प्रेरणात्मक कहानी: प्यार के प्रति बदल सकती है नजरिया

punjabkesari.in Monday, Apr 11, 2016 - 01:46 PM (IST)

एक स्कूल में टीचर ने अपने छात्रों को एक कहानी सुनाई और बोली-एक समय की बात है कि एक समय एक छोटा जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उस पर पति-पत्नी का एक जोड़ा सफर कर रहा था। उन्होंने देखा कि जहाज पर एक लाइफबोट है जिसमें एक ही व्यक्ति बैठ सकता है जिसे देखते ही वह आदमी अपनी पत्नी को धक्का देते हुए खुद कूद कर उस लाइफबोट पर बैठ गया। उसकी पत्नी जोर से चिल्ला कर कुछ बोली। टीचर ने बच्चों से पूछा कि तुम अनुमान लगाओ वह चिल्लाकर क्या बोली होगी? बहुत से बच्चों ने लगभग एक साथ बोला कि वह बोली होगी कि तुम बेवफा हो, मैं अंधी थी जो तुमसे प्यार किया, मैं तुमसे नफरत करती हूं।

 

तभी टीचर ने देखा कि एक बच्चा चुप बैठा है और कुछ नहीं बोल रहा। उसने उसे बुलाया और कहा, ‘‘बताओ उस महिला ने क्या कहा होगा।’’ वह बच्चा बोला, ‘‘मुझे लगता है कि उस महिला ने चिल्लाकर कहा होगा कि अपने बच्चे का ख्याल रखना।’’ 

 

टीचर को आश्चर्य हुआ और बोली, ‘‘क्या तुमने यह कहानी पहले सुनी है।’’ 

 

उस बच्चे ने कहा, ‘‘नहीं, लेकिन मेरी मां ने मरने से पहले मेरे पिता को यही कहा था।’’ तुम्हारा जवाब बिल्कुल सही है।

 

फिर वह जहाज डूब गया और वह आदमी अपने घर गया तथा अकेले ही अपनी मासूम बेटी का पालन-पोषण कर उसे बड़ा किया। बहुत वर्षों के बाद उस आदमी की मृत्यु हो जाती है तो उस लड़की को घर के सामान में अपने पिता की एक डायरी मिलती है जिसमें उसके पिता ने लिखा था कि जब वे जहाज पर जाने वाले थे तब ही उन्हें यह पता लग गया था कि उसकी पत्नी एक गंभीर बीमारी से ग्रसित है और उसके बचने की उम्मीद नहीं है, फिर भी उसको बचाने के लिए उसे लेकर जहाज से कहीं जा रहे थे उस उम्मीद में कि कोई इलाज हो सके लेकिन दुर्भाग्य से दुर्घटना हो गई। वह भी उसके साथ समुद्र की गहराइयों में डूब जाना चाहता था लेकिन सिर्फ अपनी बेटी के लिए दुखी हृदय से अपनी पत्नी को समुद्र में डूब जाने को अकेला छोड़ दिया। 

 

कहानी खत्म हो गई। पूरी क्लास मौन थी। टीचर समझ चुकी थी कि छात्रों को कहानी का मोरल समझ आ चुका था। संसार में अच्छाई और बुराई दोनों हैं लेकिन उसके पीछे दोनों में बहुत जटिलताएं भी हैं जो परिस्थितियों पर निर्भर होती हैं और उन्हें समझना कठिन होता है इसलिए हमें जो सामने दिख रहा है उस पर सतही तौर से देख कर अपनी राय नहीं बनानी चाहिए जब तक हम पूरी बात समझ न लें। अगर कोई किसी की मदद करता है तो उसका मतलब यह नहीं कि वह एहसान कर रहा है बल्कि यह है कि वह दोस्ती का मतलब समझता है।


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