अर्थव्यवस्था का निर्माण स्थानीय कौशल के बूते करने की जरूरत : प्रभु

punjabkesari.in Thursday, May 28, 2020 - 04:24 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) देश को अब मूलभूत चीजों पर लौटना चाहिए और स्थानीय कौशल तथा प्राकृतिक रूप से उपलब्ध संसाधनों के जरिये अर्थव्यवस्था के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने बृहस्पतिवार को आत्म-निर्भर भारत के महत्व का उल्लेख करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि आत्म-निर्भर भारत के पांच स्तंभ...अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, प्रणाली, गतिशील जनसांख्यिकी और मांग हैं।
भारतीय लागत लेखा संस्थान द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा कि इस तरीके से काम करने की जरूरत है कि लोगों की जरूरतों को उचित तरीके से पूरा किया जा सके और दुनिया की मांग को भी पूरा किया जा सके।
प्रभु ने कहा कि प्रत्येक जिले की विशिष्ट परंपरागत विशेषताएं हैं। यदि जिलों को आत्म-निर्भर बनाने के लिए सही तरीके से अध्ययन और दस्तावेजीकरण किया जाए, तो इससे ग्रामीण भारत में काफी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
प्रभु ने कहा कि प्राचीन समय में भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था था और यहां के उत्पादों की काफी मांग थी। ‘‘यहां इस्पात, सीमेंट और वाहन नहीं बनते थे, बल्कि स्थानीय कौशल वाले उत्पादों का उत्पादन होता था। हमें एक बार फिर से मूलभूत चीजों की ओर लौटना होगा।’’ प्रभु जी-20 देशों में भारत के शेरपा भी हैं।
इसी वेबिनार को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि कोविड-19 संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट तौर पर आत्म-निर्भर भारत का आह्वान किया है। पिछले छह साल से सरकार आत्म-निर्भरता के लिए काम कर रही है।

माधव ने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए भारत ने अन्य देशों की तुलना ज्यादा बेहतर तरीके से काम किया है। इसकी वजह है कि प्रधानमंत्री ने सही समय पर सही निर्णय लिए। इसके अलावा प्रशासनिक मशीनरी काफी दक्ष है तथा देश के 1.3 अरब लोगों ने भी इस महामारी के समय एकता और अनुशासन दिखाया है।


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PTI News Agency

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