दुनिया की 10% आबादी खतरे में! NASA की सैटेलाइट देगी समय से चेतावनी, बचेंगी लाखों ज़िंदगियां

punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 01:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया की करीब 10 प्रतिशत आबादी ऐसे इलाकों में रहती है जहां सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद हैं। इन ज्वालामुखी विस्फोटों से होने वाले नुकसान को कम करने और लोगों की जान बचाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने एक बेहद अहम कदम उठाया है। NASA ने उन्नत तकनीक वाली सैटेलाइट्स की मदद से ज्वालामुखी विस्फोटों पर लगातार नजर रखनी शुरू कर दी है। इससे न केवल जलवायु परिवर्तन को समझने में मदद मिलेगी बल्कि समय रहते चेतावनी भी जारी कर लाखों लोगों की सुरक्षा संभव हो सकेगी।

NASA की हाई टेक्नोलॉजी वाली सैटेलाइट्स

NASA के पास आज कई उन्नत सैटेलाइट्स हैं जो पृथ्वी की सतह और वायुमंडल की निगरानी करती हैं। खासकर GOES-R सीरीज की सैटेलाइट्स रियल टाइम में राख के बादलों की तस्वीरें भेजती हैं। यह जानकारी वायु यात्रा के लिए भी जरूरी होती है क्योंकि ज्वालामुखी से निकलने वाली राख और गैसें हवाई जहाजों के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। NASA के अर्थ साइंस डिवीजन के प्रमुख फ्लोरियन श्वांडनर बताते हैं कि पहले से मौजूद Early Warning System काफी हद तक काम करते हैं लेकिन उन्हें और बेहतर बनाना जरूरी है। इसीलिए NASA लगातार नई तकनीक विकसित कर रही है ताकि चेतावनी और सटीक व जल्दी हो सके।

ज्वालामुखी विस्फोट के खतरे और उनका असर

ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाली गैसों में सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है। यह गैस न केवल स्थानीय हवा को प्रदूषित करती है बल्कि वैश्विक जलवायु को भी लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है। इसके कारण तापमान में बदलाव, बारिश के पैटर्न में असमानता और अन्य जलवायु संकट पैदा हो सकते हैं। स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। जो लोग ज्वालामुखी के नजदीक रहते हैं, उन्हें सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए समय रहते सही चेतावनी मिलना बेहद जरूरी है।

पत्तों में बदलाव से ज्वालामुखी फटने की भविष्यवाणी?

NASA के वैज्ञानिक यह भी रिसर्च कर रहे हैं कि क्या पौधों के पत्तों में होने वाले बदलाव ज्वालामुखी के फटने का संकेत दे सकते हैं। पौधों की स्थिति और उनके अंदर होने वाले रासायनिक बदलाव भूगर्भीय गतिविधियों के संकेत हो सकते हैं। अगर इस खोज में सफलता मिलती है तो प्राकृतिक आपदाओं से पहले लोगों को अलर्ट करना और भी आसान हो जाएगा।

NASA की निगरानी से कैसे बची जा सकती है जान?

NASA की सैटेलाइट से मिली जानकारी की मदद से सरकारें और आपदा प्रबंधन एजेंसियां समय रहते प्रभावी कदम उठा सकती हैं। जैसे कि सुरक्षित जगहों पर लोगों को स्थानांतरित करना, हवाई उड़ानों को रोकना और प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करना। NASA की यह तकनीक उन इलाकों के लिए भी वरदान साबित होगी जहां ज्वालामुखी की जानकारी कम होती है या जो इलाका बेहद दुर्गम है। इससे वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन की क्षमता बढ़ेगी।

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की समझ में मदद

NASA की यह परियोजना सिर्फ ज्वालामुखी की निगरानी तक सीमित नहीं है। इससे जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी की सतह पर हो रहे प्रभावों को समझने में भी मदद मिल रही है। इससे पर्यावरण संरक्षण की योजनाएं और भी प्रभावी बन सकेंगी।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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