धरती की चाल बदली, वैज्ञानिक भी हुए दंग, इंसान ने खुद बना लिया महाविनाश का रास्ता?

punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 12:40 PM (IST)

नेशलन डेस्क: पानी जीवन का आधार है। इसके बिना इंसान, जानवर और पेड़-पौधों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन अब यही पानी पृथ्वी के लिए खतरे का कारण बन रहा है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में जो खुलासा किया है वह चौंकाने वाला है। लगातार भूमिगत जल (Underground Water) निकालने की वजह से अब हमारी धरती अपनी धुरी से लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है। ये बदलाव न केवल पर्यावरण को बल्कि मौसम, समुद्र स्तर और पृथ्वी के घूमने के तरीके को भी प्रभावित कर रहा है।

शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

हाल ही में ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ नामक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, साल 1993 से 2010 तक मानव जाति ने जमीन से करीब 2,150 गीगाटन भूमिगत जल पंपिंग के जरिए बाहर निकाल लिया। यह मात्रा इतनी अधिक है कि इससे समुद्र का जलस्तर 6 मिलिमीटर से अधिक बढ़ गया है।

धरती में क्यों आया झुकाव?

धरती पर जब भी कोई बड़ा द्रव्यमान इधर-उधर होता है तो उसका असर पृथ्वी की घूमने की दिशा और धुरी पर पड़ता है। भूमिगत जल को जब एक जगह से निकाला जाता है तो वहां का भार कम हो जाता है और पानी के खिंचाव के कारण गुरुत्वाकर्षण संतुलन बदलने लगता है। इसका नतीजा यह हुआ कि पृथ्वी हर साल करीब 4.36 सेंटीमीटर की रफ्तार से झुकती रही और अब तक करीब 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक चुकी है।

भारत है सबसे ज्यादा जिम्मेदार क्षेत्रों में शामिल

रिपोर्ट में बताया गया है कि भूमिगत जल का सबसे ज्यादा दोहन दो प्रमुख क्षेत्रों में हुआ है -

  1. अमेरिका का पश्चिमी इलाका

  2. उत्तर-पश्चिम भारत (खासकर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान)

भारत की बात करें तो यहां खेती के लिए भारी मात्रा में अंडरग्राउंड वॉटर निकाला जाता है। ट्यूबवेल और सबमर्सिबल पंप का अत्यधिक उपयोग जल संकट को और बढ़ा रहा है। यही नहीं यह अब वैश्विक भूगर्भीय संतुलन को भी बिगाड़ रहा है।

धरती के रोटेशनल पोल पर असर

इस शोध का नेतृत्व करने वाले ‘सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी’ के जियोफिजिसिस्ट वेन सियो ने बताया कि भूमिगत जल की कमी का सीधा असर Earth's Rotational Pole यानी पृथ्वी के घूमने की धुरी पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा “हमने देखा है कि पिछले कुछ दशकों में धरती के घूमने के तरीके में बदलाव आया है और इसका एक बड़ा कारण भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन है।”

मौसम और जलवायु पर भी असर

धरती की स्थिति में बदलाव का असर केवल उसकी धुरी तक सीमित नहीं है। इसका प्रभाव अब जलवायु पर भी दिखने लगा है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब पृथ्वी की धुरी झुकती है तो इसका असर ध्रुवीय इलाकों, मौसमी चक्र और बारिश के पैटर्न पर पड़ सकता है।

  • ज्यादा सूखा

  • अनियमित बारिश

  • गर्मी और सर्दी का संतुलन बिगड़ना
    ये सब इसके प्रमुख संकेत हो सकते हैं।

क्या आ सकता है भारत पर कोई बड़ा संकट?

भारत पहले से ही जल संकट से जूझ रहा है। जल जीवन मिशन, नमामि गंगे, और ग्राम जल योजना जैसी सरकारी योजनाओं के बावजूद कई इलाके हर साल गर्मियों में सूखे और जलकष्ट से प्रभावित होते हैं। अगर भूमिगत जल का इसी तरह दोहन होता रहा तो:

  • भविष्य में पीने योग्य पानी मिलना और मुश्किल हो जाएगा

  • खेतों की सिंचाई पर असर पड़ेगा

  • मौसम और खेती का चक्र प्रभावित होगा

  • और अब, पृथ्वी के झुकाव की वजह से अप्रत्याशित भौगोलिक परिवर्तन भी हो सकते हैं

अब क्या करना चाहिए? समाधान की जरूरत

  1. वाटर रिचार्जिंग सिस्टम को बढ़ावा देना

  2. वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाना

  3. किसानों को सूक्ष्म सिंचाई तकनीक (ड्रिप, स्प्रिंकलर) अपनाने के लिए प्रेरित करना

  4. अंधाधुंध बोरिंग और ट्यूबवेल पर नियंत्रण

  5. जल संरक्षण पर जन जागरूकता अभियान चलाना


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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