सुनामी की तरह आई ‘आप’ से जनता को मिला धोखा, अब भाजपा ही पंजाब में ‘आशा की किरण’ : गजेंद्र सिंह शेखावत
punjabkesari.in Thursday, May 04, 2023 - 05:33 PM (IST)

जालंधर, (अनिल पाहवा): जालंधर लोकसभा उपचुनाव बेशक इतना बड़ा चुनाव नहीं है और यह एक लोकसभा सीट तक ही सीमित है लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव को गंभीरता से ले रही है। पार्टी चुनाव को जीतने के दावे भी कर रही है और उसे विश्वास है कि पंजाब में आने वाले समय में भाजपा एक बड़े दल के तौर पर स्थापित हो जाएगी।
इस तरह के कई दावों पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने न केवल खुलकर बात रखी बल्कि साथ ही यह भी खुलासा किया कि पंजाब में लोग भाजपा को क्यों अहमियत देने लगे हैं। पेश हैं उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश:-
‘आप’ के दावों का सामना कैसे करेगी भाजपा?
पंजाब के लोगों ने सुनामी की तरह आई आम आदमी पार्टी को सत्ता में जगह दी। 92 सीटें लेकर पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई, लेकिन अब करीब एक साल के कार्यकाल के बाद लोगों का भरोसा ‘आप’ सरकार के प्रति टूटने लगा है। वैसे तो ‘आप’ के प्रति लोगों में जो भरोसा था, वह संगरूर चुनावों में ही पता लग गया था। जिस तरह से अब पंजाब में आम आदमी पार्टी ने लोगों को धोखा दिया है, उसके बाद भाजपा ही एकमात्र आशा की किरण लोगों के लिए बची है। बाकी दलों को पंजाब के लोग पहले ही आजमा चुके हैं। इसलिए मुझे यकीन है कि जालंधर में भाजपा के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है और पार्टी सफलता हासिल करेगी।
अकाली दल के साथ गठबंधन पर क्या कहेंगे आप?
शिरोमणि अकाली दल को हमने नहीं छोड़ा बल्कि वह पार्टी खुद हमें छोड़कर गई थी। पंजाब में गठबंधन के दौरान छोटे और बड़े भाई की भूमिका के तौर पर हम साथ रहे। अब जो गठबंधन को लेकर चर्चाएं चल रही हैं, वह या तो मीडिया के कयास हैं या फिर उन लोगों की तरफ से यह चर्चाएं चलाई जा रही हैं, जिनका निजी कोई फायदा इसमें छिपा हो। मैं तो यह साफ कहूंगा कि अकाली दल के साथ गठबंधन को लेकर न तो चर्चा है, न चिंतन है और न ही विचार है।
कांग्रेस से भाजपा में आए दिग्गज कहीं दिख नहीं रहे?
ऐसा नहीं है, पिछले दिनों में कांग्रेस के कई नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की, जिसमें कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी शामिल हैं। कैप्टन कल से जालंधर में आकर प्रचार शुरू कर रहे हैं। भाजपा की पूरी टीम काम कर रही है और जमीनी स्तर पर हर तरह की रिपोर्ट लेकर उस पर काम किया जा रहा है।
जालंधर जैसे उपचुनाव पर इतना फोकस क्यों?
पंजाब में भाजपा शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर पहले चुनाव लड़ती रही है। 2022 के चुनाव पार्टी ने अकेले लड़े और अब लोकसभा का यह उपचुनाव पार्टी अकेले लड़ रही है। हम पहले विधानसभा की 23 सीटों तक सीमित थे, जो अधिकतर शहरी सीटें थीं। अब पार्टी ने शहरों के साथ-साथ गांवों में भी खुद को स्थापित करने का काम तेज किया है। हम हर चुनाव को उतनी ही गंभीरता से लेते हैं, फिर चाहे वह एक लोकसभा सीट का उपचुनाव हो या देश के आम चुनाव।
‘आप’ पर अलगाववाद बढ़ाने के आपके आरोपों का बेस क्या है?
चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी ने राज्य की आंतरिक सुरक्षा को लेकर कई वायदे किए थे, लेकिन आज आप पंजाब की स्थिति देख सकते हैं। सुरक्षा नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई। राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार लोगों को सुरक्षित जीवन मुहैया करवाने में विफल रही है। राज्य में अलगाववादी गतिविधियों में कोई कमी नहीं आई है, उलटा अलगाववाद से संबंधित मामले बढ़ रहे हैं और यह पूरी तरह से राज्य सरकार की विफलता है।
नदियों को ङ्क्षलक करने की क्या योजना है?
बाढ़ और सूखे के स्थानीय समाधान के लिए नदियों को लिंक करना समय की जरूरत है। यह तभी संभव हो पाएगा, अगर राज्यों की ओर से सहयोग मिले तो। देश भर में सरकार ने करीब 31 लिंक तलाशे हैं, जिन पर काम होना जरूरी है। नदियों को लिंक करने की 14 परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए राज्यों से सहमति मांगी गई है, जैसे ही राज्य अपनी सहमति देंगे, इन पर काम शुरू हो जाएगा। वैसे इस परियोजना के लिए स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के समय से काम शुरू हुआ था लेकिन अभी भी जिस गति से काम चल रहा है, वह संतोषजनक नहीं है।
गहलोत पर ‘राजनीति का रावण’ वाली टिप्पणी का क्या मतलब था?
दरअसल इस मामले में मेरी पूरी बात को नहीं सुना गया। चित्तौडग़ढ़ में मैंने यह बात कही थी, लेकिन उसके बाद सीकर में मैंने इसको विस्तार में बताया था। दरअसल रामायण में भगवान शिव और रावण का जिक्र होता है, रावण को राजनीति का प्रकांड पंडित कहा जाता है, लेकिन इसके 10 अवगुण जिन्हें 10 सिरों के रूप में चिन्हित किया जाता है, उसके पतन का कारण बने। अशोक गहलोत के संदर्भ में भी मैंने यह कहा था कि उनकी सरकार में माफिया राज, जबरन वसूली, गौहत्या, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, आतंक, अराजकता, दुष्कर्म, बेरोजगारी, लालच जैसे कृत्य हो रहे हैं, जो इस रावण के 10 सिर हैं। इसमें शायद कुछ भी गलत नहीं था।