पंजाब आर्थिक संकट, कर्ज के जाल में फंस गया है : श्वेत पत्र
punjabkesari.in Saturday, Jun 25, 2022 - 05:22 PM (IST)
चंडीगढ़, 25 जून (भाषा) पंजाब विधानसभा में शनिवार को पेश किए गए राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र में कहा गया है कि पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंस गया है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज में राजकोषीय गड़बड़ी के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया गया है। सदन में राज्य का बजट पेश होने से दो दिन पहले प्रस्तुत दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘आज पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसा है।’’
दस्तावेज में कहा गया कि पिछली सरकारें, आवश्यक सुधारों को लागू करने के बजाय, राजकोषीय लापरवाही करती रही। अनुत्पादक राजस्व व्यय में अनियंत्रित वृद्धि, अनुपयोगी-सब्सिडी, संभावित कर, गैर कर राजस्वों में कमी से यह स्पष्ट है।
यह श्वेत पत्र 73 पन्नों का है। दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र, वित्तीय क्षेत्र में पंजाब सरकार द्वारा सामना किए जा रहे जटिल मुद्दों को सरल बनाने का एक प्रयास है, जो अतीत की सरकारों की नासमझी के कारण समय के साथ गंभीर हो गया है।’’
दस्तावेज में कहा गया है कि पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपये है, जो कि एसजीडीपी (राज्य का सकल घरेलू उत्पाद) का 45.88 फीसदी है। श्वेत पत्र में कहा गया है, ‘‘राज्य के मौजूदा कर्ज संकेतक शायद देश में सबसे खराब हैं, जो इसे कर्ज के जाल में और गहरा धकेल रहे हैं।’’
दस्तावेज में कहा गया कि राज्य का बकाया कर्ज 1980-81 में 1,009 करोड़ रुपये था, जो 2011-12 में बढ़कर 83,099 करोड़ रुपये और 2021-22 में 2,63,265 करोड़ रुपये हो गया।
पंजाब, जो लंबे समय तक पूरे देश में प्रति व्यक्ति आय में नंबर एक हुआ करता था, अब यह कई अन्य राज्यों से पीछे है और शीर्ष से 11वें स्थान पर आ गया है। श्वेत पत्र के अनुसार, छठा पंजाब वेतन आयोग, जो जनवरी 2016 से देय था, राज्य विधानसभा चुनाव से सिर्फ छह महीने पहले काफी देरी से और जल्दबाजी में जुलाई 2021 में लागू किया गया।
दस्तावेज में कहा गया, ‘‘पिछली सरकार छठे पंजाब वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर एक जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान नहीं कर सकी। अकेले इस मद में बकाया देनदारी लगभग 13,759 करोड़ रुपये होने की संभावना है।’’
श्वेत पत्र में कहा गया कि पंजाब को उसका पुराना वैभव वापस लाने के लिए प्रत्यक्ष राजस्व वृद्धि उपायों के साथ-साथ व्यय प्रतिबद्धताओं पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज में राजकोषीय गड़बड़ी के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया गया है। सदन में राज्य का बजट पेश होने से दो दिन पहले प्रस्तुत दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘आज पंजाब आर्थिक संकट और कर्ज के जाल में फंसा है।’’
दस्तावेज में कहा गया कि पिछली सरकारें, आवश्यक सुधारों को लागू करने के बजाय, राजकोषीय लापरवाही करती रही। अनुत्पादक राजस्व व्यय में अनियंत्रित वृद्धि, अनुपयोगी-सब्सिडी, संभावित कर, गैर कर राजस्वों में कमी से यह स्पष्ट है।
यह श्वेत पत्र 73 पन्नों का है। दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र, वित्तीय क्षेत्र में पंजाब सरकार द्वारा सामना किए जा रहे जटिल मुद्दों को सरल बनाने का एक प्रयास है, जो अतीत की सरकारों की नासमझी के कारण समय के साथ गंभीर हो गया है।’’
दस्तावेज में कहा गया है कि पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपये है, जो कि एसजीडीपी (राज्य का सकल घरेलू उत्पाद) का 45.88 फीसदी है। श्वेत पत्र में कहा गया है, ‘‘राज्य के मौजूदा कर्ज संकेतक शायद देश में सबसे खराब हैं, जो इसे कर्ज के जाल में और गहरा धकेल रहे हैं।’’
दस्तावेज में कहा गया कि राज्य का बकाया कर्ज 1980-81 में 1,009 करोड़ रुपये था, जो 2011-12 में बढ़कर 83,099 करोड़ रुपये और 2021-22 में 2,63,265 करोड़ रुपये हो गया।
पंजाब, जो लंबे समय तक पूरे देश में प्रति व्यक्ति आय में नंबर एक हुआ करता था, अब यह कई अन्य राज्यों से पीछे है और शीर्ष से 11वें स्थान पर आ गया है। श्वेत पत्र के अनुसार, छठा पंजाब वेतन आयोग, जो जनवरी 2016 से देय था, राज्य विधानसभा चुनाव से सिर्फ छह महीने पहले काफी देरी से और जल्दबाजी में जुलाई 2021 में लागू किया गया।
दस्तावेज में कहा गया, ‘‘पिछली सरकार छठे पंजाब वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर एक जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान नहीं कर सकी। अकेले इस मद में बकाया देनदारी लगभग 13,759 करोड़ रुपये होने की संभावना है।’’
श्वेत पत्र में कहा गया कि पंजाब को उसका पुराना वैभव वापस लाने के लिए प्रत्यक्ष राजस्व वृद्धि उपायों के साथ-साथ व्यय प्रतिबद्धताओं पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Shukrawar Upay: कुंडली में शुक्र है कमजोर तो कर लें ये उपाय, कष्टों से मिलेगा छुटकारा
Bhalchandra Sankashti Chaturthi: आज मनाई जाएगी भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Rang Panchami: कब मनाया जाएगा रंग पंचमी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हरियाणा में सिक्योरिटी गार्ड की हत्या, पार्क में खून से लथपथ पड़ा मिला शव