कांग्रेस की तरह भाजपा में चमचागिरी वाला कल्चर नहीं : राणा सोढी

punjabkesari.in Wednesday, Apr 26, 2023 - 01:27 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राणा गुरमीत सोढी ने दावा किया है कि आने वाले 2024 के चुनावों में भाजपा पंजाब में सफलता हासिल करेगी, क्योंकि अकाली दल और कांग्रेस से उकताए बैठे लोगों ने 'आप' में विश्वास तो किया, लेकिन वह भी विफल रही। राणा सोढी से इस संबंध में की गई बातचीत के विशेष अंश:-

जालंधर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की क्या स्थिति है?

अभी शुरूआत है, आगे-आगे देखिए होता है क्या। मुझे लगता है कि जिस तरह से मैं जमीनी स्तर पर लोगों से मिल रहा हूं, भाजपा का बेहतर परिणाम आएगा। हालांकि कुछ राजनीतिक माहिर दावा कर रहे हैं कि हमारी स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन बहुत से समीकरण बदल चुके हैं। 2022 और अब में जमीन-आसमान का अंतर है। मौजूदा सरकार की कार्यशैली से लोग खुश नहीं हैं। कानून-व्यवस्था की बैंड बज गई है। लोगों की कांग्रेस और अकाली दल के प्रति भी जो सोच है, उसमें भी उनका ग्राफ गिरा है। इस समय लोग महसूस कर रहे हैं कि भाजपा के कहने और करने में अंतर नहीं है। 

सरकार के खिलाफ माहौल को कैश कर रहे हो या अपना भी कोई बेस है?
हम सरकार के खिलाफ कोई एंटी इन कंबैंसी को कैश नहीं करना चाहते। लोग खुद अंतर निकाल रहे हैं। भाजपा जैसे दूसरे राज्यों में काम कर रही है, लोग देख रहे हैं। भाजपा की सरकारें दूसरे राज्यों में रिपीट हो रही हैं। यही कारण है कि 2024 में भी देश में दोबारा भाजपा की सरकार बनेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नेतृत्व करेंगे। पंजाब पर भी इसका असर पड़ रहा है तथा यहां के लोग अब भाजपा को ही चाहते हैं। 

आपने कांग्रेस क्यों छोड़ी, नाराजगी या कुछ और?
मेरी कोई नाराजगी नहीं, लेकिन मुझे अफसोस है कि कांग्रेस पार्टी ग्राऊंड की सच्चाई नहीं समझ सकी। जो राज्य के नेता थे, उनकी पार्टी के प्रति वफादारी को नहीं समझ सके। सिर्फ और सिर्फ चमचागिरी करने वालों को ही पूछा गया। कांग्रेस की पंजाब के लोगों के प्रति नीयत और नीतियां दोनों ही खत्म हो गई हैं। 

कांग्रेस और भाजपा की नीति में क्या अंतर है?
जमीन आसमान का अंतर है। अगर भाजपा की बात करें तो अनुशासन और परफार्मैंस में विश्वास रखने वाले लोग हैं। कोई भी मसला हो, उसे ऊपर के स्तर तक ले जाया जाता है, उस पर चर्चा होती है और उसका हल निकाला जाता है। कांग्रेस में हिसाब ही अलग है। न इनको कुछ सुने और न ही दिखे। 

सी.एम. मान कह रहे हैं कि गनमैन या विजीलैंस के डर से भाजपा में जा रहे कांग्रेसी?
यह तो एक राजनीतिक बयान है और इसे लोग भी समझते हैं। मैं तो सी.एम. साहब से पूछना चाहता हूं कि लोगों ने उन्हें उनके वायदों के हिसाब से चुना था, लेकिन न तो नौकरियां मिलीं और न ही लोगों के वायदे पूरे हुए। बिजली फ्री तो कर दी लेकिन पंजाब में बिजली रह कहां गई है। 

अकाली दल से अलग होने का भाजपा को गांवों में नुक्सान नहीं होगा?
हमें कोई नुक्सान नहीं हो रहा है, जब भाजपा और अकाली गठबंधन था तब भाजपा जूनियर पार्टनर था। भाजपा को अकाली दल ने महसूस ही नहीं होने दिया कि गांवों में भी उनकी जरूरत है। अकाली दल सिर्फ लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहा था। अब भाजपा गांवों में निकली है, लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं। यहां तक कि गांवों के पंच-सरपंच भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। गांवों में बहुत बड़ा बदलाव आया है और भाजपा का मजबूत आधार गांवों में बन रहा है। 

भाजपा में सिखों को लेकर जो धारणा है, उस पर क्या कहेंगे?
भाजपा को लेकर ऐसी कोई भी धारणा लोगों में नहीं है, यह केवल विपक्ष द्वारा लोगों के दिमाग में डाली गई एक कहानी है। विरोधियों ने एक धारणा बना ली थी कि भाजपा सिख विरोधी है, लेकिन आज अगर हम तुलना करें तो सबके सामने है कि सिखों के मसले सबसे ज्यादा भाजपा ने ही हल किए हैं। कांग्रेस और अकाली दल ने तो कभी किया ही कुछ नहीं और आम आदमी पार्टी का कहीं जिक्र भी नहीं होता। कांग्रेस ने तो 1984 के मामले में आज तक माफी नहीं मांगी। पंजाब के लोग अगर दिल्ली में जाकर धरने पर बैठे तो केंद्र ने उन्हें कुछ नहीं कहा और कोई एक्शन नहीं लिया। किसी के उंगली तक नहीं लगाई। उल्टा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से इसके लिए माफी मांगी। क्या यह छोटी बात थी। करतारपुर साहिब, काली सूची जैसे मामलों में भी प्रधानमंत्री ने सिखों के हक में ही काम किया। 

दूसरी पार्टियों से आए लोगों की भाजपा में क्या सुनवाई होती है?
भाजपा में हर वर्ग की सुनवाई होती है। एक बात और भाजपा अनुशासन प्रिय संगठन है, यहां चमचागिरी करने वालों की कोई कद्र नहीं होती। यहां तो काम करने वालों की वैल्यू है। 

क्या भाजपा का अध्यक्ष सिख होने की चर्चा चल रही है?
जब पंजाब की बात आती है तो पगड़ी की बात जरूर आती है। पंजाब में सिख जिस पार्टी में ज्यादा जाएंगे, वहां पर काम ज्यादा होगा। भाजपा में भी इस समय बड़ी संख्या में सिख शामिल हो रहे हैं। भाजपा ने कभी सिखों के विरोध में कोई काम नहीं किया। पार्टी का एक काम करने का तरीका है। आप सिख हैं या हिंदू, अंत में आप एक पंजाबी हैं, जो पंजाबी पंजाब के बारे में सोचता है, भाजपा उसे सपोर्ट करेगी। 

राजनीति में नेताओं को इंपोर्ट किया जा रहा है, क्या नेताओं की कमी है?
भाजपा पहले 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी। अकाली-भाजपा मिलकर चुनाव लड़ते थे, अब भाजपा अलग लड़ रही है। हमने अगर अकाली दल से नेता को लेकर चुनाव लड़ाया है तो इसका यह मतलब नहीं कि हमने किसी दूसरे दल के व्यक्ति को शामिल किया है। दोनों दलों ने मिलकर काम किया हुआ है। आम आदमी पार्टी की तो बात की जा सकती है कि उन्होंने कांग्रेस से इंपोर्ट कर नेता को टिकट दी, उसी कांग्रेस को ये लोग कोसते रहे हैं, लेकिन उनके नेताओं को टिकट देने में इन्हें कोई परेशानी नहीं।


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Content Editor

rajesh kumar

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