बिजली उत्पादकों ने क्षमता-शुल्क न मिलने पर बिजली मंत्री से की मध्य प्रदेश की शिकायत

punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 04:49 PM (IST)

नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) बिजली उत्पादकों के संगठन (एपीपी) ने केंद्रीय मंत्री आर के सिंह से आग्रह किया है कि वह मध्य प्रदेश सरकार को स्वतंत्र बिजली उत्पादकों को स्थिर शुल्क या क्षमता शुल्क का भुगतान बंद करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दे।

संगठन ने बिजली मंत्री सिंह को लिखा है, ‘‘मध्य प्रदेश सरकार ने स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) को क्षमता शुल्क का बकाया नहीं देने का फैसला किया है। आप यह मानेंगे यह निणय अनुचित, अवैध और मनमाना है। हम आईपीपी के माध्यम से आपसे मामले में हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं। आप राज्य सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दें।’’
पत्र के अनुसार मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी लि. (एमपीपीएमसीएल) मनमाना व्यवहार कर रही है। ये कंपनियां राज्य सरकार के इसी उपक्रम के माध्यम से वहां बिजली देती हैं।
मध्य प्रदेश को बिजली आपूर्ति करने वाले आईपीपी में जयप्रकाश पावर वेंचर्स, टोरेंट पावर, लैंको अमरकंटक, बीएलए पावर, एमबी पावर, झाबुआ पावर समेत अन्य कंपनियां हैं।

पत्र में कहा गया है कि क्षमता शुल्क का भुगतान नहीं करने से कर्ज भुगतान में समस्या आएगी और इससे बैंकों में एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनेगा। इतना ही नहीं इससे वेतन भुगतान में भी समस्या आएगी और लोगों की छंटनी करनी पड़ सकती है। इसका कारण यह है कि किसी भी कंपनी के पास कोविड-19 संकट से पार पाने के लिये पर्याप्त नकदी भंडार नहीं है।

एपीपी का दावा है कि राज्य में स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के कर्मचारियों की संख्या कम-से-कम 10,000 है।

इसमें कहा गया है कि एमपीपीएमसीएल ने 24 मार्च के एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून) आदेश का संज्ञान लेते हुए 30 मार्च 2020 को आपात स्थिति नोटिस जारी किया।
इस पर जवाब देते हुए आईपीपी ने कहा कि एमपीपीएमसीएल जैसी राज्य बिजली कंपनियां तथा उत्पादक कंपनियां अनिवार्य सेवाओं के अंतर्गत आती हैं, अत: आपात स्थिति प्रावधान लागू नहीं किया जा सकता।

उसके बाद एमपीपीएमसीएल ने आठ अप्रैल 2020 को 31 मार्च की तारीख वाला एक और आपात स्थिति नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि बिजली उत्पादक बिजली को लेकर तो ‘शिड्यूल’ नहीं बनाएंगे और उनकी घोषित क्षमता को स्वीकार नहीं किया जाएगा या उनकी क्षमता को उस स्तर तक ही स्वीकार किया जागा जिस स्तर तक संयंत्र से बिजली भेजने की सारिणी बनायी गयी होगी।

पत्र के अनुसार क्षमता शुल्क उस बिजली के लिये नहीं दी जाएगी जो एमपीपीएमसीएल द्वारा शिड्यूल नहीं हो। भले ही आईपीपी ने क्षमता की घोषणा कर रखा होगा।
इसमें कहा गया है कि नोटिस पिछली तरीख से जारी किया गया। जबकि बिजली मंत्रालय ने छह अप्रैल 2020 को एक परिपत्र के जरिये साफ कर दिया था कि बिजली खरीद समझौता के तहत क्षमता शुल्क के भुगतान की व्यवस्था बनी रहेगी जैसा कि पारेषण शुल्क भुगतान बाध्यता के मामले मे है।

क्षेत्रीय और राज्य लोड डिस्पैच सेंटरों ने आईपीपी की घोषित क्षमता को स्वीकार किया। और इस आधार वे क्षमता शुल्क का दाव करने का हक रखते हैं।

पत्र के अनुसार इन सबके बावजूद एमपीपीएमसीएल ने आईपीपी के बिलों का भुगतान करने से इनकार किया है और क्षमता शुल्क के उनके वैध दावों के निपटान से इनकार कर रहा है।
संगठन ने यह कहा कि एमपीपीएमसीएल ने एनटीपीसी जैसे सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादकों को क्षमता शुल्क देने का फैसला किया है जबकि आपात स्थिति का हवाला देते हुए आईपीपी को उसका भुगतान करने से इनकार किया है।



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PTI News Agency

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