सीसीआई ने समुद्री परिवहन क्षेत्र की तीन कंपनियों पर गुटबंदी के लिए 63 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
punjabkesari.in Monday, Jan 24, 2022 - 09:28 PM (IST)
नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने समुद्री परिवहन क्षेत्र की तीन कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों पर गुटबंदी के लिए 63 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है।
नियामक ने कुल चार कंपनियों के खिलाफ गुटबंदी के लिए आदेश पारित किया है, लेकिन एक कंपनी के खिलाफ जुर्माना माफ कर दिया है।
इसके अलावा नियामक ने चार कंपनियों निप्पॉन युसेन काबुशिकी कैशा (एनवाईके लाइन), कावासाकी किसेन कैशा लि., मित्सुई ओ एस के लाइंस लि. (एमओएल) और निसान मोटर कार कैरियर कंपनी को प्रतिस्पर्धा रोधी व्यवहार से बचने की सलाह दी है।
कम जुर्माने के आवेदन के बाद सीसीआई ने निप्पॉन युसेन काबुशिकी कैशा लि. के खिलाफ जुर्माना माफ करने का फैसला किया है।
कावासाकी किसेन कैशा लि. (के-लाइन) पर 24.23 करोड़ रुपये, मित्सुई ओ एस के लाइंस लि. (एमओएल) और निसान मोटर कार कैरियर कंपनी (एनएमसीसी) पर क्रमश: 10.12 करोड़ रुपये और 28.69 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
एनएमसीसी और एमओएल ने नियामक के पास जुर्माना कम करने का आवेदन किया था। सीसीआई ने अपने आदेश में कहा कि जो प्रमाण उपलब्ध हैं उनसे पता चलता है कि एनवाईके लाइन, के-लाइन, एमओएल और एनएमसीसी ने एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए गुटबंदी की थी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
नियामक ने कुल चार कंपनियों के खिलाफ गुटबंदी के लिए आदेश पारित किया है, लेकिन एक कंपनी के खिलाफ जुर्माना माफ कर दिया है।
इसके अलावा नियामक ने चार कंपनियों निप्पॉन युसेन काबुशिकी कैशा (एनवाईके लाइन), कावासाकी किसेन कैशा लि., मित्सुई ओ एस के लाइंस लि. (एमओएल) और निसान मोटर कार कैरियर कंपनी को प्रतिस्पर्धा रोधी व्यवहार से बचने की सलाह दी है।
कम जुर्माने के आवेदन के बाद सीसीआई ने निप्पॉन युसेन काबुशिकी कैशा लि. के खिलाफ जुर्माना माफ करने का फैसला किया है।
कावासाकी किसेन कैशा लि. (के-लाइन) पर 24.23 करोड़ रुपये, मित्सुई ओ एस के लाइंस लि. (एमओएल) और निसान मोटर कार कैरियर कंपनी (एनएमसीसी) पर क्रमश: 10.12 करोड़ रुपये और 28.69 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
एनएमसीसी और एमओएल ने नियामक के पास जुर्माना कम करने का आवेदन किया था। सीसीआई ने अपने आदेश में कहा कि जो प्रमाण उपलब्ध हैं उनसे पता चलता है कि एनवाईके लाइन, के-लाइन, एमओएल और एनएमसीसी ने एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए गुटबंदी की थी।
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