Kundli Tv- खाने से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे आप

punjabkesari.in Wednesday, Dec 05, 2018 - 12:40 PM (IST)

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भोजन ग्रहण करने से पहले भगवान की भांति पृथ्वी, आकाश, वायु, जल व अग्नि इन पांच तत्वों को याद किया जाता है। अन्न का अनादर कभी भी न करें। हर रोज़ अन्न खाने से शरीर में बल व तेज की वृद्धि होती है, किन्तु खाया हुआ वही अपूजित अन्न दोनों का नाश करता है। भारतीय संस्कृति में भोजन करते समय कुछ नियमों का पालन किया जाता है। यह नियम कोरे अक्षर नहीं अपितु इसमें वैज्ञानिकता सिद्ध होती है। कभी भी सिर ढक कर भोजन न करें। एकमात्र वस्त्र पहनें व दुष्टों के सामने भोजन न करें। जूता, चप्पल, पहनकर भोजन न करें। ग्रास भली प्रकार कुचला हुआ ही होना चाहिए। चारपाई या खाट पर बैठकर भोजन न करें। 
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यह विधान इसलिए बनाया गया है क्योंकि बच्चे अक्सर बिस्तर पर मल-मूत्र का त्याग कर देते हैं। यथाशक्ति सफाई रखने पर भी कीटाणु नहीं मरते। अगर उसी पर भोजन किया जाए तो यह रोगों को खुला आमंत्रण है।
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प्रतिदिन आचमन करके स्वस्थ चित्त से भोजन करें, भोजन करके भली-भांति कुल्ला करें। अपनी जूठन न किसी को दें और न ही किसी का जूठा खाएं। दिन में एक बार भोजन पर संध्या से पूर्व दूसरी बार भोजन ग्रहण न करें। भोजन को सम्मान की दृष्टि से देखें व प्रसन्नतापूर्वक भोजन करें तथा उसे देखकर उसका अभिनंदन कर खुशी जाहिर करें। अधिक मात्रा में भोजन करने से रजोगुण व तमोगुण समस्याएं पैदा होती हैं। भोजन को तब तक भली प्रकार चबाएं जब तक उसमें रस शेष हो। 
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शास्त्रों के अनुसार आधा पेट अन्न से, चौथाई भाग पानी से भरें तथा शेष चौथाई भाग को प्राण वायु संचार के लिए खाली रहने दें। अंत में हम यह कहेंगे अन्न दैव्यो भव:। 
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Niyati Bhandari

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