बाजार पर जारी रहेगा ब्रेग्जिट का असर

punjabkesari.in Sunday, Jun 26, 2016 - 03:27 PM (IST)

मुंबई: ब्रिटेन के यूरोपीय संघ का साथ छोडऩे (ब्रेग्जिट) के फैसले से भारी बिकवाली का कोहराम देख चुके सैंसेक्स और निफ्टी पर अगले सप्ताह भी इसका असर जारी रहेगा। इसके अलावा बाजार पर गुरुवार को होने वाले जून के मासिक वायदा सौदा निपटान का असर भी देखा जा सकेगा। बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सैंसेक्स 228.20 अंक अर्थात 0.9 फीसदी लुढ़ककर 26397.71 अंक और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 81.60 अंक यानी एक प्रतिशत टूटकर 26 मई के बाद 8100 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 8088.60 अंक पर रहा।

सैंसेक्स में पांच में से तीन दिन गिरावट रही जबकि शेष दो दिवस तेजी दर्ज की गई। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में शामिल रहने या नहीं रहने पर गुरुवार को हुए जनमत संग्रह की शुक्रवार को हुई मतगणना में ब्रिटेन के संघ की सदस्यता छोडऩे को लेकर सर्वाधिक मत पड़े। इससे यूरोपीय अर्थव्यवस्था के मंदी की चपेट में आने की आशंका में वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर बनी चिंता के कारण दुनिया भर के बाजार में कोहराम मच गया। इससे हतोत्साहित निवेश्कों की भारी बिकवाली का असर घरेलू बाजार पर भी रहा। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली और रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के बयान से निवेशकों को राहत मिली।

जेटली ने कहा यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने (ब्रेग्जिट) की स्थिति से निपटने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है। वहीं, राजन ने कहा कि ब्रेग्जिट के मद्देनजर पूंजी बाजार में व्यवस्था बनाए रखने के लिए डॉलर और रुपये की तरलता बनाये रखने समेत सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। लगभग पूरे सप्ताह बाजार पर ब्रेग्जिट को लेकर कराए गए सर्वेक्षणों का असर बना रहा। सरकार के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव की घोषणा से सोमवार को सेंसेक्स ने 241.01 अंक की छलांग लगाई जबकि ऊंचे भाव पर हुई मुनाफावसूली के दबाव में मंगलवार को यह 54.14 अंक फिसल गया। इसके अगले दिन भी यह 47.13 अंक टूटा।

गुरुवार को दो सर्वेक्षणों में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में शामिल रहने के अनुमान से हुई लिवाली के बल पर यह 236.57 अंक उछल गया। लेकिन, सप्ताहांत पर ब्रेग्जिट से इसमें साल की दूसरी बड़ी 604.51 अंक की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले 11 फरवरी 2016 को सेंसेक्स 807 अंक लुढ़का था। सैंसेक्स में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट 24 अगस्त 2015 को दर्ज की गई थी जब चीन में जारी आर्थिक मंदी के दबाव में वहां के शेयर बाजार में आठ प्रतिशत से अधिक की गिरावट से सैंसेक्स 1624.51 अंक लुढ़का था।


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