धरती छोड़कर 40 ट्रिलियन KM दूर जाएंगे 2400 लोग, 400 साल तक चलेगा सफर, इंसान बसाने जा रहा है नया ग्रह!
punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 11:00 AM (IST)

नेशनल डेस्क: सोचिए, एक ऐसा सफर जो न सिर्फ आपकी जिंदगी को बदल देगा बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों की तकदीर भी तय करेगा। वैज्ञानिक अब एक ऐसा अंतरिक्ष मिशन तैयार कर रहे हैं, जो इंसान को एक नई दुनिया में बसाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इस मिशन का नाम है क्रिसालिस और इसका लक्ष्य है पृथ्वी से करीब 40 ट्रिलियन किलोमीटर दूर स्थित ग्रह प्रॉक्सिमा सेंचुरी बी। इस ऐतिहासिक यात्रा में 2,400 लोग शामिल होंगे और ये सफर 400 साल लंबा होगा।
अल्फा सेंचुरी: नया सौरमंडल, नई उम्मीदें
अल्फा सेंचुरी सौरमंडल, पृथ्वी से करीब 4.4 प्रकाश वर्ष दूर है। इसमें एक खास ग्रह है — प्रॉक्सिमा सेंचुरी बी, जो आकार और वातावरण में पृथ्वी जैसा माना जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां जीवन संभव हो सकता है। यही वजह है कि इंसानों के लिए नए घर की तलाश इसी ग्रह से शुरू हो रही है।
क्रिसालिस: मानवता का सबसे बड़ा मिशन
क्रिसालिस अंतरिक्ष यान को खासतौर पर इस लंबे और कठिन सफर के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी लंबाई 58 किलोमीटर है और इसे ऐसे बनाया गया है जैसे रशियन नेस्टिंग डॉल यानी परतों में बंटा हुआ एक यान। इसमें इंसानों के जीवन के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए खेती, जंगल, स्कूल, अस्पताल और घर जैसी जरूरी चीजें होंगी।
क्रिसालिस यान को इस तरह से तैयार किया गया है कि उसमें जीवन की सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद हों। यान के अंदर खेती के लिए खेत और पशुपालन के लिए विशेष स्थान बनाए जाएंगे, ताकि लंबे सफर के दौरान भोजन की कमी न हो। इसके साथ ही, यात्रियों के सामाजिक और मानसिक विकास के लिए स्कूल, अस्पताल, पार्क और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं भी होंगी। हर घर में हवा और तापमान को नियंत्रित करने की आधुनिक व्यवस्था होगी, जिससे रहने का वातावरण आरामदायक बना रहेगा। बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर लगाया जाएगा, जो निरंतर ऊर्जा प्रदान करेगा। यान को कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण देने के लिए यह लगातार घूमता रहेगा, ताकि पृथ्वी जैसी स्थिति बनी रहे और यात्री शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
400 साल की मल्टी-जनरेशन यात्रा
चूंकि यात्रा बहुत लंबी है, इसलिए यह एक मल्टी-जनरेशन मिशन होगा। यानी जो लोग यात्रा शुरू करेंगे, वे गंतव्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। उनके बच्चे, फिर उनके बच्चे और अगली पीढ़ियां इस सफर को आगे बढ़ाएंगी। सिर्फ आखिरी पीढ़ी ही प्रॉक्सिमा सेंचुरी बी पर कदम रखेगी।
2,400 लोग, लेकिन संतुलित आबादी के साथ
हालांकि क्रिसालिस यान में कुल 2,400 लोगों के रहने की क्षमता होगी, लेकिन लंबे समय तक स्थिर और संतुलित जीवन बनाए रखने के लिए शुरुआत में केवल 1,500 लोगों को ही भेजा जाएगा। यान के अंदर जनसंख्या नियंत्रण के लिए जन्म पर निगरानी रखी जाएगी, ताकि संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े और सामाजिक संतुलन बना रहे। पूरे मिशन के दौरान सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में AI यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद ली जाएगी, जो निर्णय लेने, नियम लागू करने और व्यवस्था बनाए रखने का काम करेगा। साथ ही पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान का आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि हर नई पीढ़ी मिशन के उद्देश्य, तकनीकी ज्ञान और सामाजिक मूल्यों को समझते हुए आगे बढ़ सके।
मानसिक रूप से कैसे तैयार होंगे यात्री?
अंतरिक्ष में लंबी और एकाकी जिंदगी के लिए यात्रियों को खास तरह के माहौल में रहकर तैयारी करनी होगी, जो बिल्कुल अलग-थलग और चुनौतीपूर्ण होगा। इस उद्देश्य से यात्रियों को लगभग 70 से 80 साल तक अंटार्कटिका जैसे दूरदराज और अकेलेपन वाले स्थानों में ट्रेनिंग दी जाएगी, जहां वे कठिन परिस्थितियों का सामना करना सीखेंगे। इस ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य उनकी मानसिक दृढ़ता और अनुशासन को मजबूत करना है, ताकि वे अंतरिक्ष की कठिन और एकाकी जिंदगी में टिक सकें। यह तैयारी यात्रियों को क्रिसालिस यान की सामाजिक संरचना में सामंजस्य बनाने और मिलजुल कर जीवन बिताने में मदद करेगी, जिससे मिशन सफल हो सके।
यान के केंद्र में होंगे शटल्स और संचार यंत्र
जब अंतिम पीढ़ी प्रॉक्सिमा सेंचुरी बी के पास पहुंचेगी, तो वे शटल्स के जरिए ग्रह की सतह पर उतरेंगे। यान के केंद्र में ही ये शटल्स और संचार उपकरण होंगे, जो ग्रह से संपर्क में रहने और अंतिम चरण में उतरने में मदद करेंगे।
मानव इतिहास का नया अध्याय
क्रिसालिस मिशन सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि मानव इतिहास का एक नया अध्याय है। ये मिशन न सिर्फ नई टेक्नोलॉजी को जन्म देगा, बल्कि इंसान को एक वैकल्पिक ग्रह पर बसाने का सपना भी साकार करेगा। इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिक और यात्री दोनों, इंसानियत की नई दिशा तय करेंगे।