स्विस बैंक में जमा पैसे को ‘काला धन’ क्यों कहते हैं? जानें सबकुछ
punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 01:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में जब भी काले धन यानी ब्लैक मनी की बात होती है तो आमतौर पर एक नाम तुरंत जुबान पर आता है – स्विस बैंक। आम धारणा यही है कि बड़े कारोबारी, भ्रष्ट नेता और टैक्स चोर अपनी अवैध कमाई को यहीं छिपाते हैं। लेकिन क्या वाकई हर स्विस बैंक अकाउंट में रखा पैसा अवैध होता है? और ऐसा क्या खास है स्विस बैंक में, जो इसे काले धन का अड्डा बना देता है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले को...
काला धन क्या होता है?
‘काला धन’ उस पैसे को कहा जाता है जिसे गैर-कानूनी तरीके से कमाया गया हो और जिस पर सरकार को कोई टैक्स न दिया गया हो।
इसमें शामिल हो सकते हैं:
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रिश्वत से मिली रकम
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तस्करी या ड्रग्स जैसे अपराधों से हुई कमाई
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टैक्स चोरी से बचाई गई आय
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भ्रष्टाचार और घोटालों की कमाई
इस तरह के पैसों को सरकारी नजरों से छिपाकर कहीं और छिपाना जरूरी होता है, ताकि जांच या कार्रवाई से बचा जा सके।
स्विस बैंक क्यों है 'ब्लैक मनी' का पसंदीदा ठिकाना?
स्विट्ज़रलैंड के बैंकों यानी स्विस बैंकों को दुनियाभर में उनकी कठोर गोपनीयता नीति (bank secrecy) के लिए जाना जाता है।
स्विस बैंक की खासियत:
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ग्राहक का नाम, अकाउंट नंबर और लेन-देन की जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहती है।
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बिना कोर्ट ऑर्डर या किसी पुख्ता आरोप के, बैंक जानकारी साझा नहीं करता।
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अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को भी तुरंत डिटेल नहीं मिलती।
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बैंक कर्मचारी को भी ग्राहकों की जानकारी लीक करने पर जेल की सजा हो सकती है।
इसलिए अवैध धन रखने वालों के लिए यह बैंक सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती है।
क्या स्विस बैंक में खाता रखना गलत है?
नहीं, स्विस बैंक में खाता होना गैरकानूनी नहीं है। दुनियाभर की बड़ी कंपनियां, अमीर बिजनेसमैन और यहां तक कि कई सरकारें भी यहां अकाउंट खुलवाती हैं। यह एक ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा है।
लेकिन समस्या तब होती है जब:
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इसमें छुपाकर रखा जाता है टैक्स चोरी का पैसा।
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सरकार से बिना जानकारी के किया जाता है निवेश या लेन-देन।
यदि आप ईमानदारी से कमाई के पैसे को रिजर्व बैंक और टैक्स नियमों के तहत ट्रांसफर करते हैं तो यह अपराध नहीं है।
स्विस बैंक कैसे हुआ काले धन का प्रतीक?
स्विस बैंकों की सुरक्षित छवि और गोपनीयता कानून का फायदा उठाकर:
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भ्रष्ट नेता
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घोटालों में लिप्त अधिकारी
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ड्रग्स और हवाला कारोबार करने वाले लोग
अपनी अवैध कमाई को छिपाने लगे। यही वजह है कि लोगों के दिमाग में यह बैठ गया कि
“स्विस बैंक = काला धन का घर”
भारत में भी कई बार चुनावों और जांचों के दौरान यह मुद्दा उठा कि भारतीयों का हजारों करोड़ रुपया स्विस बैंक में जमा है, जिसकी सरकार को जानकारी तक नहीं है।
क्या आज भी वैसा ही है स्विस बैंक?
पिछले कुछ सालों में दुनिया की सरकारों ने मिलकर स्विट्ज़रलैंड सरकार पर दबाव बनाया है कि वे अवैध खातों की जानकारी साझा करें। G20, OECD, FATF जैसे वैश्विक संगठन 'ब्लैक मनी' को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच भी सूचना साझा करने का समझौता हुआ है। अब कुछ हद तक भारत को भारतीय नागरिकों के स्विस अकाउंट की जानकारी मिलती है।
भारत सरकार ने क्या कदम उठाए?
भारत में केंद्र सरकार ने काले धन पर लगाम लगाने के लिए कई कोशिशें की हैं:
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ब्लैक मनी एक्ट (2015) के तहत विदेशों में छिपे काले धन पर जुर्माना और जेल का प्रावधान
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स्विस सरकार से समझौता, ताकि हर साल खातों की जानकारी मिले
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और ईडी द्वारा समय-समय पर कार्रवाई
हालांकि, अभी भी इसमें पारदर्शिता और तेजी की कमी महसूस की जाती है।