बज्र के इन 3 मंदिरों में साक्षात निवास करते हैं भोलेनाथ, जानें इनकी खासियत

punjabkesari.in Sunday, Mar 10, 2019 - 01:00 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
देश भर में भगवान शंकर के ऐसे कई नामचीन मंदिर हैं, जिनके बारे में बताने की किसी को ज़रूरत नहीं। वो अपने आप में इतने प्रसिद्ध हैं कि उनकी प्रसिद्ध पर किसी को प्रकाश डालने की कोई ज़रूरत नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज भी कई ऐसे भी मंदिर हैं, जिन से जुड़ा इतिहास लोगों से रूबरू नहीं हो पाया है। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो प्रसिद्ध तो बहुत है लेकिन इससे जुड़े इतिहास के बारे में आज भी बहुत से लोग नहीं जानते। हम बात कर रहे हैं कि नंदगांव के बार में। इस जगह से जुड़ी ये मान्यता प्रचलित है कि द्वापर युग में भगवान शिव यहां कई बार ब्रज आए थे। यहां तीन ऐसे मंदिर हैं जो पांच हजार साल से भी ज्यादा पुराने आश्वेश्वर मंदिर के बारे में। ये तीन मंदिर हैं मथुरा का रंगेश्वर महादेव, वृंदावन का गोपेश्वर महादेव और नंदगांव का आश्वेश्वर महादेव मंदिर।
PunjabKesari, Braj
आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-
सबसे पहले बात करते हैं नंदगांव के आश्वेश्वर मंदिर की। इसके बारे कहा जाता है है कि जब वसुदेव अपने पुत्र श्रीकृष्ण को नंद के यहां छोड़ गए थे तो भगवान शिव उनके दर्शन करने के लिए यहां पधारे थे। लेकिन योगी के वेश में होने के कारण माता यशोदा भोलेनाथ को पहचान नहीं सकीं थी और उन्होंने उनको कृष्ण के दर्शन कराने से मना कर दिया। मान्यता है कि इसी बात से नाराज़ होकर भगवान शंकर उसी जगह धूनी रमाकर बैठ गए थे और अंतत: यशोदा को अपने लाल को उन्हें दिखाना ही पड़ा था।
PunjabKesari, आश्वेश्वर मंदिर, Asheshwar Temple, Braj Asheshwar Temple
रंगेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कंस का वध करने के बाद श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम में झगड़ा हो गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार तब महादेव यहां पाताल से प्रकट हुए और ''रंग है, रंग है, रंग है'' कहते हुए फैसला सुनाया कि  कि श्रीकृष्ण ने कंस को छल और बलराम ने बल से मारा है। इसके बार में किंवदंती है कि जिस जगह भोलेनाथ प्रकट हुए थे आज के समय में वहीं रंगेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है। बता दें कि यहां मुख्य विग्रह धरातल से 8 फुट नीचे है और इसके दर्शन और पूजन से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही रंगेश्वर महादेव मंदिर में खप्पर और जेहर पूजा का विशेष महत्व है। ये पूजा  महाशिवरात्रि के बाद आने वाली अमावस्या को की जाती है, जो नवविवाहिता महिलायें पुत्र की प्राप्ति के लिए करती हैं।
PunjabKesari, रंगेश्वर मंदिर , Rangeshwar Temple, Braj Rangeshwar Temple
अब बात करते हैं वृंदावन के गोपेश्वर मंदिर की जिसके बारे में मान्यता है एक बार यहां राधा और श्रीकृष्ण महारास कर रहे थे। उन्होंने गोपियों को आदेश दे रखा था कि कोई पुरुष यहां नहीं आना चाहिये।परंतु उसी वक्त भगवान शिव उनसे मिलने आ पहुंचे। लेकिन गोपियों ने श्री-कृष्ण-राधा के आदेश का पालन किया और उन्हें बाहर ही रोक और कहा कि आप केवल स्त्री वेश में ही वह अंदर जा सकते हैं। जिसके बाद महादेव ने गोपी का रूप धरकर वहां प्रवेश किया परंतु श्रीकृष्ण उन्हें पहचान गए। कहा जाता है कि इसके बाद ही इस मंदिर का नाम गोपेश्वर महादेव मंदिर है।
PunjabKesari, गोपेश्वर मंदिर, Gopeshwar Temple, Braj Gopeshwar Temple
क्या शिव और शंकर अलग-अलग हैं ? (VIDEO)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News