अमेरिका देगा पाकिस्तान को परमाणु हथियार!

punjabkesari.in Thursday, Oct 08, 2015 - 09:34 PM (IST)

वाशिंगटन: इस माह के अंत में होने वाली प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और डिलीवरी सिस्टम की नई सीमाएं तय करने सेे जुड़े एक समझौते पर बातचीत कर रहा है। यह समझौता भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु संधि जैसा समझौता हो सकता है। द वाशिंगटन पोस्ट ने दोनों देशों के बीच की इन वार्ताओं की जानकारी रखने वाले एक सूत्र के हवाले से कहा कि ‘‘पाकिस्तान से (हथियारों की) ‘सीमा पर’ विचार करने के लिए कहा गया है।’’ इसने कहा कि पाकिस्तान अपने हथियारों और डिलीवरी सिस्टम से जुड़े अपने परमाणु कार्यक्रम को वहां तक सीमित करने के लिए सहमत होगा, जहां तक यह भारत के परमाणु खतरे के खिलाफ उसकी अपनी असल सुरक्षा के लिए जरूरी है। 

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘एेसा संभव है कि पाकिस्तान एक तय दूरी से आगे तक जा सकने वाली मिसाइलें तैनात नहीं करने पर सहमत हो जाए।’’  दैनिक समाचार पत्र ने कहा, ‘‘सूत्र ने कहा कि इस तरह के समझौते के बदले में, अमेरिका 48 देशों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की आेर से छूट का समर्थन कर सकता है। अमेरिका इस समूह का सदस्य है।’’  इसमें कहा गया, ‘‘अमेरिका के अनुरोध पर, इस समूह ने भारत को उन नियमों से छूट दे दी थी, जो कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों के साथ परमाणु व्यापार को प्रतिबंधित करते हैं।’’ 
 
रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह का समझौता ‘‘पाकिस्तान के साथ ठीक उस तरह की असैन्य परमाणु संधि का रास्ता खोल सकता है, जैसी कि वर्ष 2005 में भारत के साथ की गई थी।’’  हालांकि व्हाइट हाउस ने अखबार की इस खबर की प्रमाणिकता की न तो पुष्टि की और न ही उसे नकारा। उसने बस इतना ही कहा कि अमेरिका शरीफ के दौरे से पहले विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ नियमित संपर्क में है।  आेबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘‘हम प्रधानमंत्री शरीफ की 22 अक्तूबर को होने वाली यात्रा की तैयारी कर रहे हैं और विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान सरकार से लगातार संपर्क में बने हुए हैं। हम इन चर्चाओं की विशिष्ट बातों पर टिप्पणी करने से इंकार करते हैं।’’  
 
हाल ही में अमेरिकी नेतृत्व की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे में होती तेज वृद्धि पर चिंता जाहिर की थी।  द वाशिंगटन पोस्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ वार्ताओं की गति धीमी रहेगी और इनमें लंबा समय लगेगा।  इसने कहा, ‘‘पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रम को बहुमूल्य मानता है इसलिए वार्ताएं धीमी और मुश्किल होंगी। और यह स्पष्ट नहीं है कि इस्लामाबाद वांछनीय सीमाओं को स्वीकार करने के लिए तैयार होगा। लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के 22 अक्तूबर को होने वाले वाशिंगटन दौरे से पहले से पहले मुद्दे पर धैर्यपूर्वक चर्चा हो रही है।’’  
 
इसने कहा, ‘‘इस दिशा में कोई भी प्रगति उस गतिरोध को तोडऩे का काम करेगी, जो कि 1980 के दशक के मध्य में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की पहचान किए जाने के बाद से, विशेषकर वर्ष 1998 में पाकिस्तान द्वारा पहला हथियार विस्फोट करने के बाद पैदा हो गया था।’’ अखबार में कहा गया कि परमाणु वार्ता विशेष तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन चीजों पर चर्चा शुरू होगी, जिन्हंे अमेरिकी अधिकारी पिछले दो दशकों से दुनिया की सबसे खतरनाक सुरक्षा समस्याएं मानते आए हैं। 

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