Kundli Tv- क्या वाकई भगवान का अस्तित्व है

punjabkesari.in Thursday, Aug 16, 2018 - 02:07 PM (IST)

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एक गांव में एक वृद्ध स्त्री रहती थी। उसका कोई नहीं था। वह गोबर के उपले बनाकर बेचती थी और अपना गुजारा चलाती थी। स्त्री कृष्ण भक्त थी। उठते-बैठते कृष्ण नाम जप किया करती थी। गांव के कुछ दुष्टों ने एक रात उस वृद्ध स्त्री के सारे उपले चुरा लिए और आपस में कहने लगे कि अब देखें कृष्ण कैसे इसकी सहायता करते हैं? वह अपने कान्हा से कहने लगीं, ‘‘पहले माखन चुराता था और मटकी फोड़कर गोपियों को सताता था, अब इस बुढ़िया के उपले छुपाकर मुझे सताता है। ठीक है, जैसी तेरी इच्छा!’
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उसने अगले दिन के लिए उपले बनाना आरंभ कर दिए। दोपहर को भूख लग गई, पर घर में कुछ खाने को नहीं था। दो गुड़ की डली थीं। अत: एक अपने मुंह में डाल पानी के कुछ घूंट लेकर लेटने चली गई। भगवान तो भक्त वत्सल होते हैं। उनसे उस वृद्ध साधिका का कष्ट सहन नहीं हो पाया। वह एक साधु का वेश धारण कर उसके घर पहुंच गए और कुछ खाने को मांगने लगे, वृद्ध स्त्री को अपने घर आए एक साधु को देख आनंद तो हुआ, पर घर में कुछ खाने को न था। यह सोच दुख भी हुआ। उसने गुड़ की इकलौती डली बाबा को शीतल जल के साथ खाने को दे दी। 
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बाबा उस स्त्री के त्याग को देख प्रसन्न हो गए और जब वृद्ध स्त्री ने बाबा को अपना सारा हाल सुनाया तो बाबा उन्हें सहायता का आश्वासन दे चले गए और गांव के सरपंच के यहां पहुंचे। सरपंच से कहा, ‘‘सुना है इस गांव के बाहर जो वृद्ध स्त्री रहती है उसके उपले किसी ने चुरा लिए। मेरे पास एक सिद्धि है यदि गांव के सभी लोग अपने उपले ले आएं तो मैं अपनी सिद्धि के बल पर उस वृद्ध स्त्री के सारे उपले अलग कर दूंगा।’’ 
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सरपंच एक भला व्यक्ति था, उसे भी वृद्ध स्त्री के उपले चोरी होने का दुख था। अत: उन्होंने साधु बाबा रूपी कृष्ण की बात तुरंत मान ली और गांव में ढिंढोरा पिटवा दिया कि सब अपने घर के उपले तुरंत गांव की चौपाल पर लाकर रखें। जिन दुष्ट लोगों ने चोरी की थी उन्होंने भी वृद्ध स्त्री के उपले अपने उपलों में मिलाकर उस ढेर में एकत्रित कर दिए। उन्हें लगा कि सब उपले तो एक जैसे होते हैं इसलिए साधु बाबा कैसे पहचान पाएंगे? दुर्जनों को ईश्वर की लीला और शक्ति दोनों पर ही विश्वास नहीं होता। साधु वेशधारी कृष्ण ने सब उपलों को कान लगाकर वृद्ध स्त्री के उपले अलग कर दिए। वृद्ध स्त्री अपने उपलों को तुरंत पहचान गई और उसकी प्रसन्नता का तो ठिकाना नहीं था। वह अपने उपले उठा, साधु बाबा को नमस्कार कर चली गई।
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जिन दुष्टों ने वृद्ध स्त्री के उपले चुराए थे, उन्हें यह समझ में नहीं आया कि बाबा ने कान लगाकर उन उपलों को कैसे पहचाना? अत: जब बाबा गांव से कुछ दूर निकल आए तो वे दुष्ट बाबा से इसका कारण जानने पहुंचे, बाबा ने सरलता से कहा कि ‘वृद्ध स्त्री सतत ईश्वर का नाम जप करती थी और उसके नाम में इतनी आर्तता थी कि वह उपलों में भी चला गया। कान लगाकर वह यह सुन रहे थे कि किन उपलों से कृष्ण का नाम निकलता है और जिनसे कृष्ण का नाम निकल रहा था उन्होंने उन्हें अलग कर दिया।’’
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हमको व्यवहार के सभी काम करते समय नामजप करना चाहिए इससे हम पर ईश्वर की कृपा होती है और संकट से बचाव होता है। 
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Niyati Bhandari

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