खास रंगों से सजाएं घर व दुकान, नेगेटिविटी होगी उड़न छू

punjabkesari.in Friday, Jun 24, 2016 - 01:05 PM (IST)

विभिन्न रंगों को वास्तु के विभिन्न तत्वों का प्रतीक माना जाता है। नीला रंग जल का, भूरा पृथ्वी का और लाल अग्नि का प्रतीक है। वास्तु और फेंगशुई में भी रंगों को पांच तत्वों जल, अग्रि, धातु, पृथ्वी और काष्ठ से जोड़ा गया है। 
 
- रंग चिकित्सा पद्धति का आधार सूर्य के प्रकाश के सात रंग हैं। इन रंगों में अनेक बीमारियों को दूर करने की शक्ति होती है। इस दृष्टिकोण से उत्तर पूर्वी कक्ष, जिसे घर का सबसे पवित्र कक्ष माना जाता है में सफेद या बैंगनी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इसमें अन्य गाढ़े रंगों का प्रयोग कतई नहीं करना चाहिए।  
 
-  दक्षिण-पूर्वी कक्ष में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए, जबकि दक्षिण-पश्चिम कक्ष में भूरे, आफ व्हाइट, भूरा या पीला मिश्रित रंग प्रयोग करना चाहिए।  
 
- यदि बिस्तर दक्षिण-पूर्वी दिशा में हो तो कमरे में हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए।  
 
- उत्तर-पश्चिम कक्ष के लिए सफेद रंग को छोड़ कर कोई भी रंग चुन सकते हैं।
 
रंगों का महत्व हमारे जीवन पर बहुत गहरा होता है। रंग हमारे विचारों को प्रभावित करते हैं तथा हमारी सफलता व असफलता के कारक भी बनते हैं। 
  
- पीला रंग : यह रंग हमें गर्माहट का एहसास देता है। इस रंग से कमरे का आकार पहले से थोड़ा बड़ा लगता है तथा कमरे में रोशनी की भी जरूरत कम पड़ती है, अत: जिस कमरे में सूर्य की रोशनी कम आती हो, वहां दीवारों पर हमें पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। पीले रंग सुकून व रोशनी देने वाला रंग होता है। घर के ड्राइंग रूम, अॉफिस आदि की दीवारों पर यदि आप पीला रंग करवाते हैं तो वास्तु के अनुसार यह शुभ होता है। 
 
- गुलाबी रंग : यह रंग हमें सुकून देता है तथा परिवारजनों में आत्मीयता बढ़ाता है। बैडरूम के लिए यह रंग बहुत ही अच्छा है।  
 
- नीला रंग : यह रंग शांति और सुकून का परिचायक है। यह रंग घर में आरामदायक माहौल पैदा करता है तथा डिप्रैशन दूर करने में भी मदद करता है। 
 
- जामुनी रंग : यह रंग धर्म और अध्यात्म का प्रतीक है। इसका हल्का शेड मन में ताजगी और अद्भुत एहसास जगाता है। बेहतर होगा कि यदि हम इसके हल्के शेड का ही दीवारों पर प्रयोग करें।
  
- नारंगी रंग : यह रंग लाल और पीले रंग के समन्वय से बनता है। यह रंग हमारे मन में भावनाओं और ऊर्जा का संचार करता है। इस रंग के प्रभाव से जगह थोड़ी संकरी लगती है परंतु यह रंग हमारे घर को एक पारंपरिक लुक देता है। 
 
- अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए आपको अपने कमरे की उत्तरी दीवार पर हरा रंग करना चाहिए।  
 
- आसमानी रंग जल तत्व को इंगित करता है। घर की उत्तरी दीवार को इस रंग से रंगवाना चाहिए। 
 
- घर के खिड़की दरवाजे हमेशा गहरे रंगों से रंगवाएं। बेहतर होगा कि आप इन्हें डार्क ब्राऊन रंग से रंगवाएं। 
 
जहां तक संभव हो सके, घर को रंगवाने के लिए हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करें। 
  
किसी भी भवन में गृह स्वामी का शयनकक्ष तथा तमाम कारखानों, कार्यालयों या अन्य भवनों में दक्षिणी-पश्चिम भाग में जो भी कक्ष हो वहां की दीवारों व फर्नीचर आदि का रंग हल्का गुलाबी अथवा नींबू जैसा पीला हो तो श्रेयस्कर है। पिंक या गुलाबी रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह आपसी सामंजस्य तथा सौहार्द में वृद्धि करता है।
 
इस रंग के क्षेत्र में वास करने वाले जातकों की मनोभावनाओं पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि होली जैसे पवित्र त्यौहार पर गुलाबी रंग का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। इस भाग में गहरे लाल तथा गहरे हरे रंगों का प्रयोग करने से जातक की मनोवृत्तियों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। 
 
इसी प्रकार उत्तर-पश्चिम के भवन में हल्के स्लेटी रंग का प्रयोग करना उचित रहता है। यह भाग घर की अविवाहित कन्याओं के रहने या अतिथियों के ठहरने हेतु उचित माना जाता है। 
 
इस स्थान का प्रयोग मनोरंजन कक्ष के रूप में भी किया जा सकता है। किसी कार्यालय के उत्तर-पश्चिम भाग में भी स्लेटी रंग का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इस स्थान का उपयोग कर्मचारियों के मनोरंजन कक्ष के रूप में किया जा सकता है। वास्तु या भवन के दक्षिण में बना हुआ कक्ष छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त माना जाता है। चूंकि चंचलता बच्चों का स्वभाव है इसलिए इस भाग में नारंगी रंग का प्रयोग करना उचित है। इस रंग के प्रयोग से बच्चों के मन में स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार होता है। इसके ठीक विपरीत इस भाग में यदि हल्के रंगों का प्रयोग किया जाता है तो बच्चों में सुस्ती एवं आलस्य की वृद्धि होती है। 
 
वास्तु या भवन में पूर्व की ओर बने हुए कक्ष का उपयोग यदि अध्ययन कक्ष के रूप में किया जाए तो उत्तम परिणाम पाया जा सकता है। सामान्यत: सफेद रंग सुख, समृद्धि तथा शांति का प्रतीक है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है। लाल रंग उत्तेजना तथा शक्ति का प्रतीक है। यदि पति-पत्नी में परस्पर झगड़ा होता हो तथा झगड़े की पहल पति की ओर से होती हो, तब पति-पत्नी अपने शयनकक्ष में लाल, नारंगी, ताम्रवर्ण का आधिपत्य रखें इससे दोनों में सुलह तथा प्रेम रहेगा। 
 
काला, ग्रे, बादली, गहरा, हरा आदि रंग नकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं। अत: भवन में दीवारों पर इनका प्रयोग यथा संभव कम करना चाहिए। गुलाबी रंग स्त्री सूचक है। अत: रसोई घर में, ड्राइंग रूम में, डाइनिंग रूम तथा  मेकअप रूप में गुलाबी रंग का अधिक प्रयोग करना चाहिए। शयन कक्ष में नीला रंग करवाएं या नीले रंग का बल्ब लगवाएं। नीला रंग अधिक शांतिमय निद्रा प्रदान करता है। विशेषकर अनिद्रा के रोगी के लिए तो यह वरदान है। अध्ययन कक्ष में सदा हरा या तोतिया रंग का उपयोग करें।
 
—दयानंद शास्त्री 

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