कोल इंडिया ने खदान के ऊपर पड़ी मिट्टी, अन्य सामग्री से सस्ती दर पर रेत बनाने की पहल की
punjabkesari.in Tuesday, Jul 27, 2021 - 10:02 PM (IST)
नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) सरकार ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया खदानों के ऊपर पड़ी मिट्टी, चूना पत्थर (ओवरबर्डन) आदि से सस्ती दर पर रेत उत्पादन के लिये अनूठी पहल की है।
खुले खदानों में खुदाई के दौरान कोयले की परत के ऊपर के स्तर को ‘ओवरबर्डन’ के रूप में जाना जाता है। यह जलोढ़ मिट्टी और बलुआ पत्थर के साथ समृद्ध सिलिका सामग्री से युक्त होता है।
कोयला मंत्रालय के बयान के अनुसार इस कदम से न केवल रेत गाद के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में सहायता मिलेगी, बल्कि निर्माण कार्य के लिए सस्ती रेत प्राप्त करने का एक अच्छा विकल्प भी मिलेगा।
इसमें कहा गया है कि रेत क उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। कोल इंडिया के अंतर्गत आने वाली विभिन्न कोयला उत्पादक कंपनियों के जरिये रेत का उत्पादन अधिकतम करने और निकट भविष्य में रेत के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने के लिए अगले पांच वर्ष के लिये खाका तैयार किया गया है।
इस प्रयास के तहत कोल इंडिया का अगले पांच वर्ष में अपनी विभिन्न कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों में 15 प्रमुख रेत संयंत्रों को चालू करके रेत उत्पादन को लगभग 80 लाख टन तक पहुंचने का लक्ष्य है।
चालू वित्त वर्ष के अंत तक कोल इंडिया (सीआईएल) ने 15 में से 9 संयंत्रों को चालू करने की योजना बनायी है। इससे लगभग तीन लाख घन मीटर का उत्पादन होगा।
इस प्रयास से न केवल समाज को बड़े पैमाने पर सहायता प्राप्त होगी बल्कि नदी तल से रेत खनन में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
इस प्रकार की पहल सीआईएल की अनुषंगी कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) ने की है। प्रारंभ में एक पायलट परियोजना की शुरूआत की गई थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत कम लागत वाले मकानों का निर्माण करने के लिए नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को बहुत ही सस्ती कीमत पर यह रेत की पेशकश की गई है। बेहतर गुणवत्ता के साथ इस रेत की कीमत बाजार मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत है।
परियोजना की भारी सफलता और सस्ते रेत की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए, डब्ल्यूसीएल ने नागपुर के पास देश की सबसे बड़ी रेत उत्पादन संयंत्र चालू करके वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
खुले खदानों में खुदाई के दौरान कोयले की परत के ऊपर के स्तर को ‘ओवरबर्डन’ के रूप में जाना जाता है। यह जलोढ़ मिट्टी और बलुआ पत्थर के साथ समृद्ध सिलिका सामग्री से युक्त होता है।
कोयला मंत्रालय के बयान के अनुसार इस कदम से न केवल रेत गाद के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में सहायता मिलेगी, बल्कि निर्माण कार्य के लिए सस्ती रेत प्राप्त करने का एक अच्छा विकल्प भी मिलेगा।
इसमें कहा गया है कि रेत क उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है। कोल इंडिया के अंतर्गत आने वाली विभिन्न कोयला उत्पादक कंपनियों के जरिये रेत का उत्पादन अधिकतम करने और निकट भविष्य में रेत के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने के लिए अगले पांच वर्ष के लिये खाका तैयार किया गया है।
इस प्रयास के तहत कोल इंडिया का अगले पांच वर्ष में अपनी विभिन्न कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों में 15 प्रमुख रेत संयंत्रों को चालू करके रेत उत्पादन को लगभग 80 लाख टन तक पहुंचने का लक्ष्य है।
चालू वित्त वर्ष के अंत तक कोल इंडिया (सीआईएल) ने 15 में से 9 संयंत्रों को चालू करने की योजना बनायी है। इससे लगभग तीन लाख घन मीटर का उत्पादन होगा।
इस प्रयास से न केवल समाज को बड़े पैमाने पर सहायता प्राप्त होगी बल्कि नदी तल से रेत खनन में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
इस प्रकार की पहल सीआईएल की अनुषंगी कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) ने की है। प्रारंभ में एक पायलट परियोजना की शुरूआत की गई थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत कम लागत वाले मकानों का निर्माण करने के लिए नागपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को बहुत ही सस्ती कीमत पर यह रेत की पेशकश की गई है। बेहतर गुणवत्ता के साथ इस रेत की कीमत बाजार मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत है।
परियोजना की भारी सफलता और सस्ते रेत की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए, डब्ल्यूसीएल ने नागपुर के पास देश की सबसे बड़ी रेत उत्पादन संयंत्र चालू करके वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया है।
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