सावन के मंगलवार तिजोरी में रखें खास वस्तु, हमेशा रहेगी पैसों से भरी

punjabkesari.in Monday, Jul 25, 2016 - 03:39 PM (IST)

सावण मास और साधना के बीच मन की एकाग्रता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जिसके बिना परम तत्व की प्राप्ति असंभव है। मन चंचल और अति चलायमान होता है। साधक जब साधना चक्र में प्रवेश करता है तब मन एक विकराल बाधा बनकर खड़ा हो जाता है। सावन के महीने में मन रोमांचित और भावविभोर रहता है अतः मन को नियंत्रित करना सहज नहीं होता। मन को साधने में साधक को लंबा और धैर्य का सफर तय करना पड़ता है। मन ही मोक्ष और बंधन का मूल कारण है। अतः मन से ही मुक्ति है और मन ही बंधन का कारण है।

 

भगवान शंकर ने मन के कारक चंद्रमा को ही अपने मस्तक पर दृढ कर रखा है लिहाजा साधक की साधना निर्विघ्न संपन्न होती चली जाती है। सावन के इस विशिष्ट लेख में हम आपको बता रहे हैं शिव के मतंगेश्वर सवरूप के बारे में तथा इनकी शक्ति माता मातंगी के बारे में। माता मातंगी दशमहाविद्या के क्रम में नवे स्थान पर हैं। माता मातंगी श्याम वर्ण और चंद्रमा को मस्तक पर धारण करती हैं। यह पूर्णतया वाग्देवी की ही पूर्ति हैं। चार भुजाएं चार वेद हैं। मां मातंगी वैदिकों की सरस्वती हैं। माता मातंगी मतंग ऋषि की पुत्री थी। मतंग ऋषि परम शिवभक्त थे तथा देवी मातंगी ने शिव साधना कर शिव के मतंगेश्वर स्वरुप की प्राप्ति की।

 

उपाय: मंगलवार के दिन घर पर विराजित पारद शिवलिंग अथवा शिवालय जाकर शिवलिंग के साथ शिव परिवार का पंचोपचार पूजन करें। यथासंभव लाल कम्बल के आसन का प्रयोग करें। चमेली के तेल का दीपक जलाएं। गुगुल से धूप करें। सिंदूर चढ़ाएं। गुड़ का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल चढ़ाएं। सिंदूर से शिवलिंग पर तिलक करें। पूजा के बाद बाएं हाथ में जायफल लेकर दाएं हाथ से इस मंत्र का 108 बार रुद्राक्ष की माला से जाप करें।

 

मंत्र: ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै महासारस्वतप्रदाय मतंगेश्वर नमः शिवाय।।

 

मंत्र जाप के बाद शिवलिंग की आरती करें तथा जायफल को घर की तिजोरी में स्थापित करें। यह उपाय सफलता सुख-समृद्धि प्रदान करता है और हमेशा तिजोरी को पैसों से भरी रखता है, जीवन का कोई क्षेत्र अधूरा और शेष नहीं रहता। मातंगी और मतंगेश्वर साधना कि सिद्धि पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास पर आधारित है।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 


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