बैंक ऑफ बड़ौदा के राष्ट्र भाषा सम्मान के लिए नामांकित हुआ रूप सिंह का नावल ‘बाकी सफा पंज ते’

punjabkesari.in Thursday, Jun 01, 2023 - 02:26 PM (IST)

जालंधर (विशेष): बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा पहली बार करवाए जा रहे ‘बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्र भाषा सम्मान’ अवार्ड के तहत पंजाबी भाषा के नावल ‘बाकी सफा पंज ते’ का चयन किया गया है। यह नावल रूप सिंह द्वारा लिखा गया है और इसका अनुवाद सुभाष नीरव ने किया है। बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर अजय खुराना ने चंडीगढ़ में आयोजित एक समारोह के दौरान लेखक और अनुवादक के साथ मुलाकात की और नावल के कंटैंट पर चर्चा की।

दरअसल बैंक ऑफ बड़ौदा ने पहली बार इन अवार्ड्स के लिए 24 मई को 12 नामांकन फाइनल किए थे और ये नामांकन संविधान के 8वें शैड्यूल में शामिल भारतीय भाषाओं में से लिए गए हैं। इन नामांकनों के लिए एक निर्णायक मंडल का गठन भी किया गया है जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखिका और अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलिश्री कर रही हैं। इसमें प्रसिद्ध साहित्यकार व साहित्य अकादमी विजेता अरुण कमल, शिक्षाविद पुष्पेश पंत, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता अनामिका और युवा कथाकार प्रभात रंजन शामिल हैं। 

कार्यक्रम के दौरान बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर अजय खुराना ने कहा कि भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की प्रेरणा उन्हें अपने बैंक के सर्वे से ही मिली। दरअसल जब कोई व्यक्ति बैंक के साथ बात करने के लिए कस्टमर केयर पर संपर्क करता है तो इनमें से 93 फीसदी ग्राहक अपनी स्थानीय भाषा में बात करने का विकल्प चुनते हैं। इसी कारण बैंक को यह महसूस हुआ कि भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए साहित्यकारों का प्रोत्साहन जरूरी है लिहाजा इस अवार्ड की रूपरेखा तैयार की गई। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस अवार्ड के विजेताओं को बैंक की तरफ से कुल 61 लाख रुपए की ईनामी राशि दी जाएगी।

इनमें से पहले विजेता लेखक को 21 लाख रुपए और उसके अनुवादक को 15 लाख रुपए की राशि दी जाएगी। इसके अलावा 5 अन्य विजेता लेखकों को 3-3 लाख रुपए और अनुवादकों को 2-2 लाख रुपए की ईनामी राशि मिलेगी।उन्होंने कहा कि इस अवार्ड का मकसद अच्छे साहित्य को ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुंचाना है क्योंकि स्थानीय भाषा में लिखा गया साहित्य सिर्फ उसी भाषा तक सीमित रह जाता है यदि इसका दायरा बढ़ा कर इसको हिन्दी में भी अनुवादित कर दिया जाए तो इसके पाठक बढ़ सकते हैं और अच्छा साहित्य ज्यादा पाठकों तक पहुंच सकता है। इसी मुहिम के तहत 12 नामांकनों में से 6 नामांकन चुने जाएंगे। 

दरअसल बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर अजय खुराना स्वयं पंजाबी पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और पंजाबी के एक नावल को नामांकित किए जाने के समारोह के दौरान उन्होंने खुद लेखकों और अन्य लोगों के साथ पंजाबी भाषा में ही संवाद किया। उनके इस संवाद को लोगों द्वारा काफी पसंद भी किया गया। इस दौरान ‘बाकी सफा पंज ते’ नावल के लेखक रूप सिंह ने कहा कि उनका यह नावल पंजाब में आतंकवाद के दौर में सामने आई सच्चाइयों की मुंहबोलती तस्वीर है और इसके किरदार असली हैं।

जैसा उन्होंने आतंकवाद के दिनों में अपने आस-पड़ोस में महसूस किया उसी को उन्होंने शब्दों में पिरोया है। इस बीच नावल के अनुवादक सुभाष नीरव ने भी कहा कि जब यह नावल उन्होंने पढ़ा तो उन्होंने खुद इसका एहसास किया क्योंकि वह भी पंजाबी पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं और उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के दौर को खुद महसूस किया है। इस दौरान समारोह में शामिल लेखकों और पाठकों ने बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा किए गए इस प्रयास की जमकर सराहना की और कहा कि बैंक के इस प्रयास से पंजाबी भाषा को भी सम्मान मिलेगा।


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Content Editor

rajesh kumar

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