Kundli Tv- पुत्र प्राप्ति के लिए आज ही करें ये काम
punjabkesari.in Thursday, Oct 04, 2018 - 11:09 AM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
राजा बृजेन्द्र बड़े त्यागी और धार्मिक थे। उन्हें कोई संतान नहीं थी। उन्हें चिंता लगी रहती थी कि उनके बाद इस राज्य का क्या होगा? गुरु माधवाचार्य ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। राजा ने यज्ञ तो किया ही, यज्ञ की समाप्ति पर गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन करवाया और दक्षिणा भी दी। उनका आशीर्वाद धरती से लेकर आकाश तक छा गया। तभी आकाशवाणी हुई, ‘‘राजन! तुम्हारे भाग्य में अपना पुत्र नहीं है। तुम किसी सत्पात्र को अपना पुत्र बना लो।’’
आकाशवाणी ने राजा बृजेन्द्र को चिंता में डाल दिया। उन्हें कोई सत्पात्र दिखाई नहीं पड़ रहा था। राजा की कसौटी भी अद्भुत थी। वह मानते थे कि मनुष्य में दूसरे के दुखों को अपना दुख समझने का गुण अवश्य होना चाहिए। दोपहर का समय था।
राजा बृजेन्द्र खिड़की के पास बैठकर बाहर की ओर देख रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि फटे कपड़े पहने एक युवक ने पत्तल में कुछ रोटियां रखकर खाना शुरू किया। सहसा एक वृद्ध व्यक्ति उसके पास पहुंचा और उससे रोटियां मांगने लगा। उस युवक ने अपनी पत्तल उठाकर उसे दे दी। राजा बृजेन्द्र को लगा कि जिसकी उन्हें तलाश थी यह वही है। वह उसे आदर सहित अपने महल में ले आए। उसे सुन्दर आसन पर बैठने को कहा परन्तु वह धरती पर बैठ गया। राजा बृजेन्द्र उस युवक से बोले, ‘‘मैं आपको अपना दत्तक पुत्र बनाकर सम्पूर्ण राज्य भार से मुक्त होना चाहता हूं।’’
वह युवक बोला, ‘‘मैं आपका दत्तक पुत्र तो बन सकता हूं लेकिन राज्य ग्रहण नहीं कर सकता। मैं राज्य लेकर क्या करूंगा? त्याग ही मोक्ष है।’’
राजा बृजेन्द्र प्रसन्न होकर बोले, ‘‘तुम ही मेरे दत्तक पुत्र के योग्य हो। मेरी आंखें खुल गई हैं। त्याग ही सुख है।’’
फिर राजा बृजेन्द्र ने उसे राज्य सौंप दिया और रानी के साथ भिक्षुक बनकर प्रचार करने लगे।
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