आज का श्राद्ध करें कल: पितर होंगे मुक्त, मिलेगा हजारों गुणा अधिक पुण्यफल

punjabkesari.in Saturday, Sep 16, 2017 - 10:48 AM (IST)

अन्य एकादशियों के व्रत से तो मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष में आई एकादशी से अन्य दिनों की अपेक्षा हजारों गुणा अधिक पुण्यफल एवं सभी प्रकार के सुखों की प्रप्ति भी होती है। श्राद्घ एकादशी व्रत के प्रभाव से तो सात पीढिय़ों तक के पित्तरों का उद्धार हो जाता है। अनेक शास्त्रों में श्राद्घ कर्म में अन्न दान की महिमा कही गई है, इसी कारण किसी भी श्राद्घ में ब्राह्मण को भोजन कराए जाने का विधान है।

इंदिरा एकादशी कल: इस विधि से करें व्रत, पितर होंगे प्रसन्न

इंदिरा एकादशी व्रत कथा: पितरों को मिलेगी नरक से मुक्ति


नारदपुराण के अनुसार एकादशी को अन्न का सेवन एवं दान करना निषेध माना गया है। श्राद्घ में खीर का अधिक महात्मय है परंतु एकादशी में श्राद्घ करने पर चावल की खीर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जौं और काले तिलों से तर्पण करना न भूलें तथा गाय, कौवे और कुत्ते को रोटी जरुर खिलाएं तथा संध्या के समय चीटिंयों के बिलों पर भी चावल अथवा आटा आदि डालें।


एकादशी का श्राद्घ द्वादशी को करें- अमित चड्डा का कहना है कि जिन लोगों ने अपने पितरों का एकादशी का श्राद्घ करना है, वह द्वादशी को श्राद्घ कर सकते हैं क्योंकि एकादशी में अन्न का सेवन एवं दान, दोनों ही वर्जित माने गए हैं जबकि श्राद्घ कर्म में अन्न दान की ही महिमा शास्त्रों में कही गई है। 


उन्होंने कहा कि सनन्तकुमारसंहिता में भी एकादशी को अन्न दान करना वर्जित बताया गया है तथा अन्न का सेवन करने वालों के अनेकों दोषों का उल्लेख भी किया गया है। ऐसे में श्री चड्डा का कहना है कि जिन लोगों के अपने किसी प्रियजन का श्राद्घ एकादशी तिथि में करना हो तो वह द्वादशी में अन्न दान करके उनके निमित्त श्राद्घ करके पुण्य के भागी बन सकते हैं तथा अपने पितरों को तृप्त करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। गौड़ीय वैष्णव व्रतोत्सव निर्णय पत्रम के अनुसार एकादशी व्रत का पारण 17 सितम्बर को प्रात: 9.30 से पहले करना उत्तम है।


वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News