ऐसे जाना जा सकता है फॉरेन ट्रैवल करेंगे या बसेंगे

punjabkesari.in Monday, Jun 05, 2017 - 10:23 AM (IST)

विदेश यात्रा या विदेश में रोजगार मिलना हर क‌िसी के सोचने या चाहने से नहीं होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ऐसा उन्हीं के ल‌िए संभव होता है ज‌िनकी कुण्डली में कुछ खास ज्योतिषीय योग हों।  कुछ समय पहले तक फॉरेन ट्रैवल करना बड़ा ही कठिन व खर्चीला माना जाता था। लेकिन अब फॉरेन ट्रैवल को समृद्धिकारक माना जाता है व भारत का हर दूसरा व्यक्ति फॉरेन ट्रैवल करना अपनी शान समझता है। लोग विदेश में भौतिक संपदा की वृद्धि के लिए ही नहीं जाते, वरन् अपनी शैक्षिक उन्नति, बीमारी के इलाज के लिए, नौकरी में डेपुटेषन पर और अध्यात्म के प्रचार-प्रसार के लिए भी जाते हैं। मोर्डेन टाइम में फॉरेन में ट्रैवल या फॉरेन में नौकरी सक्सैस और भाग्यशाली होने का प्रमाण माना जाता है इसल‌िए हर व्यक्त‌ि चाहता है क‌ि उसे फॉरेन ट्रैवल का मौका म‌िले और फॉरेन में नौकरी, विदेश में बिज़नैस में कामयाब होने का अवसर प्राप्त हो। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताते हैं की ऐसे क्या कारण है जिससे व्यक्ति विदेश में यात्रा या विदेश से रोजगार कमाता है।


ज्योतिषशास्त्र के अनुसार फॉरेन ट्रैवल या फॉरेन में नौकरी या रोज़गार का विचार करते समय यह तथ्य ध्यान में रखें जाते हैं। नवें भाव से लंबी यात्रा देखी जाती है। इसके साथ द्वादश भाव का मुख्य ध्येय विदेश गमन और विदेश में रहने के लिए होता है। अष्टम भाव: जल अथवा समुद्री यात्रा का कारक होता है। द्वादश भाव विदेश यात्रा तथा समुद्री यात्रा का कारक होता है। सप्तम भाव व्यावसायिक यात्रा का कारक होता है। नवम भाव: लंबी यात्राओं का कारक होता है। तृतीय भाव छोटी यात्राओं का कारक होता है। समुद्र से फॉरेन ट्रैवल के लिए चंद्रमा और बृहस्पति को देखा जाता है। एयरप्लेन से फॉरेन ट्रैवल के लिए शनि व राहु को देखा जाता है। 


एस्ट्रोलौजी में फॉरेन ट्रैवल की कंडिशन को पाप ग्रहों यानी शन‌ि, मंगल, राहु व केतु से देखा जाता है साथ-साथ कुंडली में चौथे व बाहरवें भाव या उनके स्वामियों के आपसी संबंध से देखा जाता है। यानी ये देखा जाता है किस राश‌ि के स्वामी से विदेश में स्थायी रूप से रहने का योग बनता है। इस योग के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव आवश्यक माना गया है। यानी उस घर में कोई भी पाप ग्रह स्‍थ‌ित हो या उसकी दृष्ट‌ि हो। सातवें व बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का परस्पर संबंध जातक को विवाह के बाद विदेश लेकर जाता है। यह योग कुंडली में हो तो व्यक्ति विदेश में शादी कर के या किसी विदेशी मूल के व्यक्ति से शादी करने के बाद वीजा पाने में सफलता पाता है। पांचवे व बाहरवें भाव के साथ उनके स्वामियों का संबंध शिक्षा के लिए विदेश जाने का योग बनता है। इस योग में जातक पढ़ने के लिए विदेश जा सकता है।


एस्ट्रोलौजी में फॉरेन में नौकरी या बिजनैस में दसवें व बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का संबंध व्यक्त‌ि को विदेश से व्यापार या नौकरी के अवसर देता है। चतुर्थ और नवम भाव का संबंध जातक को पिता के व्यापार के कारण या पिता के धन की सहायता से विदेश ले जा सकता है। नवम व बाहरवें भाव का संबंध व्यक्त‌ि को व्यापार या धार्मिक यात्रा के लिए विदेश ले जा सकता है। इस योग में जातक का पिता भी विदेश व्यापार या धार्मिक वृतियों से संबंध रखता है। लग्नेश सप्तम भाव में हो तो भी जातक विदेश जा कर रह सकता है। राहु व चंद्र का योग किसी भी भाव में हो जातक को अपनी दशा में विदेश या जन्म स्थान से दूर ले कर जा सकता है। इन सब योगों के साथ-साथ कुंडली में अच्छी दशा होना अनिवार्य है, अन्यथा यह योग या तो फलीभूत नहीं होते या फिर जातक को विदेश जाने पर हानि व अपमान का सामना करना पड़ता है।


भृगु संहिता शास्त्रनुसार चंद्र यदि एकादश भाव में हो, तो जातक प्रेम विवाह करता है और विदेश में रहता है। तथा लग्न स्थित सूर्य जातक को विदेश ले जाता है। शास्त्र फलदीपिका के अनुसार नवम भाव स्थित चंद्रमा जातक के विदेश जाने का कारण माना गया है। वृहद् पाराशर होरा शास्त्रनुसार यदि शुक्र ग्रह चंद्र से छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो, तो जातक विदेश यात्रा करता है। और यदि केतु सूर्य से छठे, आठवें या बारहवें स्थान में हो, तो सूर्य की दशा और केतु की भुक्ति में जातक विदेश जाता है। तथा यदि उच्च का गुरु हो, या स्वगृही गुरु हो, जो लग्न से केंद्र, या त्रिकोण में हो, तो राहु की दशा और गुरु की भुक्ति में जातक विदेश जाता है और पश्चिम दिशा के देशों की यात्रा करता है। तथा यदि राहु की दशा में केतु, या सूर्य की भुक्ति हो, तो भी जातक विदेश यात्रा करता है। 


नोट: यह लेख परिकल्पित स्थिति को देखकर लिखा गया है। जन्मकुंडली में फॉरेन ट्रैवल या फॉरेन में नौकरी या बिजनैस के मौकों को चौथे, सातवें आठवें दसवें व बरवें भाव के स्वामियों की ठीक करके या उपाय से बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए लाल किताब के कुछ उपाय, रुद्राक्ष व जेमस्टोन व मंत्र अनुष्ठान की साहयता ली जाती है।

 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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