मांग बढ़ने और आपूर्ति घटने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में सुधार

punjabkesari.in Sunday, Apr 11, 2021 - 04:08 PM (IST)

नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों और विशेषकर हल्के खाद्यतेलों की मांग बढ़ने के कारण दिल्ली तेल तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ और पामोलीन सहित लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया।

बाजार सूत्रों द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुछ दिनों पूर्व देश भर की विभिन्न मंडियों में 10-12 लाख सरसों की बोरियों की आवक हो रही थी जो अब घटकर 6-7 लाख बोरी रह गई है। उन्होंने कहा कि सरसों की रोक रोक कर बिक्री करने का काम किसान कर रहे हैं जिसकी सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड से अपेक्षा की जाती रही है। उन्होंने कहा कि मंडियों में सरसों की कम आवक के साथ उपभोक्ताओं को लगभग 20 फरवरी से बिना मिलावट वाले शुद्ध सरसों तेल खाने को मिल रहा है क्योंकि बाकी तेलों के मुकाबले सस्ता होने से सरसों में किसी और तेल की मिलावट नहीं हो पा रही है। सूत्रों ने कहा कि सरसों की भारी मांग और आपूर्ति की कमी होने से सरसों तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि उंचा भाव होने के कारण व्यापारियों एवं किसानों के पास सोयाबीन का स्टॉक नहीं है। जबकि पाल्ट्री वालों की घरेलू मांग के साथ साथ सोयाबीन के तेल रहित खल के निर्यात की भारी मांग है। इस परिस्थिति में सोयाबीन तेल तिलहनों के भाव भी पर्याप्त सुधार आया।

निर्यात मांग के साथ साथ स्थानीय खपत बढ़ने से मूंगफली तेल तिलहनों के भाव में भी पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ।

उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में तेजी के बीच सीपीओ और पामोलीन तेल की मांग बढ़ने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। सीपीओ की अगली फसल जून जुलाई में आयेगी।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को यदि खाद्यतेलों के आयात पर होने वाले करोड़ों के डॉलर की विदेशीमुद्रा बचानी है और देश को आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाना है तो उसे तेल कारोबार पर पैनी नजर रखनी होगी और अफवाह फैलाने या वायदा कारोबार का दुरुपयोग कर फायदा कमाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने कहा कि तेल कीमतों के टूटने की स्थिति में बाजार को संभालने के लिए सरकार सीपीओ पर 300 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगा सकती है।

उन्होंने कहा कि तेल कीमतों के बढ़ने से महंगाई पर कोई खास असर नहीं होगा बल्कि इससे किसानों को फायदा पहुंचेगा जो आगे और उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे और किसानों को फायदा होने से उनकी क्रय शक्ति ही बढ़ेगी जो अंत में अर्थव्यवस्था में लौटकर उसे और गति देगा।

पिछले सप्ताह सरसों दाना का भाव 325 रुपये बढ़कर 6,310-6,350 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जो उसके पिछले सप्ताहांत 5,985-6,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 500 रुपये सुधरकर 12,900 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव में भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 90-90 रुपये सुधार के साथ क्रमश: 2,030-2,110 रुपये और 2,210-2,240 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

विदेशों में मांग बढ़ने से सोयाबीन और पामोलिन तेल में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। सोयाबीन की तेल रहित खल की स्थानीय पाल्ट्री फर्मो के अलावा भारी निर्यात मांग है जिससे सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया। सोयाबीन दाना और लूज का भाव क्रमश: 450 रुपये और 300 रुपये का सुधार दर्शाता क्रमश: 6,700-6,800 रुपये और 6,550-6,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम का भाव क्रमश: 400 रुपये, 400 रुपये और 350 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,350 रुपये, 14,150 रुपये और 13,070 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

निर्यात मांग के कारण मूंगफली दाना 150 रुपये सुधरकर 6,485-6,530 रुपये, मूंगफली गुजरात 400 रुपये के सुधार के साथ 15,900 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 60 रुपये के सुधार के साथ 2,530-2,590 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

सप्ताह के दौरान कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव 200 रुपये बढ़कर 11,780 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 350 रुपये और 400 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 13,550 रुपये और 12,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गये।
बाकी तेलों में तिल मिल डिलीवरी का भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 14,800-17,800 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। बिनौला मिल डिलिवरी हरियाणा 400 रुपये बढ़कर 13,500 रुपये हो गया। वहीं मक्का खल का भाव भी 90 रुपये सुधरकर 3,700 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। कंपनियों और शादी ब्याह में मक्का रिफाइंड की मांग बढ़ रही है जिसे काफी बेहतर माना जाता है।

जानकारों के मुताबिक यदि देश में सोयाबीन, मूंगफली, सरसों तेल तिलहन के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता हे तो न केवल विदेशों से हर साल होने वाला सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक का खाद्य तेलों के आयात पर अंकुश लगेगा बल्कि सोयाबीन खली, मूंगफली का निर्यात भी बढ़ेगा और करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा भी कमाई जा सकेगी। इसके साथ ही उद्योग में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।



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PTI News Agency

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