जीएसटी क्षतिपूर्ति संग्रह में कमी की भरपाई करना केंद्र का दायित्व नहीं, अटार्नी जनरल की राय
punjabkesari.in Saturday, Aug 01, 2020 - 12:26 PM (IST)
नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) भारत सरकार के महान्यायवादी की राय में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति मद में आयी कमी को अपने खजाने से पूरा कर राज्यों के राजस्व की भरपाई करने का केन्द्र सरकार पर कोई सांविधिक दायित्व नहीं है। राज्यों को इस स्थिति में अब बाजार से ही और उधार जुटाना पड़ सकता है। सूत्रों ने यह कहा।
जीएसटी परिषद की मार्च में हुई बैठक के बाद केंद्र ने इस संबंध में सरकार के महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल से क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई के लिये बाजार से उधारी उठाने को लेकर कानूनी स्थिति पर राय मांगी थी। जीएसटी व्यवस्था के तहत कुछ विलासिता के सामानों और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक सामानों पर अतिरिक्त कर लगाकर क्षतिपूर्ति कोष के लिये धन जुटाया जाता है। इसी कोष से राज्यों के राजस्व में आने वाली कमी को पूरा किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार के मुख्य कानूनी अधिकारी वेणुगोपाल ने अपनी राय में कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई करना केंद्र सरकार की बाध्यता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कमी की भरपाई करने का रास्ता निकालने के बारे में जीएसटी परिषद को निर्णय लेना है।
सूत्रों ने कहा कि क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई करने के लिये परिषद के समक्ष जो विकल्प हैं, उनमें जीएसटी की दरों को तार्किक बनाना, उपकर के दायरे में आने वाले सामानों की संख्या बढ़ाना या उपकर की दर बढ़ाना और राज्यों को अधिक उधारी का सुझाव देना आदि शामिल हैं।
हालांकि, महामारी की मौजूदा स्थिति में कर या उपकर की दरों को बढ़ाना सही विकल्प नहीं हो सकता है, ऐसे में राज्यों के लिये राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये राज्यों को अपनी संचित निधि के बल पर बाजार से अधिक उधार उठाने का ही विकल्प बच पाता है।
अगस्त 2019 के बाद से उपकर से संग्रह में कमी आने के बाद राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना केन्द्र और राज्यों के बीच एक मुद्दा बन गया। इसके बाद केंद्र सरकार को भरपाई के लिये 2017-18 और 2018-19 में प्राप्त हुये अतिरिक्त उपकर संग्रह का इस्तेमाल करना पड़ा।
जीएसटी कानून के तहत, राज्यों को एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्ष के दौरान राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी दी गयी है। इस नुकसान की गणना जीएसटी में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि मानकर की जाती है, जिसके लिये 2015-16 को आधार वर्ष माना गया।
जीएसटी ढांचे में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार मुख्य कर दर हैं। जीएसटी की सबसे ऊंची दर पर कर लगने के साथ ही लक्जरी वाहन एवं सामानों, सिगरेट जैसे स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह उत्पादों पर उपकर लगाया जाता है और उसी से प्राप्त राजस्व से राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई की जाती है।
केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 2019-20 में राज्यों को 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किये थे। हालांकि, 2019-20 के दौरान उपकर संग्रह 95,444 करोड़ रुपये ही हुआ था। इससे पहले 2018-19 में 69,275 करोड़ रुपये और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति भुगतान किया गया।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन होने के बाद राजस्व में कमी होने पर संविधान में राज्यों को क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। एक सूत्र ने कहा, "हालांकि, प्राकृतिक आपदा, कोविड-19 या आर्थिक मंदी जैसे कारणों से नुकसान होने पर संविधान या जीएसटी कानूनों के तहत क्षतिपूर्ति भुगतान की कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि ये कारण जीएसटी के क्रियान्वयन से संबंधित नहीं हैं।"
सूत्र ने कहा, केंद्र सरकार को नहीं बल्कि जीएसटी परिषद को यह तय करना है कि ऐसी परिस्थितियों में कमी को कैसे पूरा किया जाये।
कई राज्यों ने इस क्षतिपूर्ति की भरपाई भारत सरकार के संचित निधि कोष से करने की मांग की है। लेकिन संसद ने 2017 में इस तरह के संशोधन को खारिज कर दिया था जिसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में आने वाली कमी को भारत के संचित निधि कोष से भुगतान किये जाने का प्रावधान करने को कहा गया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
जीएसटी परिषद की मार्च में हुई बैठक के बाद केंद्र ने इस संबंध में सरकार के महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल से क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई के लिये बाजार से उधारी उठाने को लेकर कानूनी स्थिति पर राय मांगी थी। जीएसटी व्यवस्था के तहत कुछ विलासिता के सामानों और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक सामानों पर अतिरिक्त कर लगाकर क्षतिपूर्ति कोष के लिये धन जुटाया जाता है। इसी कोष से राज्यों के राजस्व में आने वाली कमी को पूरा किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार के मुख्य कानूनी अधिकारी वेणुगोपाल ने अपनी राय में कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई करना केंद्र सरकार की बाध्यता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कमी की भरपाई करने का रास्ता निकालने के बारे में जीएसटी परिषद को निर्णय लेना है।
सूत्रों ने कहा कि क्षतिपूर्ति कोष में कमी की भरपाई करने के लिये परिषद के समक्ष जो विकल्प हैं, उनमें जीएसटी की दरों को तार्किक बनाना, उपकर के दायरे में आने वाले सामानों की संख्या बढ़ाना या उपकर की दर बढ़ाना और राज्यों को अधिक उधारी का सुझाव देना आदि शामिल हैं।
हालांकि, महामारी की मौजूदा स्थिति में कर या उपकर की दरों को बढ़ाना सही विकल्प नहीं हो सकता है, ऐसे में राज्यों के लिये राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये राज्यों को अपनी संचित निधि के बल पर बाजार से अधिक उधार उठाने का ही विकल्प बच पाता है।
अगस्त 2019 के बाद से उपकर से संग्रह में कमी आने के बाद राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना केन्द्र और राज्यों के बीच एक मुद्दा बन गया। इसके बाद केंद्र सरकार को भरपाई के लिये 2017-18 और 2018-19 में प्राप्त हुये अतिरिक्त उपकर संग्रह का इस्तेमाल करना पड़ा।
जीएसटी कानून के तहत, राज्यों को एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्ष के दौरान राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की गारंटी दी गयी है। इस नुकसान की गणना जीएसटी में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि मानकर की जाती है, जिसके लिये 2015-16 को आधार वर्ष माना गया।
जीएसटी ढांचे में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार मुख्य कर दर हैं। जीएसटी की सबसे ऊंची दर पर कर लगने के साथ ही लक्जरी वाहन एवं सामानों, सिगरेट जैसे स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह उत्पादों पर उपकर लगाया जाता है और उसी से प्राप्त राजस्व से राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई की जाती है।
केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 2019-20 में राज्यों को 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किये थे। हालांकि, 2019-20 के दौरान उपकर संग्रह 95,444 करोड़ रुपये ही हुआ था। इससे पहले 2018-19 में 69,275 करोड़ रुपये और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति भुगतान किया गया।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन होने के बाद राजस्व में कमी होने पर संविधान में राज्यों को क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। एक सूत्र ने कहा, "हालांकि, प्राकृतिक आपदा, कोविड-19 या आर्थिक मंदी जैसे कारणों से नुकसान होने पर संविधान या जीएसटी कानूनों के तहत क्षतिपूर्ति भुगतान की कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि ये कारण जीएसटी के क्रियान्वयन से संबंधित नहीं हैं।"
सूत्र ने कहा, केंद्र सरकार को नहीं बल्कि जीएसटी परिषद को यह तय करना है कि ऐसी परिस्थितियों में कमी को कैसे पूरा किया जाये।
कई राज्यों ने इस क्षतिपूर्ति की भरपाई भारत सरकार के संचित निधि कोष से करने की मांग की है। लेकिन संसद ने 2017 में इस तरह के संशोधन को खारिज कर दिया था जिसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में आने वाली कमी को भारत के संचित निधि कोष से भुगतान किये जाने का प्रावधान करने को कहा गया था।
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