सत्य कहानी: भगवान पर विश्वास रखने वालों के साथ ऐसे होते हैं चमत्कार

punjabkesari.in Wednesday, Dec 23, 2015 - 08:58 AM (IST)

स्वामी विवेकानंद का सम्पूर्ण जीवन एक दीपक के समान है जो हमेशा अपने प्रकाश से इस संसार को जगमगाता रहेगा और उनका जीवन सदा हम लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

एक बार स्वामी विवेकानंद ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और हमेशा की तरह भगवा कपड़े और पगड़ी पहने हुए थे। ट्रेन में यात्रा कर रहे एक अन्य यात्री को उनका यह रूप बहुत अजीब लगा और वह स्वामी जी को कुछ अपशब्द कहते हुए बोलने लगा- तुम संन्यासी बनकर घूमते रहते हो कुछ कमाते-धमाते क्यों नहीं, तुम लोग बहुत आलसी हो। लेकिन स्वामी जी दयावान थे उन्होंने उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और हमेशा की तरह चेहरे पे तेज लिए मुस्कुराते रहे। 
 
उस समय स्वामी जी को बहुत भूख लगी हुई थी क्योंकि उन्होंने सुबह से कुछ खाया-पीया नहीं था। स्वामी जी हमेशा दूसरों के कल्याण के बारे में सोचते थे अपने खाने का उन्हें ध्यान ही कहां रहता था। एक तरफ स्वामी जी भूख से व्याकुल थे वहीं वह दूसरा यात्री उनको अपशब्द और बुरा-भला कहने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा था। इसी बीच स्टेशन आ गया और स्वामी जी और वह यात्री दोनों उतर गए। 
 
उस यात्री ने अपने बैग से अपना खाना निकाला और खाने लगा और स्वामी जी से बोला- अगर कुछ कमाते तो तुम भी खा रहे होते। स्वामी जी बिना कुछ बोले चुपचाप थके-हारे एक पेड़ के नीचे बैठ गए और बोले मैं अपने ईश्वर पर विश्वास करता हूं जो वह चाहेंगे वही होगा। अचानक ही कहीं से एक आदमी खाना लिए हुए स्वामी जी के पास आया और बोला क्या आप ही स्वामी विवेकानंद हैं और इतना कहकर स्वामी जी के कदमों में गिर पड़ा और बोला कि मैंने एक सपना देखा था जिसमें खुद भगवान ने मुझसे कहा कि मेरा परम भक्त विवेकानंद भूखा है तुम जल्दी जाओ और उसे भोजन देकर आओ।
 
बस इतना सुनना था कि वह यात्री जो स्वामी जी की आलोचना कर रहा था भाग कर आया और स्वामी जी के कदमों में गिर पड़ा, बोला- महाराज मुझे क्षमा कर दीजिए मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई है मैंने भगवान को देखा नहीं है लेकिन आज जो चमत्कार मैंने देखा उसने भगवान में मेरे विश्वास को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। स्वामी जी ने दया भाव से व्यक्ति को उठाया और गले से लगा लिया। 

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