छमाही आर्थिक समीक्षा-2 संसद में पेश, RBI पर ब्याज दरें घटाने का दबाव

punjabkesari.in Friday, Aug 11, 2017 - 03:11 PM (IST)

नई दिल्लीः संसद में आज रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2016-17 में 6.75 से 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के अनुमान के उच्चतम दायरे (7.5 प्रतिशत जी.डी.पी. वृद्धि) का हासिल होना मुश्किल होगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह मुश्किल रुपए की विनिमय दर में तेजी, कृषि ऋृण माफी और माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लागू करने से संबंधित शुरुआती चुनौतियों के कारण होगी।

2 बार पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण
यह पहला अवसर है जब सरकार ने किसी वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दो बार प्रस्तुत की है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 2016-17 के लिए पहला आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी 2017 को लोकसभा में रखा था क्योंकि इस बार आम बजट फरवरी के शुरू में ही पेश किया गया। आज प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में फरवरी के बाद अर्थव्यवस्था के सामने उत्पन्न नई परिस्थितियों को रेखांकित किया गया है। जनवरी में पेश सर्वेक्षण में वर्ष 2016-17 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.75 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
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ब्याज दरें कम होने की उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय मौद्रिक नीति को नरम बनाने (ऋृण सस्ता और आसान करने) की गुंजाइश काफी अच्छी है। इसके साथ साथ बैकों और कंपनियों की बैलेंस शीट की समस्याओं को दूर करने के लिए दिवाला कानून जैसे सुधारवादी कदमों से अर्थव्यवस्था को अपनी पूरी क्षमता का लाभ उठाने का अवसर तेजी से हासिल करने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण में कहा गया है कि ‘अर्थचक्र के साथ जुड़ी परिस्थितियां’ संकेत दे रही हैं कि रिजर्व बैंक की नीतिगत दरें वास्तव में स्वाभाविक दर से कम होनी चाहिए। निष्कर्ष स्पष्ट है कि मौद्रिक नीति नरम करने की गुंजाइश काफी अधिक है।
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रुपए में आई मजबूती
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछली समीक्षा प्रस्तुत किए जाने के बाद से रुपए के मजबूत होने, कृषि ऋृण माफ किए जाने, पावर और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में बैलेंस शीट पर दबाव बढ़ने तथा जी.एस.टी. के लागू होने से आई चुनौतियों के कारण वास्तविक अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में गिरावट आई है। फरवरी से अब तक रुपया करीब 1.5 प्रतिशत मजबूत हो चुका है। इसमें कहा गया है कि सरकार और रिजर्व बैंक ने बैलेंस शीट की चुनौती दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं जिससे अल्पावधि में बाजार की धारणा मजबूत  हुई है। जी.एस.टी. के लागू किए जाने के बाद चेकपोस्टों के खत्म होने और माल ढुलाई आसान होने से भी आर्थिक गतिविधियों को अल्पावधि में मदद मिलेगी।            


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