां स्वामी रॉक के ऊपर शिव जी की एक विशाल प्रतिमा मशहूर कोनेस्वरण मंदिर में स्थापित है। 1 हजार स्तंभों वाले मूल मंदिर को पुर्तगालियों ने ध्वस्त कर दिया था। 1954 में एक विदेशी खोजी ने एक अभियान के दौरान इसके अवशेषों का पता 
लगाया था। 

फोर्ट फ्रैड्रिक में यह पुनर्निर्मित मंदिर स्थित है। इस दुर्ग के करीब ही है कन्निया नामक स्थान है जहां गर्म जल के सात फव्वारे हैं। 2 घंटे की यात्रा करके अनुराधापुरा जिले में हाबर्ना नामक स्थल पर पहुंच सकते हैं। श्रीलंका में सफर करना बहुत कुछ केरल में सफर करने जैसा प्रतीत होता है परंतु अच्छी बात है कि वहां पर न तो यहां जैसी भीड़भाड़ है और न ही शोर-शराबा। इस देश की स्वच्छता चकित करती है और सड़क पर मुरम्मत की वजह से लंबे ट्रैफिक जाम के बावजूद आपको गाड़ियों का एक भी हॉर्न सुनाई नहीं देता है।

श्रीलंका के लोग अत्यंत शांत स्वभाव तथा खुशनुमा व्यक्तित्व के हैं। कुछ ऐसा ही शांत माहौल हाबर्ना के सिनामोन लॉज रिसोर्ट में दिखाई देता है। यह सुंदर ईको रिसोर्ट 27 एकड़ में फैला है जहां 1700 वृक्ष हैं। यह 155 प्रजाति के पक्षियों का आवास भी है। पक्षी निहारने में रुचि रखने वालों के लिए यहां विशेष इंतजाम हैं। रिसोर्ट के अनुभवी प्रकृतिविद् पर्यटकों को विभिन्न प्रकार के पक्षियों को करीब से देखने में मदद करते हैं। हाबर्ना में ही सुंदर गुफाएं भी हैं। इन गुफाओं में सुंदर बौद्ध प्रतिमाएं  तथा चित्र बने हुए हैं। बाहर से भी ये गुफाएं बेहद सुंदर हैं और यहां तक पहुंचने के लिए 200 सीढिय़ों को चढऩे की थकान तुरंत खत्म हो जाती है। 

सिगिरिया भी श्री लंका का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। ईसा पूर्व तीसरी सदी में इसकी शुरूआत एक बौद्ध मठ के रूप में हुई थी। ईस्वी बाद पांचवीं सदी में राजा कश्यप ने अपने भाई मगल्लाना को सत्ताच्युत करने के बाद यहां अपना महल बनवाया ताकि वह किसी भी हमले से सुरक्षित रह सके। बाद में मगल्लाना ने युद्ध में कश्यप को मार कर उसके महल को तहस-नहस कर दिया और यह स्थान फिर से बौद्ध मठ बन गया। पहाड़ी पर स्थित इस पठार तक पहुंचने के लिए 1200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। ऊपर से आस-पास का शानदार नजारा सारी थकान मिटा देता है।


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