Kundli Tv- गोवर्धन पूजा का जुआ खेलने से क्या है संबंध ?

punjabkesari.in Thursday, Nov 08, 2018 - 08:35 AM (IST)

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गुरुवार दिनांक 08.11.18 को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के उपलक्ष में गोवर्धन पूजा व अन्नकूट पर्व मनाया जाएगा। दीपावली के दूसरे दिन संध्या के ब्रज तीर्थ क्षेत्र में गोवर्धन पूजा विशेष रूप से मनाई जाती है। इस दिन बलि प्रतिपदा भी मनाई जाती है। वामन अवतार बलि को पाताल भेज देते हैं। विष्णु बलि को पृथ्वी पर रहने के लिए तीन दिन की अनुमति देते हैं। विष्णु द्वारा दिए गए वरदान के कारण कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन बलि के साथ उनकी पत्नी विंध्यावली के छवि चित्र को पांच अलग-अलग रंगों से सजाकर पूजन करते हैं। इसी दिन दीपावली द्यूत क्रीडा भी मनाई जाती है। इसी दिन महादेव ने सर्वप्रथम स्वयं चौसर का निर्माण करके माता पार्वती को दिखाया था। चौसर 96 खानों वाला, 24 कोष्ठकों में चार सिरों में बटा होता है। जिसमें चार रंगों की चार-चार गोटियों और तीन पासों से खेला जाता है जिसे चौपड़ भी कहते हैं। महादेव ने पासों का निर्माण अपने नागों के पाश से किया था। महादेव के मना करने के बाद भी पार्वती की ज़िद्द पर महादेव ने इसी दिन पार्वती के साथ चौपड़ खेली थी। लोग इसी दिन शगुन के कारण ताश के पत्तों की बाज़ी खेलते हैं। द्वापर में लोग इंद्रदेव का पूजन कर उन्हे छप्पनभोग लगाते थे। ये पकवान व मिठाइयां इतनी मात्रा में होती थीं कि उनका पूरा पहाड़ बन जाता था। कृष्ण ने इंद्र का पूजन बंद करवाकर इस दिन गौ पूजन प्रारंभ करवाया। इसी दिन श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का मानमर्दन कर गिरिराज पूजन किया था। इस दिन वरुण, इन्द्र, अग्नि देवों के पूजन का विधान है। इस दिन गाय-बैलों को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से पूजन करते है। इस दिन मन्दिरों में अन्नकूट किया जाता है। सायंकाल गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करते है। इसमें अपामार्ग अनिवार्य रूप से रखा जाता है। जल का लोटा व जौ लेकर गोवर्धन की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। गोवर्धन व अन्नकूट के विशेष पूजन व उपाय से व्यक्ति स्वस्थ होता है, मनोविकार दूर होते हैं व धन की किल्लत ख़तम होती है। 
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स्पेशल पूजन विधि: सुबह के समय घर के मुख्‍य द्वार के सामने या किसी मंदिर के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं, फिर उसे वृक्ष, वृक्ष की शाखा एवं पुष्प इत्यादि से श्रृंगार करें। इसके बाद गोवर्धन पर्वत का अक्षत, पुष्प से विधिवत पूजा करें। संध्या के समय गोवर्धन की स्थापना के पास गाय का विभिन्न अलंकारों, मेहंदी आदि से श्रृंगार  करें। इसके पश्चात उनका गंध, अक्षत, पुष्प से पूजन करें। तत्पश्चात घर की उत्तर-पूर्व दिशा में पीले कपड़े पर पीतल के कलश में जल, सिक्के सुपारी, इत्र, सिंदूर, अक्षत आदि डालकर और उसपर पीपल के पत्ते रखकर गोवर्धन कलश स्थापित करें। पास में ही राधा-कृष्ण, बलि-विंध्यावली व शंकर पार्वती का चित्र स्थापित करें गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक करें, सफ़ेद चंदन से शंकर पार्वती को, पीले चंदन से राधा कृष्ण को, लाल चंदन से बलि-विंध्यावली को तिलक करें, गुग्गल, चंदन व तग्गर से धूप करें। राधा कृष्ण को तुलसी पत्र, शंकर-पार्वती को विल्व पत्र व बलि-विंध्यावली को पीपल का पत्ता चढ़ाएं लाल, पीले व सफ़ेद फूल चढ़ाएं। गुलाल चढ़ाएं, दूध, दही, गंगाजल चढ़ाएं, तथा शहद व बताशे का भोग लगाएं। सभी देवताओं को अन्नकूट का भोग लगाएं और इस विशेष मंत्र से का 1-1 माला जाप करें। पूजन के बाद शहद व बताशे ब्राह्मण को दान दे दें।
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सुबह गोवर्धन पूजन मुहूर्त: सुबह 06:42 से सुबह 08:51 तक। 

शाम गोवर्धन पूजन मुहूर्त: शाम 15:18 से शाम 17:27 तक।

पूजन मुहूर्त: शाम 15:27 से शाम 17:42 तक।

गोवर्धन पूजन मंत्र: ॐ गोवर्धन-अंचलो-द्धर्त्रे नमः॥

शंकर पार्वती मंत्र: ॐ गौरी शंकराय नमः।
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कृष्ण पूजन मंत्र: ॐ श्री गोपालाय नमः॥

स्पेशल टोटके: 
अच्छी हैल्थ के लिए:
जौ सिर से वारकर कपूर से जलाकर गोवर्धन पर धूप करें।

पारिवारिक समृद्धि के लिए: गोपगोपीश्वराय नमः मंत्र बोलते हुए दंपति गोवर्धन पर केसर चढ़ाएं। 

मनोविकार से मुक्ति के लिए: शहद मिले दूध में अपनी छाया गोपाल पर चढ़ाएं।

धन की किल्लत से मुक्ति के लिए: शंकर पार्वती पर चढ़ी ताश की गड्डी चौराहे पर फेंक दें।

अन्न धन की कमी दूर करने के लिए: राधा-कृष्ण पर अन्नकूट का भोग लगाकर पीली गाय को खिलाएं।
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आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com
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