अगर पिघल गई धरती की सारी बर्फ तो क्या होगा, भारत पर क्या पड़ेगा असर?

punjabkesari.in Sunday, Nov 09, 2025 - 01:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कल्पना कीजिए, एक दिन अचानक धरती की सारी बर्फ पिघल जाए – न किनारे बचेंगे, न सीमाएं वही रहेंगी। समुद्र का जलस्तर इतना बढ़ जाएगा कि देश, शहर और पूरी सभ्यताएं इतिहास के पन्नों में समा जाएंगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि ऐसा हुआ तो पृथ्वी का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा। भारत जैसे तटीय देश, जहां करोड़ों लोग समुद्र किनारे बसे हैं, इसकी सबसे बुरी चपेट में आएंगे। क्या हम इस अनकहे अंत की ओर बढ़ रहे हैं? आइए जानते हैं कि सारी बर्फ पिघलने पर भारत के कौन से राज्य पहले डूबेंगे।

सारी बर्फ पिघलने पर क्या होगा?
वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर मौजूद सभी ग्लेशियरों, हिमखंडों और ध्रुवीय बर्फ की चादरों में इतनी बर्फ जमा है कि यदि वह सब एक साथ पिघल जाए, तो समुद्र का जलस्तर करीब 70 मीटर (लगभग 230 फीट) तक बढ़ जाएगा। यह बदलाव सिर्फ तटीय इलाकों को ही नहीं, बल्कि पूरी मानव सभ्यता को हिला देगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसा होने में सैकड़ों साल लग सकते हैं, लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन की तेज रफ्तार से खतरे की घंटी अब बजने लगी है।

भारत के कौन से हिस्से सबसे पहले डूबेंगे?
भारत का तटीय नक्शा सबसे पहले प्रभावित होगा। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य, जिनकी लंबी समुद्री सीमाएं हैं, धीरे-धीरे पानी में समा जाएंगे। प्रमुख शहरों में कोलकाता, चेन्नई, विशाखापट्टनम, कोच्चि और कटक पूरी तरह जलमग्न हो जाएंगे। गुजरात का कच्छ क्षेत्र, जो पहले से ही समुद्र के करीब है, पूरी तरह डूब सकता है।

दुनिया के किन हिस्सों का अस्तित्व मिटेगा?
यह संकट सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा। दुनिया के बड़े तटीय शहर जैसे न्यूयॉर्क, फ्लोरिडा, एम्स्टर्डम, सैन फ्रांसिस्को और शंघाई भी डूब जाएंगे। निचले द्वीप राष्ट्र जैसे मालदीव, फिजी और श्रीलंका का अस्तित्व ही मिट जाएगा। समुद्र तट के पास बसे देशों की सीमाएं बदल जाएंगी और पृथ्वी का पूरा नक्शा अपरिचित हो जाएगा। समुद्र का बढ़ता तापमान और खारापन समुद्री जीवों की प्रजातियों को खत्म कर देगा। कोरल रीफ, जो समुद्र का सबसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक ढांचा हैं, पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे। मछलियों और अन्य समुद्री जीवों की संख्या में भारी गिरावट आएगी, जिससे भोजन श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित होगी।

कितना विनाशकारी होगा मानव समाज पर असर?
सारी बर्फ पिघलने से जलवायु परिवर्तन की रफ्तार और तेज हो जाएगी। तापमान इतना बढ़ जाएगा कि धरती के कई हिस्से रहने लायक नहीं रहेंगे। बाढ़, सूखा, तूफान और अत्यधिक गर्मी जैसी प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ेंगी। करोड़ों लोग अपने घर, जमीन और रोजगार खो देंगे। बड़े पैमाने पर जलवायु पलायन शुरू होगा, देशों के बीच सीमाएं बदलेंगी और संसाधनों को लेकर संघर्ष बढ़ेगा।

वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि यह कोई दूर की कौड़ी नहीं, बल्कि वास्तविक खतरा है। समय रहते कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु नीतियां मजबूत करने की जरूरत है, वरना यह 'अनकहा अंत' वास्तविकता बन जाएगा।


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Content Editor

Shubham Anand

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