700 ट्रिलियन मील दूर मिला एलियंस का घर? वैज्ञानिकों को मिले जीवन के चौंकाने वाले संकेत!
punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 03:31 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: क्या वाकई ब्रह्मांड में हम अकेले नहीं हैं? ये सवाल अब और भी गंभीर हो गया है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने धरती से करोड़ों मील दूर एक ऐसे ग्रह पर जीवन के संभावित संकेत खोज निकाले हैं, जो किसी एलियन ग्रह की तरह लगते हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने ‘K2-18B’ नाम के एक ग्रह के वातावरण में ऐसे अणुओं के संकेत पाए हैं, जो अब तक सिर्फ पृथ्वी पर पाए जाते थे – और वो भी जीवों से बनने वाले! ये खोज नासा के सबसे एडवांस्ड टेलीस्कोप ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप’ की मदद से की गई है। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या इस ग्रह पर सचमुच कोई परग्रही जीवन मौजूद है? वैज्ञानिकों के मुताबिक, हम एक ऐतिहासिक खोज के बेहद करीब हैं।
कौन-सी गैसें मिलीं और क्यों हैं खास?
वैज्ञानिकों को इस ग्रह के वातावरण में डिमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डिमिथाइल डिसल्फाइड (DMDS) नाम की गैसें मिली हैं। ये गैसें पृथ्वी पर समुद्रों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों (फाइटोप्लैंक्टन और बैक्टीरिया) द्वारा बनाई जाती हैं। इन गैसों की उपस्थिति से ऐसा संकेत मिला है कि शायद वहां भी कोई जैविक गतिविधि हो रही हो।
प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन ने क्या कहा?
इस रिसर्च का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन ने बताया कि, “हमने इतनी ज्यादा मात्रा में ये गैसें पाई हैं कि यह पृथ्वी की तुलना में हजारों गुना ज्यादा है। यह जीवन के बेहद पुख़्ता संकेत हो सकते हैं।” प्रोफेसर मधुसूदन को उम्मीद है कि अगले एक-दो सालों में ये पूरी तरह से साफ हो जाएगा कि क्या वहां जीवन है या नहीं।
हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी यह निष्कर्ष 100% पुख़्ता नहीं है। वैज्ञानिकों की भाषा में जिस खोज को 'फाइव सिग्मा' कहा जाता है (यानि 99.99999% सटीकता), वहां तक यह नतीजे नहीं पहुंचे हैं। K2-18B के संकेत फिलहाल 'थ्री सिग्मा' तक ही पहुंचे हैं यानी करीब 99.7% सटीकता।
बाकी वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
एडिनबरा यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कैथरीन हेमेन्स का मानना है कि अभी भी ये स्पष्ट नहीं है कि ये गैसें जैविक हैं या किसी गैर-जीवित प्रक्रिया से बनी हैं। उनका कहना है,"ब्रह्मांड में हजारों अजीब चीजें होती हैं। जब तक पुख़्ता डेटा नहीं मिलेगा हम नहीं कह सकते कि वहां जीवन है।"
ग्रह पर समुद्र या लावा?
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि K2-18B पर समुद्र हो सकता है क्योंकि वहां अमोनिया की कमी है।
वहीं, कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक पिघले हुए पत्थरों का महासागर भी हो सकता है।
नासा के वैज्ञानिक क्या सोचते हैं?
नासा के एम्स रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. निकोलर वोगेन के अनुसार, यह ग्रह एक "मिनी गैस जाएंट" भी हो सकता है जिसकी कोई ठोस सतह नहीं है। इस पर वैज्ञानिकों के बीच बहस अभी जारी है।
वैज्ञानिकों की अगली योजना
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की टीम अब यह जानने में लगी है कि क्या लेबोरेटरी में बिना किसी जीव के ये गैसें बनाई जा सकती हैं। अगर ऐसा संभव हुआ, तो इसका मतलब यह होगा कि इन गैसों का स्रोत जैविक नहीं बल्कि कोई और रासायनिक प्रक्रिया भी हो सकती है।
क्या हम अकेले नहीं हैं?
प्रोफेसर मधुसूदन कहते हैं,"अगर हम इस ग्रह पर जीवन की पुष्टि कर पाए, तो इसका मतलब है कि आकाशगंगा में जीवन होना आम बात हो सकती है।" उनका मानना है कि आने वाले दशकों में यह खोज मानव इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हो सकती है।