श्रमिक संगठन कोयला क्षेत्र के वाणिज्यिकरण के निर्णय के खिलाफ करेंगे विरोध प्रदर्शन
punjabkesari.in Thursday, Jun 04, 2020 - 06:06 PM (IST)
कोलकाता, चार जून (भाषा) कोल इंडिया के चार प्रमुख श्रमिक संगठनों ने कहा है कि वे केंद्र सरकार के कोयले के वाणिज्यिकरण की अनुमति देने के निर्णय के खिलाफ 10 जून को विरोध प्रदर्शन करेंगे और 11 जून को ‘काला दिवस’ मनाएंगे।
श्रमिक संगठन खनन कंपनी की अपनी पूर्ण अनुषंगी इकाई सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) को अलग करने के भी खिलाफ है।
ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (एआईसीडब्ल्यूएफ) के महासचिव डी डी रामनदंन ने कहा कि सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन), इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस), हिंद मजदूर सभा और एटक (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस) समर्थित ट्रेड यूनियनों ने कहा कि वे 10 जून को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे और 11 जून को काला दिवस मनाएंगे।
श्रमिक संगठनों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संकट के बहाने कंपनी के लाभदायक कारोबार को निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय किया है।
केंद्र सरकार ने मई में कहा था कि वह कोयले के वाणिज्यिकरण की अनुमति देगी और सभी क्षेत्रों की निजी कंपनियों को इसमें भाग लेने की मंजूरी होगी।
श्रमिक संगठनों ने कुछ राज्यों द्वारा श्रम कानून को हल्का करने की भी आलोचना की और कहा कि वे इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
श्रमिक संगठन खनन कंपनी की अपनी पूर्ण अनुषंगी इकाई सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) को अलग करने के भी खिलाफ है।
ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (एआईसीडब्ल्यूएफ) के महासचिव डी डी रामनदंन ने कहा कि सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन), इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस), हिंद मजदूर सभा और एटक (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस) समर्थित ट्रेड यूनियनों ने कहा कि वे 10 जून को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे और 11 जून को काला दिवस मनाएंगे।
श्रमिक संगठनों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संकट के बहाने कंपनी के लाभदायक कारोबार को निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय किया है।
केंद्र सरकार ने मई में कहा था कि वह कोयले के वाणिज्यिकरण की अनुमति देगी और सभी क्षेत्रों की निजी कंपनियों को इसमें भाग लेने की मंजूरी होगी।
श्रमिक संगठनों ने कुछ राज्यों द्वारा श्रम कानून को हल्का करने की भी आलोचना की और कहा कि वे इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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