धरती पर प्रलय आई, डायनासोर मिट गए… पर ये जीव आज भी जिंदा है – जानिए कैसे बचा
punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 03:48 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लगभग 66 करोड़ साल पहले, एक भयंकर एस्टेरॉयड ने पृथ्वी पर प्रलय मचाई थी। उस वक्त डायनासोर, जो पृथ्वी पर सबसे प्रमुख जीव थे, पूरी तरह से नष्ट हो गए थे। साथ ही, 76% पेड़-पौधे और जीव-जंतु भी समाप्त हो गए थे। हालांकि, इस महाप्रलय में एक जीव था जो बचने में कामयाब रहा और आज भी पृथ्वी पर मौजूद है। यह जीव और कोई नहीं, बल्कि सांप हैं।
प्रलय के बाद भी बच गया था यह जीव
एस्टेरॉयड के हमले के बाद पृथ्वी की सतह पर ऐसा भयंकर तबाही मच गई थी कि जीवन का अस्तित्व संकट में पड़ गया था। पेड़-पौधे, जलवायु, और सभी बड़े और छोटे जीवों की जीवित रहने की संभावना बहुत कम हो गई थी। इस दौरान, सांपों की कुछ प्रजातियां पृथ्वी के निचले हिस्से में जाकर छिप गईं और बिना किसी भोजन के कई सालों तक जीवित रही। शोधकर्ताओं का कहना है कि सांपों के शरीर का विशेष गुण, बिना खाए-पिए लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता, उनकी जीवन रक्षा में मददगार साबित हुई।
यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ की रिसर्च
यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के शोधकर्ताओं ने इस पर एक गहन अध्ययन किया है। उनके अनुसार, सांपों की प्रजातियां, जो अंडे देने वाली थीं और पेड़ों के नीचे, गुफाओं में या पानी के स्रोतों के आसपास रहती थीं, वे इस भारी विनाश के दौरान जीवित बची थीं। पृथ्वी के अंदर जाकर छिपने से इन प्रजातियों को तबाही से बचने का मौका मिला।
सांपों के अद्वितीय गुण
सांपों का शरीर खास तरह से विकसित हुआ है, जिससे वे बिना भोजन के लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। यही गुण एस्टेरॉयड के हमले के बाद उनके अस्तित्व को बचाने में मददगार साबित हुआ। वे बहुत कम संसाधनों में भी अपने शरीर को जीवित रखने में सक्षम थे। धीरे-धीरे, ये सांप प्रजातियां फैलने लगीं और आज दुनिया में सांपों की लगभग 3000 प्रजातियां पाई जाती हैं।
समुद्री सांपों का विकास
इस प्रलय के बाद, सांपों ने खुद को और अधिक प्रभावी तरीके से विकसित किया। इस दौरान सांपों की प्रजातियों ने बड़े आकार की तरह विकास किया और शिकार पर धावा बोलने लगे। इसमें समुद्री सांप भी शामिल थे, जो 19 मीटर तक लंबाई के हो सकते थे।
सांपों का आज भी अस्तित्व
आज, जब हम सांपों को देखते हैं, तो हमें यह महसूस होता है कि इन जीवों ने प्राचीन काल में जो संघर्ष किया था, उसकी वजह से वे आज भी जीवित हैं। इनके अस्तित्व की ये कहानी न केवल विज्ञान के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि पृथ्वी पर जीवन के विभिन्न रूपों का अस्तित्व बनाए रखने में कैसे शारीरिक अनुकूलन और जीवित रहने की अद्वितीय क्षमताएं काम आती हैं।